सीधी विनायक
सीधी विनायक
"सीधी विनायक" एक प्रेम कहानी जो लेखक "राहुल ", द्वारा लिखी गई है। आमतौर पर वो वास्तविक जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि " प्रेम शब्द दो भागो में बटा हुआ है", पहले हम जीवन में जो करते है वो कही न कही हमसे जुड़ा होता है और हम वो जीने के लिए करते है, प्रेम का मतलब यह नहीं है की प्रेम यह लड़की या लड़के से हो, प्रेम तो हर चीज से है, प्रेम हम अपनों से भी करे है और वस्तुओ से करते है, दूसरा लेखक प्रेम शब्द का अर्थ अपने और हमारे जीवन से करते है जो आज के युग में हो रहा है, वो प्रेम शब्द को सरल भाषा में कहते है, प्यार एक एहसास है जो दो लोगो में बट्टा है, पहला जो प्यार करके कुछ पाने की चाहा रखता है और दूसरे जो अपनी भावनाओं को अपने तक रखता है। लेखक राहुल अपने विचार से यह कहना चाहते है, प्यार का मतलब किसी को पाना नही होता, प्यार जरूरी नहीं दो लोगो में बटे प्यार वो है बिना चाहा रखे किसी को अपना सारा जीवन दे देते है ।
लेेेेखक अपने विचार कुछ इस प्रकार से रखतेे हैं।
"प्यार चाहा न , न शोक हो
तोह प्यार क्या"!
"वो न जो जान दे ,भुला दे
प्यार न हो"!
वह इस वाक्य के द्वारा कहते है, " प्यार करके हम चाहत रखते है वो प्यार नही है, प्यार में चाहत नहीं होती, वो मिलेगा भी या नहीं इसकी चाहत रखना ये प्यार नही है, प्यार तो ये है जो साथ ना होके भी हम दर्द को अपना लेते है और बिना चाहत से किसी को बहुत प्यार करते है, सारी उमर करते है।"
दूूसरे वाक्य में " प्यार का मतलब ये नहीं है कि हम उसकी यादों में खो जानाा ,
मर जाना या किसी तरह का रोग, इस से हम अपने प्यार का भी अपमान करते हैैं।"
" सीधी विनायक " जो "राहुल" केे द्वारा लिखी गई हैं, इस में वो कालनाापिकल तौर से एक प्यार कहानी को बहुत ही अच्छी तरह से आज के युग को सच्चे प्यार का मतलब बताया है।"
१३ मई, ईद । आज ईद है।
"अब्दुल रशीद" जो एक जेलर साहब हैै , जो पिछले २० सालो से इंदौर की जेल में जेलर और बहुुत खटोर है।
कल उनकी बेटी की शादी है, जिसका नाम "रुकसााना भेगम" है। आज वो खुश भी है, उनकी बेटी की शादी है।
ईद का दिन है सब एक दूसरे को ईदी दे रहे हैं।
जेल का आखिर कमरा, बस एक खिड़की है।
वहा से रोशनी आती है, बस वही एक ऐसा कमरा है जो सबसे अलग है , यहां से रोशनी तो आती है लेकिन फिर बी अंधेरा रहता है, उस कमरे में पिछले ५ वर्ष से " विनायक " का मुजरिम है, जो ना किसी से बात करता है ना जेल से बाहर आता है बस, जेल की दीवार के कोने में बैठ कर यही बोलता है "सिद्धी ", देखने में " विनायक " बहुत परेशान लगता है, आंखों में नामी, सिर के बाल काफी लंबे है।
अब्दुल रशीद, "आज भी उदास बैठे हो, मैंने इन २० सालो में ऐसा मुजलिम नही देखा, किस सोच में हो, आशिक हो?".... विनायक से बहुत ही सरल भाषा में!!
विनायक, "चुप चाप"।
उसी रात।
तेज बारिश ।।
बारिश में भीगते हुए एक लड़की जो बहुत तेज बारिश में जैल के सामने से आती है, देखने में वो अच्छी लग रही है, बनारसी साड़ी डाली हुए है, माथे पे बिंदी है और मांग में सिंदूर।
हाफते हुए, लड़की जेलर से।
क्या में विनायक से मिल सकती हूँ "लड़की"
अब्दुल रशीद, "आपको विनायक से मिलना है "
हाफ्ते हुए, "लड़की"
अब्दुल रशीद, " इन ५ सालो में आज तक उसका कोई पता नहीं करने आया तुम कहा से"
लड़की, " मेरा नाम सिद्धि है,"
यह सुन के ही अब्दुल रशीद के मुंह से पान बाहर आ जाता है, " तुम हो सिद्धि, "
हां, वो मेरे पति है, क्या में मिल सकती हूँ ?"सिद्धि"
यहा से आखरी कमरा है, "अब्दुल रशीद"
सिद्धि जाती है, और जाते ही, विनायक के कंधे पे हाथ रखती है, और विनायक जैसे है पीछे देखता है, सिद्धि को देख कर बिना कुछ बोले, बस देखता ही रहता है और बिना कुछ बोले, आखों में आसूं और खामोश रहता है।
सिद्धि उसके मुंह पे और कंधो पे हाथ फेरते फेरते है और गले लगा लिया है, जोर आवाज में चिलाते हुए,
"मुझे माफ कर दो, मैंने बहुत धीर कर दी, मुझे माफ कर दो विनायक"
विनायक एक दम से पीछे, हो कर चुप चाप चिलता है, और कमरे में पड़ा समान नीचे फेंक देता है।। और चिलाने लगता है, जोर जोर से!
वहा से अब्दुल रशीद आते है, और सीधी को बाहर ले जाते है, !
सिद्धि वहा से आ जाती है और सड़क पे रात के समय जाते हुए, कुछ पलों को याद करते हुए जा रही है, आखों में आंसू है।
वही दूसरी और विनायक जेल में बैठा हुआ है, और खिड़की के पास बैठ के रो रहा है और अपनी जिंदगी के कुछ पलों को याद कर रहा है।
१० (10) साल पहले!!
आगे पढ़े के लिए , शेयर करे और भाग: 2 जल्द ही।
- "सिद्धि विनायक"
भाग: 2
भाग 1 : में देखा अपने देखा सिद्धि विनायक से मिलती है और अपने पुराने दिनों को याद करते है, और दूसरी तरफ विनायक जो जेल में है, वो भी सिद्धि को देख कर बेचैन हो कर अपनी जिंदगी के कुछ पलों को याद करता है। अब आगे!!
तेज हवाएं और सुनसान सड़क पर, सिद्धि चलते हुए अपने पुराने पलों को याद करते हुए,
१० साल पहले
इंदौर, दिवाली का दिन।
"सिद्धि और विनायक", सारा बचपन साथ में, स्कूल से लेकर कॉलेज तक दोनो ने साथ, ये दोनो बचपन से दोस्त है, और बहुत अच्छे दोस्त है, अगर एक को दर्द होता है दूसरा खुद रो देता है, ऐसा प्यार बहुत कम देखने को मिलता है, सिद्धि की सुबह विनायक से होती है और शाम भी, दोनो एक दूसरे को ऐसे चाहते है, जैसे मानो कभी इन्होंने सोचा नहीं हो, हम अलग नही होगे। बचपन से दोनो साथ है लड़ते है झगड़ते है, लेकिन बाद में दोनो एक दूसरे को गले लगा के सारी बाते भुला के वापिस साथ हो जाते है, कुछ इस तरह का रिश्ता है "सिद्धि और विनायक" का,।
इनकी दोस्ती में एक "अयान" भी है, जी हां "अयान" इनका दूसरा दोस्त, और विनायक की एक खास दोस्त "तन्वी"! ये चारो बचपन से साथ है।
वापिस आते है, दिवाली का दिन।
देख विधु आज दिवाली है हर बार की तरह रंगोली में बनाऊंगी, अगर तूने खराब की न में मां को सुनाएगी ", ""सिद्धि""
"और तू भी सुन ले, अगर तूने मम्मी को सुना के मुझे डांट पड़वाई ना मेरे से बुरा कोई नही होगा", ""विनायक""
तुम दोनो ने वापिस लड़ना शुरू कर दिया, बचपन से लड़ रहे हो अब तो कॉलेज में आ गए हो। "मां" ( सिद्धि की मां )
मां, ये सिद्धि है, जो हर बार मुझे डांट पड़वाती है, " विनायक सिद्धि की मां से"
हां, मां यह झूट बोल रहा है.. "सिद्धि अपनी मां से "
मुझे तुम दोनो के बातों में नही बोलना, वापिस तुम दोनो साथ हो जाते हो, "सीधी की मां से "
ऐसा है कुछ रिश्ता, सिद्धि और विनायक का, बचपन से साथ है और दोनो परिवार में आपस में बहुत प्यार है।
सिद्धि की मां "मीना", जो आचार और पापड़ का काम करती है, और सीधी के पिता "दिया राम" और मशहूर हलवाई है।
दूसरी तरफ, विनायक की मां "गीता" जो बेकरी चलाती है, विनायक के पिता "केशव राय" जो नही है, जब विनायक छोटा था, वो बचपन में चले गए थे, किसी और औरत के साथ। इंदौर में नही, सुनने में आया है, वो दिल्ली में रहते है, वहा पर उसकी एक बेटी और बेटा भी है, और दूसरी शादी कर ली है, और मशहूर बिजनेस मैन है।
विनायक और सीधी, दोनो साथ स्कूल से लेकर कॉलेज तक, अब तो सीधी की शादी की उमर बी होने पे आ गए है। विनायक जो सिद्धि को चाहता है, लेकिन उसको बताता नही है, क्युकी वो डरता है, में सीधी को खो न दू , वो सीधी वो खुश और साथ देखना चाहता है, बस इसलिए वो अपनी दोस्ती में प्यार को छुपा लेता है।
"अयान" जो इनका दोस्त है, यह भी सिद्धि को चाहता है, लेकिन यह बहुत अमीर घर से आता है, इसके पिता जाने माने हीरो के वेपरी है.
"तन्वी", विनायक की खास दोस्त जो, इस में कहानी की कुछ खास है, "तन्वी" सिद्धि और विनायक को हमेशा साथ देखना चाहती है।
ये चारो जो स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ रहे है, चाहे बाहर जाना हो, घूमना हो चाहे कुछ भी हो।
लेखक राहुल, "सिद्धि और विनायक" के मध्यम से सच्चे प्यार का वर्णन करते है, सिद्धि और विनायक, किसी प्यार का नाम नहीं है, ये एक सोच समझ कर रिश्तों की माला में प्यार के मोती धारण करने का विचार करती है!
इंदौर, जेल।
आज का दिन !!
"विनायक", बैठा हुआ रो रहा है, वही से जेलर " रशीद खान" आता है, और बहुत ही सरल भाषा में उसको पूछता है।
" वो लाल साड़ी वाली तेरी बीवी थी "
विनायक चुप चाप, रोते हुए और हस्ते हुए बोलता है, "फरक क्या पड़ता है"
जेलर विनायक से, "बहुत दर्द देखा है तूने"
विनायक आंखों झुका के, "नही समझोगे"
जेलर चुप चाप वहा से चला जाता है, और बाहर आ कर अपने केबिन में जाता है, और विनायक की क्राइम हिस्ट्री को देखते हुए, देखता है इसने गुनाह क्या किया है।
और जैसे ही देखता है और फाइल नीचे गिर जाती है, गुनाह है अपनी बीवी की जान ले है, मर्डर !!
क्या हुआ, लेखक "राहुल" के शब्दो में आ गए, अगर सिद्धि उसकी बीवी है तो वो जेल में क्यों, ?
विनायक की दोस्ती और प्यार में कोन जीतेगा और अयान क्या चाहता है?
प्यार अगर सच्चा था तो विनायक अपनी बीवी की मौत के लिए जेल में क्यों ?
सीधी अगर उसकी बीवी है वो जिंदा क्यों?
सारे सवालों के जवाब मिलेगे, पड़ते रहे "सिद्धी विनायक"
- भाग:३ जल्द ही।।।।
भाग : ३
भाग: 2, में देखा जब, जेलर "रशीद खान" को पता चलता है, ये अपनी पत्नी को जान लेने के कारण जेल में है। अब आगे।
रशीद खान, जब ये देखता है गबरा और हफ्ता हुआ, विनायक के पास जाता है और उस के पास जा कर फाइल उसके सामने फेंकता है, और पूछता है "ये तुम्हारी क्या लगती है, अगर तेरा इश्क सच्चा है, तो तू ये पे क्या कर रहा है"
विनायक हस्ते हुए, पास जाता है और फाइल पकड़ कर बहुत ही, दुख बरी आवाज में बोलता है,
"मेरे लफ्ज़ नही मेरा दिल बोलेगा, बोलेगा भी क्या टूटा हुआ दिल तो रोना भी भूल जाता है "
रशीद खान, "देख में कल रिटायर को जाएगा अपनी नौकरी से भी और अपनी जेमीदारी से भी मेरी बेटी की शादी है, अगर में किसी काम आ जाऊं"
विनायक, हस्ते हुए " टूटे हुए ख्वाब का क्या सुनना, जो भुने भी हमने थे, अब टूट गए तो सुन के क्या करोगे"
रशीद खान, " मुझे इतना तो नही पता तेरी जिंदगी में हुआ क्या है, लेकिन इतना जरूर बता सकता हु, प्यार की दुनिया में अमीर गरीब सब लूट जाते है, तुम तो गालिब हो महसूस करके देखो किनारे की नही मिलने की जरूरत है"
विनायक, "किनारे वहा मिलते है, यहां मंजिल एक हो, सुनो यह कहानी मेरी है"
अधूरा न अपना हुआ न होने दिया किसे और का।
विनायक, कॉलेज स्कूल से लेकर हर चीज में टॉप करने वाला चाहे पढ़ाई हो या खेल।
देखने में लंबा है, फिट और हॉट लड़का। सिद्धि, जो नाम के जितनी ही सिद्धि है, और विनायक के बचपन की दोस्त भी है।
अयान और तेजस्वी भी हमारे खास दोस्त है।
आज वो दिन था, जब हम चारो कॉलेज से पास हुए और इन ३ सालो में हम दूसरे के लिए सब किया है, अच्छा दोस्त बनके सारे गलत काम। अयान, सिद्धि को चाहता है और उसके साथ शादी करना चाहता है। लेकिन उसने आज तक सीधी को बोला हे नही। अयान चाहता है आज कॉलेज का आखरी दिन है, और आज बोल देना चाहे, लेकिन को मोका नही देख पा रहा है। जब भी बोलने जा रहा है कोई न कोई सामने आ जा रहा है।
आखिर कार, सीधी और अयान मिल ही गए। और अयान उसको बड़े ही प्यार से बोलता है कैंटीन में चले। सीधी बड़ी ही आसानी से चली जाती है।
और अयान आगे कुछ बोलता की। वहा से विनायक भी आ जाता है, विनायक के आते ही अयान अपनी बात को घुमा देता है। और आज के दिन भी वो अपने प्यार का इजहार नही कर पता है।
तेजस्वी, भी विनायक को आज के दिन बोलना चाहती है वो उस से प्यार करती है लेकिन बोल नही पाती।
इस तरह आज के बाद ये दोबारा कब मिलते उस पहले । अयान ने बड़ी ही फिल्मी अंदाज में कॉलेज के कैंपस के आ कर सबके सामने सीधी का नाम लेकर अपने प्यार का इजहार कर दिया। यह सुनकर और देखकर सीधी को बिलकुल अच्छा नही लगा और वो वहा से चली गए।
अयान खुद भी शर्मीदा हो गया वो सीधी से माफी मांग ही नही पाया।
सीधी ये देख कर विनायक को गले से लगा कर रो रही थी, यह देख कर अयान को बिलकुल भी अच्छा नही लगा और वो तेजस्वी को विनायक के खिलाफ बड़कता
है।
सीधी और विनायक दोनो के परिवार एक दूसरे को जानते है। विनायक की मां चाहते है सीधी उनके घर की बहु बने। लेकिन सीधी के पिता नही चाहते है। वो चाहते गौ सीधी किस अच्छे और पैसे वाले के साथ शादी करे। अयान की पिता एक अच्छे बिजनेस मैन है और मार्केट में उनका बहुत ही अच्छा नाम है। अयान, सीधी को बहुत चाहता है और वो उसको पाने के लिए कुछ भी कर सकता है।
सीधी बचपन से विनायक को चाहते है। और वो उसके साथ बचपन की यादों की तरह रहना चाहती है।
विनायक की मां, सीधी के पिता से उनकी शादी की बात करने जाते ही है। सीधी के पिता उनको बहुत बुरा बाला बोल के घर से निकाल देते हैं।
पड़ते रहे सीधी विनायक
भाग ५ जल्द ही।।

