शिक्षक की डांट
शिक्षक की डांट
शिक्षकों की डांंट में प्रेम छीपा रहता है।इस बात को शायद छोटे बच्चे नहीं समझ पाते हैं।एक दिन कक्षा में अध्यापक जी ने नवीन को डांटकर कहा "नवीन प्रतिदिन तुम्हारा होमवर्क पूरा नहीं बना रहता है। सही से पढाई करो अन्यथा मजबूरन मुझे तुम्हें कक्षा से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ेगा।"इतने में ही नवीन आग-बबूला हो गया।
उसकी आँखें लाल हो गई। शिक्षक ने उसके मनोभावों को भाँप लिया। पीठ पर हाथ रखकर शिक्षक ने कहा"बेटे मैं जितना प्रेम अपनी संतान से करता हूँ उतना ही तुम सब से भी करता हूँ।
इतनी-सी बात क्या कह दी मैंने तुम इतने असंयमित हो गए।
जानता हूँ तुम्हें अभी अच्छे बुरे की समझ नहीं है।मुझे इस बात का दुख नहीं कि तुमने आज मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया।बेटे अच्छे से पढ़ाई करो बस इतना ही कहूंगा।तुम्हारा भविष्य निश्चित ही बेहतर होगा।नवीन अब सामान्य हो चूका था। पश्चाताप के आंसू उसकी आँखों में दिखाई देने लगे। आगे से उसने कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ने का वचन लिया।आज शिक्षक की डांट और अच्छी बात ने नवीन को पूरी तरह बदल कर रख दिया था।