शब्द कहाँ चले जाते है?
शब्द कहाँ चले जाते है?
आज घर में पढ़ते हुए बेटे ने उससे पूछा था, "मम्मा, स्लेट पर लिखें हुए शब्द मिटाने पर कहाँ गायब हो जाते है?" उसने झट से उसे चुप कराते हुए कहा, "बंद करो यह तुम्हारे फालतू सवाल।चुपचाप अपना होम वर्क पूरा करो।मुझे और भी काम करने है।"
रात को सारे काम खत्म करने के बाद वह पलंग पर लेट गयी।अचानक उसे बेटे की वो शब्द मिटाने वाले सवाल की बात याद आयी।उसके जहन में बहुत सी बातें कौंध गयी जैसे उसका लिखा वह पहला खत! जिसे उसने घर वालों के डर से पानी मे फेंक दिया था।पानी मे भीगने के बाद भी उस खत के सारे शब्द धुँधले हो गए थे लेकिन फिर भी इतने सालों के बाद भी उस मजमून का एक एक शब्द उसको याद था।उन सुनहरे पल में वह खो सी गयी।वे सारे जादुई पल उसके सामने किसी चलचित्र की भाँती घूमने लगे।
अचानक कमरे में आहट हुयी।शायद पति उसे पानी के लिए पूछ रहे थे।
अनमने ढंग से उठकर उसने उन्हें पानी दिया। किचेन से लौटते हुए उसको लगा कि बेटे को जगा कर बता दूॅं की शब्द मिटने पर कही नहीं जाते।वे दिल-दिमाग पर अपनी गहरी छाप छोड़ देते है,और बेपरवाही से गाहे-बगाहे, वक्त-बेवक्त याद आते रहते है...
वह खामोशी से पलंग पर आकर लेट गयी। पति आज बातें करने के mood में थे।वह अनमने ढंग से बैठी रही,आज उसके शब्द फिर कही खो गए थे....