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सही

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रविना आज बहुत उदास थी और किसी भी काम में आज उसका मन नहीं लग रहा था । जब से देहरादून से लौटी थी तब से ही उसका मन बहुत विचलित था और रह - रहकर उसे वही सब बातें याद आ रही थी जो उसे अपने घर देहरादून में अपनी माँ से सुनने को मिली थी कृष्णकांत दयाल जी की दोनों बेटियों के बारे में । कृष्णकांत दयाल जी उनके पड़ोस में रहने वाले पोस्टमास्टर है और उनके घर में उनकी शशिलता के अतिरिक्त उनकी दो बेटीयाँ कामना और स्मिता थी और दोनों ही रूप - रंग और गुण - स्वभाव में बहुत ही अच्छी थी और हर माँ - बाप की तरह कृष्णकांत जी और शशिलता जी को भी अपनी दोनों बेटियों के विवाह की चिंता लगी रहती थी । कामना उनकी बड़ी बेटी थी जो एक सरकारी अध्यापिका थी वहीं देहरादून में तो स्मिता इंजीनियरिंग की पढाई कर रही थी और दोनों ही अपने जीवन में प्रगति के पथ पर आगे बढ रही थी । कृष्णकांत जी की चिंता अब शायद खत्म होने वाली थी इसीलिए तो उन्हीं के साथ काम करने वाले उनके सहायक वेदनाथ जी ने कामना के लिये अपने किसी दूर के रिश्तेदार के सुपुत्र के लिये कामना की बात छेडी और कृष्णकांत जी को चाहिये क्या था उन्हें तो एक सुकून सा मिल गया तो इसीलिए उन्होंने उन्हें लड़केवालों से बात करने और कामना को देखने के लिये हामी भर दी और फिर लड़का सिविल इंजीनियर था तो उन्हें कामना के लिये वो मुफिद लगा और इसीलिए उन्हें इस रिश्ते में कोई बुराई नजर नहीं आयी और फिर वेदनाथ जी तो उनके साथ सालों से थे और वो भी कामना स्मिता को अपनी बेटियों की तरह मानते थे इसीलिए इस रिश्ते पर उन्हें पूरा भरोसा था और फिर जिस तरह से उन्होंने सोमेश और उसके घरवालों की प्रशंसा की थी उससे उन्हें यह रिश्ता और भी ज्यादा भा गया था । सोमेश और उसके घरवाले नियत दिन कामना को देखने आये और कृष्णकांत जी के साथ - साथ कामना को भी सोमेश का व्यवहार बहुत सही लगा और आखिरकार सभी तरह से जानने के बाद सोमेश और कामना की शादी हो गयी और कामना अपने ससुराल दिल्ली आ गयी तो दूसरी तरफ स्मिता की जिंदगी में भी एक नया पडाव लेकर अनिकेत आये थे और अनिकेत जो के उन्हीं के कॉलेज प्रोफेसर बन कर आये थे और स्मिता और अनिकेत को पता ही नहीं चला के , कब उन दोनों के बीच एक प्यार का रिश्ता बन गया और जब कृष्णकांत जी को स्मिता ने इस बारे में बताया और उन्होंने जब अनिकेत को जाना तो उन्हें भी वो स्मिता के लिये सही लगे और इस तरह स्मिता की भी अनिकेत के साथ शादी हो गयी । कृष्णकांत जी और शशिलता जी बहुत खुश थे के , उनकी बेटियों को ना सिर्फ अच्छे जीवनसाथी मिले थे बल्कि दोनों ही अपने गृहस्थी जीवन में सुखी थी और दोनों को ही कोई परेशानी नहीं थी और सबकुछ बहुत अच्छी तरह से चल रहा था और दोनों ही बेटियों की शादी को तीन साल हो गये थे और अब तो कृष्णकांत जी और शशिलता जी की बस यही कामना थी की जल्दी से वो नाना -नानी भी बन जायें लेकिन उन्हें क्या पता था के , बहुत जल्द उनकी खुशीयों को ग्रहण लगने वाला है और वो भी ऐसा जो उनके पूरे जीवन को ही अंधकारमय बना देगा । एक दिन ऐसे ही कृष्णकांत जी सुबह जब जागे तो उनका मन बहुत विचलित हो रहा था और किसी बहुत ही बड़ी अनहोनी का अंदेशा उन्हें हो रहा था और दोपहर तो उनका संशय हकीकत बनकर उनके सामने खड़ा था जब उनकी दोनों ही बेटियों की आकस्मिक हत्या की खबर जब उन्हें मिली पुलिस द्वारा और उन्हें एकबारगी तो विश्वास ही नहीं हुआ लेकिन जब पोस्टमार्टम रूम में उन्होंने अपनी दोनों बेटियों की मृत देह को देखा तो वो पूरी तरह से टूट गये और जब पता चला के , उनके हत्यारे कोई और नहीं बल्कि वही दो शख्स थे जिनके हाथों में उन्होंने अपनी बेटियों के हाथ सौपें थे और जिन्हें उनके अच्छे जीवनसाथी समझकर वो निश्चिंत थे । कृष्णकांत जी और शशिलता जी की तो दुनिया ही खत्म हो गयी थी जब उन्हें सारी सच्चाई पता चली सोमेश और अनिकेत की दरअसल दोनों ही सभ्य और नेक इंसान का मुखोटा लगाये एक दरिंदे ही थे और जहाँ सोमेश को शराबी और जूऐँ की लत थी वहीं अनिकेत पहले से ही शादीशुदा और एक बच्चे के पिता थे । सोमेश और अनिकेत का कहर तो दोनों पर पहले ही दिन से शुरू होना शुरू हो गया था और दोनों ने ही कामना और स्मिता को शारीरिक यातनाओं के साथ - साथ मानसिक यंत्रणाओं को देने में कोई कमी नहीं रखी और दोनों के ही घरवाले मुकदर्शक बने उन्हें यही सलाह देते रहे के , वो पत्नीयां है उनकी और एक औरत अपने घर संसार को बनाये रखने के लिये कुछ भी कर जाती है तो अपने पति को सही रास्ते पर भी ले आती है और कोशिशें तो दोनों ने ही बहुत की लेकिन दोनों ही नाकाम रही क्योंकि कोशिश कभी एकतरफा सफल नहीं होती और उनकी यही कोशिश उनकी मौत की वजह भी बन गयी । जिस दिन यह हत्याऐं हुयी उस दिन दोनों ही सोमेश और अनिकेत को समझा ही रही थी की, वो अपने आपको बदले और सही राह पर आ जाये लेकिन यही बात दोनों को नागवार गुजरी थी और बात इतनी हद से ज्यादा बढ गयी की , अनिकेत ने स्मिता को छत से नीचे फेंक दिया और कामना को गला दबाकर मार दिया गया । रविना समझ नहीं पा रही थी की चुनाव कहाँ गलत हुआ था ? दोनों ही सही थे मगर दोनों इतने गलत होंगे यह विश्वास नहीं हो पा रहा था


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