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Madhuri Gambhir

Inspirational

4  

Madhuri Gambhir

Inspirational

सीख

सीख

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गाड़ी गली की ओर मुड़ने लगी थी.... नताशा का दिल खुशी से उछल रहा था.... लग रहा था बचपन दौड़-दौड़कर उसे बुला रहा था.... वह स्कूल के लिए लेट हो रही थी और मां खाने की थाली लिए उसके पीछे-पीछे खुद को भुलाए भाग रही थी....कितने अच्छे थे बचपन के दिन....लगता था अपने घर की रियासत के राजकुमार-राजकुमारी हो....पैर ही जमीन पर नहीं पड़ते थे.... 

गेट के पास जैसे ही गाड़ी रुकी नताशा सब भुला कर भाग गई अपने महल की ओर. .... भई सच है....मायके से बड़ी इस दुनिया की कोई रियासत नहीं होती..... पागलों की तरह भागती नताशा....दादी के गले लग गई. .... मां-बाप और भाई से लाड लडाया उसके बाद नई-नवेली भाभी से मिलने को दिल बेचैन हो उठा.... 

" सबसे लास्ट में याद आई भाभी की.... सही है दूसरे घर से जो आई है".... तभी मीरा बोली..... मीरा बहुत सालों से नताशा के मायके में सफाई का काम कर रही थी..... इसीलिए बिना सोचे समझे कभी भी, कहीं भी मुंह खोल देती थी.... मां और दादी, मीरा को घर का सदस्य समझती थी और इसीलिए उसकी ऐसी बातों को इग्नोर कर देती थी..... लेकिन मीरा की यह बात.... नताशा के दिल पर लग गई और उसने उसी समय भाभी से माफी मांगी.... 

" सॉरी भाभी, वह मायके आने की इतनी खुशी होती है की सब भूल जाती हूँ.... लेकिन प्रॉमिस आगे से सबसे पहले आप से मिलूंगी"

नताशा कुछ झिझकते हुए बोली.... उसे डर था कि कहीं उसके इस बचपने से भाई की गृहस्थी खराब ना हो जाए.... 

नताशा को अपराध बोध से ग्रस्त देखकर मीरा मुस्कुराने लगी.... नताशा की भाभी स्वीटी ने उसी समय नताशा को अपने पास बुलाया और उसके गाल खींचते हुए बोली..... " पगली, तेरे इस बचपने में मुझे अपना बचपन नजर आता है.... पता है जब मैं मायके जाती हूं तो तेरी तरह सुध बुध गंवा बैठती हूं..... मैं भी पहले अपने दादा दादी से मिलती हूँ....फिर मम्मी पापा से उसके बाद भैया का नंबर आता है....फिर कहीं जाकर भाभी को मेरे दर्शन होते हैं.... और एक राज की बात बताऊँ.... वह भी मेरे इस बचपने पर बहुत खुश होती है..... मैं तो उन्हें यह खुशी हर बार देना चाहती हूं लेकिन मेरी खुशी तेरे हाथों में है.... तो नताशा जी आगे भविष्य में भी मुझे यह खुशियां मिलती रहेंगी या इनका एक्सपोर्ट बंद हो जाएगा.... "

स्वीटी की बात सुनकर नताशा खुशी से रो पड़ी..... मीरा ने भी शर्म से अपनी गर्दन झुका ली थी.... स्वीटी ने बहुत समझदारी से मीरा की बदतमीजी का जवाब दिया था और उसके बढ़ते पहले कदम को ही रोक दिया था..... दादी और मां भी मुस्कुराए बिना ना रह सकी..... उन्हें सीख मिल गई थी कि गलती किसी की भी हो उसे बढ़ावा नहीं देना चाहिए। 


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