संस्कार भाग 1
संस्कार भाग 1
"मुझे नही करनी शादी वादी। आप लोग समझते क्यों नहीं। मेरे सपने है मैं पढ़ना चाहती हूँ, अपने पैरों पर खडी होना चाहती हूँ, शादी की कौन सी जल्दी है।" अदिति जोर से लगभग चिल्लाते हुए बोली।
"मत करना, लेकिन कोई आ रहा है तो उसको मना कैसे कर दें। देख लो नही पसंद आया तो ना करना। हम कौन सा जबरदस्ती करवा रहे है मेरी प्यारी सी परी की शादी। वैसे किसी मेहमान का अपमान करना अच्छी बात नहीं है ना।" अदिति के पापा ने प्यार से बोलते हुए कहा।
"ठीक है आ जाऊंगी कल कॉलेज से जल्दी।" अदिति बोली।
"जल्दी, मतलब, कल नहीं जा रही हो तुम। ब्यूटी पार्लर जाना है, तैयार होना है, और तुमको कॉलेज की लगी है।" माँ कितने गुस्से मे बोली थी।
"अरे अरे। मिलने को हाँ क्या कह दिया आप तो दुल्हन बनाने लग गई। मैं कही नहीं जाने वाली। जिसको देखना है ऐसे देखे नहीं तो वापस जाये। अदिति बोलते हुए अपने कमरे मे चली गई थी।
सुना अपने, क्या बोल रही है। क्या हो गया है आज के बच्चों को, संस्कार ही खत्म हो गये है।" मां ने पापा को सुनाते हुए बोला था।
"अरे कोई नहीं वैसे भी हमारी गुड़िया किसी परी से कम नही। क्या करेगी पार्लर जाकर। कभी गुलाब कोई मेकअप करता है क्या। हाँ तुम जरूर चली जाना। तुम्हारी उम्र ज्यादा दिख रही है"। राहुल ने अदिति की मम्मी को छेड़ते हुए कहा और सब कितना हँस रहे थे।
"क्या कहा, उम्र ज्यादा, सच बताओ, रहने दो अदिति से पूछती हूँ।" मम्मी काम करने लगी और पापा जोर से हँस दिये थे।
अगले दिन आदित्य और अदिति एक दुसरे को देखते ही रह गये। और जब आदित्य की मम्मी ने बोला की हमे बेटी चाहिये और इसके सारे सपने हमारे है और सब पूरे होंगे तो अदिति मना नहीं कर पाई और पहली नज़र का प्यार परवान चढ़ा और शादी मे बदल गया था।
और शादी के 3 साल पूरे होने वाले है। अदिती के सारे सपने पूरे हो रहे थे। इतना प्यार करने वाला पति जिसने उसके हर सपने को पूरा किया। अदिति का MBBS भी पूरा होने वाला था और जल्दी ही वो अपने सारे सपने साकार देखने वाली थी।
ये सब सोच कर अदिति मुस्कुरा ही रही थी की आदित्य ने उसे पीछे से पकड़ लिया और वो अचानक भूत काल से निकल कर वर्तमान मे आ गई।
"छोड़ो मुझे, क्या हर वक्त प्यार प्यार। पागल हो गये हो तुम।" अदिति ने झूठा गुस्से का नाटक करते हुए बोला।
"मेरी महरानी साहिबा, आपको नहीं प्यार करुँगा तो किसको करूंगा। आप ही तो इस घर की, इस दिल की महारानी हो।" मेरी जिन्दगी, मेरी जान, कहकर फिर गले लगाने लगा।
"अच्छा जी बड़ा प्यार आ रहा है आज क्या बात है।"
"आज तो बड़ी खुशी का दिन है। इतनी सारी खुशखबरी एक साथ। मज़ा आ गया आज तो पार्टी हो जाये। तैयार हो जाओ। आज हम चार दिन के हनीमून पर जा रहे है।" आदित्य ने उछलते हुए बोला।
"हनीमून!! सच मे पागल हो गये हो मिस्टर। हमारी शादी को 3 साल होने वाले है और अब फिर हनीमून। ना रे ना।" अदिति ने हँसते हुए कहा।
"अरे बाबा इतनी सारी खुशखबरी लाया हूँ तो ये तो बनता है। आदित्य ने कहा।
हम भी तो सुने ऐसा क्या हो गया कि फिर से हनीमून जाएंगे साहब। अदिति ने पूछा।
चार खुशखबरी एक साथ लाया हूँ।" आदित्य बोला।
"चार!! सुनाओ सुनाओ क्या है।" अदिति भी बच्चों की तरह करने लगी।
तीन सालो मे इन दोनो का प्यार जरा सा भी कम नही हुआ था बल्कि नित प्रतिदिन अमरबेल की तरह बढ़ रहा था।पहले वादा करो हर खुशखबरी के बदले 1 दिन का हनीमून।
"ओके बाबा लेकिन पहले बताओ तब फैसला होगा।"
"अच्छा जी महारानी साहिबा। तो सुनिये। पहला आज के दिन मुझे पहला प्यार हुए तीन साल हो गये।" आदित्य ने हँसते हुए बोला।
"पहला प्यार। कौन थी वो। बताओ।" अदिति ने गुस्से से कहा।
"मेरी जान तुम। आज ही के दिन मै तुमको देखने आया था। और तुमसे प्यार हो गया।
औह। शैतान ड़र गई मैं तो। हाँ तुमको देखते ही मुझे भी हो गया था पहला प्यार।
तो एक दिन पक्का।" आदित्य ने छेड़ते हुए बोला।
अच्छा वो बाद मे, पहले सारी बातें बताओ।
दूसरा मेरा पर्मोशन हो गया। अब मै रीजनल मैनेजर हो गया।
वहा मुबारक हो पतिदेव। मज़ा आ गया।
तो पक्का ना। आदित्य ने आंख से इशारा करते हुए फिर पूछा
अरे सारी बात बताओ तब सोचेंगे। अदिति ने शर्माते हुए बोला।
ओके महरानी जी। तीसरी खुशखबरी, तुम्हरा MBBS का रिजल्ट आ गया। टॉप......।
सच। सच। अदिति आदित्य के गले लग गई, सच बोल रहे हो ना। बोलो।
हाँ सच मे मेरी रानी। और चौथी सुनते ही तुम सामान पैक कर लोगी। आदित्य ने उसे अपनी बाहों मे जोर से दबाते हुए बोला।
अब और क्या ऐसा।
तुम्हरा अगले हफ्ते इंटरव्यू है। आदित्य ने जैसे कहा अदिति खुशी से नाच उठी। हाँ, जरूर चलेंगे। जो तुम कहोगे वो ही होगा। लव यू लव यू कहते हुए वो और जोर से गले लग गई। आंखो मे खुशी से आंसू आ गये। थैंक यू मेरे प्यारे पतिदेव।
तुम रो रही हो। आदित्य ने पूछा।
नहीं यार। खुशी के आंसू है। मैं मम्मी पापा सबको बता कर आती हूँ। तुम खाना ओर्डर कर दो आज पार्टी होगी। और हाँ सामान भी पैक करना है। मैं आई अभी। अदिति किसी चिड़िया की तरह चहक उठी। आदित्य उसे प्यार से देखते ही जा रहा था। शायद वो आज पहली बार इतना खुश देख रहा था अदिति को।
लेकिन मै बहुत दुखी भी हूँ। आदित्य बोला।
क्यू क्या हुआ। अदिति भागती हुई आदित्य के पास आई।
अब मे रीजनल मैनेजर हूँ तो महिने मे काफी दिन बहार रहना होगा। तुम्हारे बिना मै नहीं रह पाऊंगा मेरी जान। मैं मना कर देता हूँ नई पोस्ट के लिये। आदित्य उदास होता हुआ बोला।
पागल हो, क्या हुआ हम कौन सा दूर है। हम दोनो एक ही है तुम मना मत करना। हमारा अच्छा भविष्य सामने हाथ फैला कर खड़ा है और तुम उसको ठुकराना चाहते हो। ऐसा ना करना। मेरा प्यार तुम्हारी ताकत होना चाहिये जैसे तुम्हरा प्यार मेरे लिये है, कमजोरी नहीं। अदिति ने समझाते हुए बोला।
लेकिन जान तुम्हारे बिना महिने मे 10-15 दिन। नहीं हो पायेगा। आदित्य ने कहा।
होगा और जरूर होगा। समझे। और चलना है या नहीं? या हनीमून का इरादा बदल दूँ? अदिति ने चिढ़ाते हुए कहा।
अरे नहीं नहीं। चलो जल्दी करो पैकिंग। मैं खाना मँगवा लेता हूँ। लव यू जान।
लव यू टू मेरे प्यारे से पतिदेव।
समय बीतता गया। अदिति को अच्छी नौकरी मिल गई दोनों इतने खुश की पांच साल बाद भी उनका प्यार अमरलता की बेल की तरह बढ़ता जा रहा था। अदिति अपने मम्मी पापा की भले ही लाड़ली थी लेकिन इतने अच्छे संस्कारो मे पली थी कि हर क्षेत्र मे उसको सफलता मिलती जा रही थी। आदित्य भी बिजी रहने लगा और 15 दिन कब 20 दिन कब 40 दिन हो गये पता ही नही चला। अदिति अब आदित्य से मिलने को तरसती रह जाती और आदित्य उसको, ज्यादा काम की बात कहकर मना लेता था।
लेकिन एक दिन अचानक....

