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Shafali Gupta

Children

3.9  

Shafali Gupta

Children

स्कूल की यादें

स्कूल की यादें

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स्कूल "या एक पढ़ाई का मंदिर"

स्कूल जिन्दगी का एक ऐसा पड़ाव है जिसमें हम पहली बार अपने परिवार से अलग होकर बाहर की दुनिया में कदम रखते है। स्कूल हर किसी के जीवन में बहुत महत्व रखता है क्योंकि वही से हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। पहली बार हम जब स्कूल जाते है तो कितना रोते हैं की स्कूल नहीं जाना घर जाना है। फिर कुछ समय बाद जब हम स्कूल छोड़कर जाते हैं तो हमें स्कूल छोड़ने का दुख होता है की दोस्त पीछे रह जायेंगे जिनके साथ हमने मस्ती की, एक टिफिन में से खाया, कागज की बॉल बनाकर खेलते थे और टीचर को परेशान करते थे। कभी-कभी इसकी हमें सजा मिलती थी लेकिन उस सजा में भी मज़ा था। स्कूल में दोस्त बनाना, होमवर्क ना करने पर बहाने बनाना और जब एक दिन स्कूल नहीं जाते थे वो अगले दिन टीचर को कहनी सुनना। एक दोस्त की पिटायी होने पर अपना हाथ भी आगे कर देना फिर बाद में खिल खिला के हँसना। "वो दिन भी क्या दिन थे"

"दोस्तों स्कूल की यादें सुनहरी यादें है जो कभी भूली नहीं जा सकतीं। वो स्कूल के दिन कितने अच्छे थे, मैं आज भी उन दिनों को याद करती हो"



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