STORYMIRROR

सम्मान

सम्मान

1 min
1.7K


#सम्मान


पूरे दो साल बाद आया था मैं। अपने हाथों से एक मनीप्लांट लगा कर गया था जो अब बड़ा हो गया है। बड़े भैया रोज इसे पानी देते हैं। उन्हें लगता है घर में बरकत आती है इससे और रुपये पैसे की कमी नहीं रहती।

मैंने भैया-भाभी को प्रणाम किया। भाभी का चेहरा मुरझाया सा लग रहा था। दुबली भी लग रही थीं। आँखों के नीचे कुछ चिंता और दर्द झलक रहा था। भैया मुझे मनीप्लांट दिखा रहे थे


"देख छोटे तेरे लगाए इस मनीप्लांट को! कितना हरा भरा हो गया है"

मैं अब भी भाभी के मुरझाये चेहरे को देख रहा था। पूछ बैठा..

"भाभी का चेहरा क्यूँ पिला पड़ गया है भैया?"

भैया ने एक बार भाभी को बड़ी अजीब नज़रों से देखा। फिर मनीप्लांट को देखने लगें

"तेरी भाभी और मनीप्लांट में फर्क है छोटे। इस पौधे को सिर्फ समय से पानी और धूप चाहिए बाकी ये खुद ही अपना जीवन सँवार लेते हैं। तेरी भाभी को क्या चाहिए मैं जान ही नहीं पाया।"

"सम्मान चाहिए भैया! और आपका प्यार.. बस इतना ही काफी है। बाकी ये खुद ही आपकी ज़िंदगी भी सँवार देंगी"


विनय कुमार मिश्रा।


এই বিষয়বস্তু রেট
প্রবেশ করুন

More hindi story from विनय मिश्रा

Similar hindi story from Drama