शांत मौत

शांत मौत

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"ये पांच नम्बर वाले बेड के बाबा बहुत परेशान करते हैं ।"

ड्यूटी पर आई नई नर्स ने हेड नर्स से कहा ।

"वो बिल्कुल अकेले हैं। कैंसर की आखिरी स्टेज है। पता नहीं कब ....!"

हेड नर्स ने अधूरे छोड़े वाक्य में भी सब कुछ कह दिया।

नयी नर्स ने फिर उत्सुकता दर्शायी।

"उनके पास कभी किसी को नहीं देखा।"

"परिवार के लोग यहाँ सरकारी अस्पताल में फेंक कर चले गए। रजिस्टर में पता भी गलत दर्ज कराया। बाबा से शायद छुटकारा पाना चाहते थे। पिछले दो महीने से बाबा यहीं हैं। बचने की कोई उम्मीद नहीं। बस दिन -रात यही पूछते हैं -मुझे कोई मिलने नहीं आया !"

हेड नर्स ने गहरी सांस लेकर बाबा का दर्द बयान किया।

नयी नर्स ने बातचीत ज़ारी रखते हुए हेड नर्स से कुछ स्पष्टीकरण मांगा ---“दीदी आप जब परसों बाबा को एक खत पढ़ कर सुना रहीं थीं!”-----नई नर्स ने ख़त की बातें दोहरायीं

" पिताजी,आप कैसे हैं ? हम सब ठीक हैं। काम में बहुत व्यस्त हैं। जल्दी ही आपसे फिर मिलने आएंगे। आप जल्दी ठीक हो जाएंगे ।हम सब आपको बहुत याद करते हैं।"

"लो बाबा, आपके बच्चे जल्दी आएंगे। अब दवा खा लो।"

नयी नर्स ने ख़त की बातें दुहराते हुए संवेदनापूर्ण दृष्टि से हेड नर्स की देखा। कुछ रुकी फिर उसकी आवाज़ उस सम्वेदना को पिरो कर बोली ---

“वो कागज खाली था न !”

हेड नर्स पहले चुप रही। उठी और खिड़की पर पड़े पर्दे को हटाते हुए बोली ----

" मरते हुए इंसान को कुछ पल सुकून दे पाऊँ इसलिए झूठ बोला। कोई ख़त नहीं था। ऐसे ही कई बहानों से बाबा को बहला कर दवा खिलाती हूँ ।"

हेड नर्स ने गहरी साँस लेते हुए आगे फिर अपनी संवेदना को शब्द देते हुए कहा ----

"अपनों की बेरुखी व्यक्ति को जीते जी मार देती है। मौत से पहले ये बेरुखी की मौत अगर एक झूठ से टल जाए तो क्या बुरा है !"

"चलो बाकी मरीज देख लें ।"

दोनों नर्सें अलग-अलग वार्ड में चलीं गयीं।

हेड नर्स के वार्ड में दौड़ता हुआ वार्ड बॉय आया ---

" सिस्टर, पांच नंबर वाले बाबा .." वार्ड बॉय ने आकर वाक्य पूरा भी न किया था कि नर्स दौड़ कर वार्ड में गयी।

बाबा दर्द से छटपटा रहे थे। शारीरिक दर्द तो दवाई और इंजेक्शन से कम किया जा रहा था पर अंतर्मन की पीड़ा का आर्तनाद कैसे कम हो ?

नर्स को देखते ही बाबा चिल्लाए -"बेटी, कोई नहीं आया ? "

बाबा की सांसें तेज चल रहीं थीं।आंखें पथराई सी दरवाज़े पर लगीं थीं।

" बाबा ,आपको बताना भूल गयी आपके घर से फ़ोन आया था। वो जल्दी ही आपसे मिलने आएंगे ।"

" नहीं ,कोई नहीं आता !” बाबा की सांस उखड़ रही थी। वेंटिलेटर पर डालने की तैयारी होने लगी। बाबा चिल्ला रहे थे ---

" कोई नहीं आता ।"

नर्स ने वार्ड बॉय के कान में कुछ कहा !

" बाबा ,देखो आपका फोन ! लो बात करो ।"

नर्स ने अपना फोन बाबा के कान पर लगा दिया।

" पिताजी ,आप कैसे हो ? मैं आपसे मिलने आ रहा हूँ।"

बाबा के चेहरे पर सन्तोष था।आंखें बंद हो रहीं थीं। एक शांत मुस्कान होंठों पर ठहर गयी थी।

वार्ड बॉय ने फोन बंद कर दिया। बाबा के जाने का दुख सबकी आंखों के कोनो से झलक रहा था। पर उनके चेहरे का सन्तोष व शांत ठहरी मुस्कान वातावरण को स्निग्ध कर रही थी।"

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