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Yayawargi (Divangi joshi)

Drama

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Yayawargi (Divangi joshi)

Drama

somewhat लव 3

somewhat लव 3

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थैंक यू, थैंक यू सो मच। तेरे जेसी दोस्त हो तो दुश्मन की क्या ज़रूरत ! कितनी मिन्नतों के बात मेरी लाइफ मे खुशिया आई थी, पर तुजसे तो ये तक न देखा गया, यह ऊमीद नहीं थी तुजसे गुड बाइ हमेश के लिए, अच्छा सिला दिया तूने मुझे।

क्या हुआ होगा ? शायद स्वीटी ने ही कान भरें हुये होंगे, मैने कोई न बताने वाली बात स्वीटी को बता दी होगी, शायद मुजसे ही कोई गलती हुई होगी मेरा राहुल एसा थोड़ा करेगा।‘मेरा राहुल’ज़िंदगी मे यह मेरा शब्द जब कोई बोले तो कितना अपना सा लगता है, है ना ! पर पता है यह ‘मेरा’ही सब से जादा दुख देता हैं क्यूंकी यह शब्द दिखाता है अधिकार, जहा अधिकार आता है वह पेदा होती है आशा ओर आशा तेय करती है अभिलाषा से अपेक्षा तक का सफर। ओर जब किसी से अभिलाषा टूटती है तो मिलती है केवल तकलीफ ओर दर्द।

अरे भाई रुको ! हमारी स्तुति दर्द मे रहने वालों मै से कहा थी, दुनिया यहा की वहा हो जाए पर वोह ‘दुखी’ हो यह बात वोह केसे चला ले !

इसका कोई न कोई तो रास्ता निकालना पड़ेगा लेकिन क्या ?

चलो दोस्त की फेस्बूक प्रोफ़ाइल से यह तो पता चल गया के अब राहुल स्वीटी का हो गया था पर।

यह क्या हुआ, क्यूँ हुआ, कब हुआ हो जब हुआ तब हुआ हो छोड़ो यह न सोचो।

एफ़ एम पे गाना बज रहा था स्तुति राहुल के ख़यालो के समुद्र मे स्कूबा डाईविन्ग कर रही थी, दिन तो काम मे कट जाता लेकिन रात, यह रात न जनाब।.

छोड़ो !

तभी RJ वशिष्ठ की आवाज़ कानो मे बासुरी के धून सी घूली,

“क्या ढूँढने चले थे खुद को, यहा तो खयाल भी अपने नहीं”

स्तुति मानो यह सुन के किसी गहरी नींद से जागी॥

“वोह सीख के गया मोहोब्बत मुजसे,अब जिससे करेगा बेमिसाल करेगा”

कहते है कोई रिस्ता रहे न रहे पर वोह इंसान ज़रूर रेहता है अपनी ज़िंदगी मे, क्यूंकी उसस ने हमे जो महसूस कराया है उसके लिए उसके जाने के बाद भी हम उसे जाने नहीं देते।

“कीमती था वोह इतना जाने न दिया उसे खो कर भी।”

के वो जो इंसान था, वोह जो सिचुएशन थी, वोह सिर्फ उसी लम्हे के लिए आई थी उसस के बाद इस्स चीज़ का कोई वजूद था ही नहीं ओर जब आप यह बात समज जाते है तो उनका न होना एक्सैप्ट करना आसान हो जाता है केसे ?

“उस गली ने यह सुन के सब्र कर लिया के वोह जाने वाले उस गली के कभी थे ही नहीं “

बस यह सुनते ही स्तुति के दिल मे कसक उठ गई, आखो का पानी गालो पे सर्जिकल स्ट्राइक कर ने की मंजूरी मांगे जा रहा था पररोक लिया स्तुति ने उसे, आखे मूँदे वोह आगे सुनने लगी,

जब आप किसी रिशते मे हो तो बिना कुछ बोले बोहोत सी लेन-देन ज़रूर होती है। एक दूसरे के गुण अवगुण की,अलफासो की, लहजे की जो अक्षर परमेंट टेटु बन के रेह जाती है जिसे निकालना मुमकिन हि नहीं।

मैंने खुद को गवाया था ओर हमे पाया था अब जब हमे गवाया है तो खुद को ही पाया है॥ हिसाब बराबर न !शायद हा शायद ना

बस जो बराबर नहीं है वोह है तुम्हारे गलत हिस्सो का मुजमे आना ओर मुझे किस्तों मे बिखेर देना, पर सामने ये भी है के मेरे गलत हिस्से अब तुम्हारे हवाले है जिनहोने तुम्हें भी कही ना कही बिखेर दिया ॥ हिसाब बराबर शायद हा

अब अगर हिस्सो की किस्सो की बात करू तो अब जो तुम्हारा गलत है वोह अब मेरा है ओर जो तुम्हारा सही है वोह तो पहले से मेरा था तो अब जो मे नया बनुगा वोह सिर्फ मेरा रहूँगा हिसाब बराबर ना ! हाँ हिसाब बराबर !!

टप टप टप। मूँदी हुयी आंखो से भी, पल्कों की सरहदे तोड़ के राहुल के लिए समेटी हुई सारी भावनाए, सारी बाते, आधी राते, वोह सारी सिकयाते, सारे सवालत ओर सारा प्यार बेहने लगा…

रोत्लू नहीं थी स्तुति समजदार थी सुना था लोग आखो से दिल मे उतरते है तो निकलेंगे भी आंखो सेही ना।नहीं रोकना था अब उसे तीन महीनो तक रोकके रखा था बहने दिया उसने राहुल को अपनी दो मासूम आंखो से …

उसस ने सब रिवाइंड किया ग्रुप चेट से फोन काल्स ओर आखिर मे याद आए अपनी बेस्ट फ्रेंड की बात सब बोयस एसे ही होते है यूस करके छोड़ दे! उसकी बहन की बात याद आई

“’स्तुति के दोस्त ना जब कुछ नहीं होते तो उसका सहारा लेते है हाथ थमते है पर जब लाइफ मे आगे बढ़ जाते है तो उसे ही भूल जाते है ओर छोड़ के चले जाते है,कोई हमे यूस करे उससे तो अच्छा तो हम किसी को छोड् दे।“

स्तुति ने खुद को देखा बीइंग यूस्द तो नहीं थी वोह सब से खीची – खीची रहने वाली स्तुति, किसी लड़के से बात न करनेवाली स्तुति, फॅमिली फंक्शन मे एक कोने मे सहमी सी रहने वाली स्तुति,खुदकों दूसरी खूबसूरत लड़कियो से कम समजने वाली स्तुति इस्स स्तुति का हिस्सा थी ही नहीं ॥

राहुल ने ही तो उसमे नया आत्म विश्वास जगाया था उसको अंदर से खूबसूरत बनाया था,अब तो शादी – ब्याह की जान थी, लोग उसे ही देखते रहते, लड़के भी काफी दोस्त थे बिना किसी हिच्किचहत वोह अपने मन की बात दुनिया के सामने रख पाति थी खुद से प्यार करती थी।

बचपन का सपना जो था ना उसका एक युनीक सी लवस्टोरी बनाना, किसी से प्यार होना,सब से छुपते मिलना, बात करना जिस चीज़ के वोह सपने देखा करती थी या यूं कहो जो कुछ फिल्मी कहानियो मे होता था वेसा डिटटो उसकी जीदगी मे हो रहा था ओर यही तो चाहिए था उसे।

आखो से आँसू बहने रुक गए ओर चेहरे पे एक संतोषवाली मुस्कान आ गयी, पर अब इस कहानी को अंजाम लाने के लिए केसे भी करके जानना पड़ेगा राहुल ने ब्लॉक किया तो आखिर क्यू ?

यह तो अब तेय था के राहुल उसकी ज़िंदगी मे बस उसे निखारने को उसे खुदसे मिलाने को ओर प्यार क्या होता है यह सीखाने आया था

जेसे कड़िया-काम वाले होते है जो मकान बनाके चले जाते है उसे घर ओर आशियाना तो कोई ओर ही बनाता है ना वेसे ही था राहुल भी ।

अब राहुल तक पोहचा केसे जाए उसस शाम लिफ्ट मेसे निकलते वक्त मिले तो लगा उन्ब्लोक् कर देगा पर नहीं

सोचो – सोचो अब किया क्या जाए

यू ट्यूब !!!!! हाँ जी हा यू ट्यूब पे नया फीचर आया था के आप अपने कोंटेक्ट लिस्ट से चेटिंग भी कर सकते है अपने एक्सीडेंट वाली बात बताई तो राहुल ने सीन किया पर कोई रिप्लाइ दिया ही नहीं अब स्तुति का दीमाग सटका, राहुल की इतनी कपसिटी

वोह जब ब्रेक-डाउन हो गई थी तब लिखी कविता उसने राहुल को सेंड की।

राहुल का रिप्लाइ आया, प्रयोरिटी आर चेंज आई हैव तू बी लाइक दिस।

कविता थी ही कुछ एसी दिल छु जाने वाली

हमारे बीच आई यह दूरिया खुद इस बात का सबूत है, हमारे बीच कभी नजदीकीय भी थी।

माना आज कोई भी बात मुझे बताना तुम ज़रूरी नहीं समजते, पर वोह भी एक डोर था जब बिना कोई बात बताए रेह ना पते थे तुम।

हाँ !अब दिवालीवालीबधाइयोकी भी उम्मीद तक नहीं की जा सकती तुमसे, अभी तक याद है वो मिन्नते जो जल्दी सोने के लिए रोज़ किया करते थे तुम।

हाँ ! नहीं भूलना है मुझे किया जो तूने मेरे साथ, पर पता नहीं क्यू रेह-रेह के याद आता है वो सब जो करना था हमे साथ साथ।

नहीं मैने रखती न वोह तारीखे जो आज तक मैंने सीने मे दबाये रखी है।

मानोगे भी के इन बढ़ती दूरियो की वज़ा मैं तो हरगिज़ नहीं हु, बना लो कोई बहाना जेसे बनाया करते थे तुम।

हमारे बीच कभी नज़दीकिया थी क्यूंकी दूरिया वही आती है जहा कभी नजदीकीया हो।

अब दिमाग चला जेसे बुलेट ट्रेन। शादी, वोह अगर शादी कर सकता है तो मेरी भी तो सगाई हो सकती है चाहे झूठ-मूठ की ही सही।!

अच्छा ! सून जनवरी की 24-25 को मेरे गाव मे मेरी सगाई होनेवाली है मेरे पापा के दोस्त के दोस्त का बेटा है, पुणे रेहता है, उसकी खुदकी ऑफिस है, मुजसे 3 साल बड़ा है, बोहोत प्यारा है, हैंडसम है, शादी तो 5-6 साल बाद होगी लेकिन सगाई अभी है अब यू ट्यूब पे फोटो तो भेज नहीं सकती न मे !!!

कोंगरेट्स ! बोहोत खुश हु मैं तेरे लिए !

एक सुभे एक शाम सारी मनघड़त कहानिया स्तुति फॉरवर्ड किया करती हमम या ओके कभी-कभी रिप्लाइ न आता पर वोह कोई कोमा मे चला गये मरीज को केसी सच्ची – झूठी बात करके होश मे लाते थे स्तुति भी कुछ एसी ही तरकीब इसतमाल कर रही थी ॥

अब मुझे उन्ब्लोक् कब करेगा ? ओर आखिरकार उसने उन्ब्लोक् कर दिया ! पर अब जादा झूठ का सहारा न नहीं ले सकी वोह उसने बता दिया के सब सरासर झूठ था सफ़ेद झूठ !

उसी रात।

राहुल : कॉल कर मुझे बात करनी है।

स्तुति : अभी नहीं कर सकती सब के साथ बेठी हूँ।

राहुल : अगर तुजे ज़रा सा भी एसा लगता है के हमारे बीच दोस्ती जेसा कुछ भी था तो फोन कर मुझे !

स्तुति : तू सचमे सोचता है क्या अभी कुछ भी बाकी रहा है हमारे बीच !

राहुल : हाँ !

स्तुति : मैं अभी नहीं कर सकती बात !

मन ही मन मैं हम तो दोस्ती निभाते रहे ओर आप हमसे मोहोब्बत कर के रिस्ता तोड़ गए। राहुलने मुझे दोस्त के बजाए उसकी ढेरो एक्स गर्ल फ़्रेंड्स मे से एक गिन लिया, गलत किया ॥

भावनाओ से सुरू हुआ रिस्ता शायद आज अनुभव पे खतम होगा

ओर वोह ऑफलाइन हो गयी थोड़ी देर बाद वॉइस मैसेज आया था राहुल।.

“हाई श्रुति ! पता नहीं केसे कहु पर चलो ट्राइ करता हु, देख हम जो भी बात करते थे जिस भी तरह की वोह सब बिलकुल लाइट नोट पे करते थे बराबर ना, देख, समज मुझे नहीं पता था के तूने स्वीटी से क्या बात की, ओर न मैंने यह जानने की तसदी ली मुझे लगा तूने मेरी सारी बाते स्वीटी को बता दी, जो मैंने उसे पहले से ही बताई हुई थी इस लिए कोई छुपा ने वाली बात थी नहीं उसमे पर मुझे लगा के तूने सब बता दिया ओर तुझे वोह सब बाते बताने की कोई ज़रूरत थी ही नहीं इसीलिए तेरी कोई गलती न होने के बावजूत मुझे तुम्हें ब्लॉक करना पड़ा।..

नही सुना गया आगे स्तुति से पहले तो यह स्तुति के बजाय श्रुति नाम वोह भी एक टाइम के‘मेरे’ राहुल के मुह से सुनना ही बरदाश के बाहर था, असपे से यह वजह।

दोस्त थे न हम तो !दोस्ती की नीव तो भरोसे ओर विश्वास पे टिकी हुई होती है ना ! प्यार तो ठीक उस ने दोस्ती भी न निभाई, उतना भी यकीन नहीं रहा उसको मुझपे के उसका बुरा हो उसका रिस्ता टूट जाए एसा काम मे ज़िंदगी मे कभी ना करू, मेरी सच्ची दोस्त कहता था न वोह मुझे इतना भी भरोसा न रहा ! यह उम्मीद नहीं थी इतना खोखला कारण मुजसे दूर जाने का

हिम्मत करके उसने आगे सुना,

हा मानता हु मैंने गलत किया, मे ने पागलो जेसा काम किया है पता है मुझे माफ करदे यार ! पर डर गया था मे बस। पता है गलत किया मैंने, मुझे तुजे पूछना चाहिए था के तूने क्या बताया ओर क्या कहा सोर्री मुझे माफ करदे।

नम आखो से उसने उसकी स्टोरी देखि लिखा था

“ completing with person whom you have hurt before is the biggest hindrance which occurs when you are completing with them but once you overcome it, you’ll be able to create wonders in that relationship!”

एसा लगा मानो कोई बवंडर आके चला गया क्या बोले क्या सोचे कुछ समज मे नहीं आ रहा था स्तुति को,6-6 महीनो के बाद उसे यह अक्कल आई ! क्या अब मे उसे माफ कर पाऊँगी यह रिस्ता पहले जेसा अब हो सकता है नहीं पता कुछ भी नहीं पता।

उसका मन अब शून्य पे सवार था अब किसी भी तरह की फीलिङ्ग्स नहीं रह गयी थी मन मे ना प्यार, ना अपनापन,ना मोह, ना गुस्सा, ना नफरत, ना सिकायत, ना विश्वास।

बहोत कुछ सीखने मिला था उसे पर अब नहीं फिर से हर्ट नहीं ही ना था फ्री मैं की बोहोत दुख मिल चुका था ओर वेसे भी ज़िंदगी मे प्यार – मोहोब्बत के अलावा बोहोत कुछ होता है, ख्वाब होते है, गोल्स होते है नहीं पता शायद यह हिन्दी फिल्मों का ही असर है के अंत मे हम हमेशा चाहते है के दोनों एक हो जाए ओर हॅप्पी एंडिंग हो जाए पर असल ज़िंदगी मे एसा नहीं होता॥ क्यूंकी वोह तो नदियो के भाति अविरत बहती रहती है, मोह मे उलज के रुकती नहीं अपना बहाव रोकती नहीं, तो ?

छोड़ो यार जब कोई न मिले खुद सा तो खुद को ही खुदा समज ओर खुद से ही प्यार कर !

कुछ अनकही कुछ अनसुनी बातें थी तेरे मेरे दरमिया।

कुछ पास कुछ दूर नजदीकीया थी तेरे मेरे दरमिया,

कुछ वक्त की बेरहमी कुछ तेरी मेहरबानी थी तेरे मेरे दरमिया

वो पल भर की खुसी वो फलभर का गुस्सा कुछ एसा मिजाज था तेरे मेरे दरमिया।

जो तू ना समाज सका ओर जो ना मे कह सकी वो जज़्बात था तेरे मेरे दरमिया।

अब तो यही दुवा है जो है, जो था, जो न हुआ बस वही रहे तेरे मेरे दरमिया।।

कल राहुल ने स्तुति को बुलाया है, स्तुति जाएगी ज़रूर, पर न अब ना ‘मेरा’ राहुल होगा ना ही स्तुति उसकी क्यूंकि कभी थी ही नहीं।


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