सेकंड चांस
सेकंड चांस
आकाश पहली बार मुझे ऑफिस मीटिंग में मिला था... शांत सा, मीठी आवाज और कूल लुक्स. लंबा-चौड़ा स्मार्ट लड़का किस लड़की का मन न डोल जाए उसे देखकर, लेकिन उसे मेरी दो मिनट की बात हुई और उसके बाद हम अपने-अपने डिपार्टमेंट में चले गए। कुछ दिन बाद मेरा ट्रांसफर कंपनी के दूसरे ऑफिस में हो गया और मैंने आकाश को कंपनी के कई लोगों की आईडी में सर्च करने की कोशिश की लेकिन वो मुझे मिला नहीं। उस टाइम में उसका नाम भी नहीं जानती थी इसलिए अब पता भी कैसे करुँ।
फिर एक दिन मेरा डे लकी हुआ और एक मेल आया जो आकाश ने किया था। उसी दिन वो ऑफिस में एक मीटिंग के लिए आया और मुझे पता चला कि यही लड़ा आकाश है जिसे मैं फेसबुक पर ढूंढ रही थी। कुछ दिन वेट करने के बाद मैं उसे फेसबुक पर सर्च किया और वो मुझे मिल गया, खुशी की बात ये थी कि उसका सरनेम मेरे सरनेम से मैच का रहा था। उसे देखकर तो मेरे मन में अलग ही बताशे फूटने लगे। खैर दिल पर पत्थर रखकर मैंने खुद से उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज डाली। सेम डे ही आकाश ने मेरी दोस्ती को अपनी डिजिटल दुनिया में जगह दे दी।
हम दोनों अलग ऑफिस में बैठते थे इसलिए मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने में ज्यादा ईगो प्रॉब्लम नहीं हुई क्योंकि मैं तो उसे अच्छी तरह जानती थी लेकिन वो मुझे कहाँ ज्यादा जानता था। फिर कुछ दिन बाद मैंने नोटिस किया कि वो हर रोज मेरे ही ऑफिस में दिखने लगा और मुझे पता लगा कि ये तो अब इधर ही शिफ्ट हो गया है क्योंकि उसे हमारी टीम के साथ काम करना है।
अब जब भी वो दिखता मुझे इतना अजीब लगता कि जैसे मैं कोई गुनाह कर दिया हो। वर्चुअल लाइफ में तो एड कर लिया उसे मेरी दुनिया में लेकिन सामने से बात करने की हिम्मत ही नहीं होती थी। अब कैसे कहूँ कि लड़की होने की वजह से मुझे लगता कि वो वही मुझे हाय-हैलो कर दे तो क्या जाता है ? मैंने भी तो उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी न... लेकिन न वो मुझे कुछ कहता न ही मैं लेकिन मैं रोज सोचती थी कि वो मुझसे कुछ तो बात करे।
फिर एक दिन एक फोन आया और मेरा रो-रोकर बुरा हाल हो गया। मेरे जैसी स्ट्रॉन्ग लड़की एकदम टूट गई। फोन मेरे पति का था जिसके साथ मेरा सेपरेशन चल रहा था, उसे मुझसे तलाक चाहिए था और तलाक लेने के लिए उसने मेरे ऊपर कई घटिया इल्जाम लगाए थे। उसकी बातों से मन इतना दुखी हुआ कि खुद को संभाल पाना मुश्किल हो गया और मैं सबके सामने ही रो पड़ी। मन कैसा होता है न, कुछ देर पहले तक जो एक लड़के से बात करने को तरस रहा था, वहीं मन किसी दूसरे आदमी की वजह से रो पड़ा। 8 महीने की शादी और 1 साल तक अलग रहने के बाद में भूल चुकी थी कि मैं शादीशुदा हूँ।
मेरी खराब हालत को देखते हुए मेरे ऑफिस के लोगों ने मुझे घर जाने को कहा। मैं अपनी दोस्त के साथ बाहर निकल ही रही थी कि सामने से आकाश आता दिखा, मेरा चेहरा और लाल आँखें देखकर वो थोड़ा परेशान हो गया लेकिन अब तक कोई बात हुई नहीं थी इसलिए वो कुछ कह नहीं पाया। इस बात के बाद मुझे चार-पाँच दिन की छुट्टी लेनी पड़ी क्योंकि कोर्ट-कचहरी का काम शुरू हो गया था। छुट्टी के बाद ऑफिस पहुँची तो देखा आकाश मेरी सीट के सामने ही बॉस के पास बैठा कुछ बात कर रहा है। मुझे देखकर वो कुछ बोलने को हुआ लेकिन मैं तुरंत नजर फेर ली और अपनी सीट पर बैठकर काम करने लगी।
लंच के बाद जैसे ही काम करने बैठी तो फेसबुक चैट पर एक मैसेज आया तो जो आकाश ने किया था, 'कैसी हो तुम, परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा।' उसके मैसेज का कब से इंतजार था लेकिन हमारी बात ऐसे शुरू होगी नहीं पता था। उसके मैसेज का जवाब दूँ या फिर कुछ न कहूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं जवाब न देना ही बेहतर समझा। कोर्ट केस में दिन कैसे निकले पता ही न चला और वो दिन भी आ गया जब मैं उस घुटन और झूठे रिश्ते की बेड़ियों से आजाद हो गई।
फेसबुक पर मैंने अपने जीवन के हर सुख-दुख को बयाँ किया था और जैसे ही मैंने वहां पर अपने तलाक की खबर शेयर की पहला लाइक आकाश का आया। 'वेल डन माधवी तुमने कर दिखाया...' उसका कमेंट पढ़कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके मैसेज का रिप्लाई करते हुए लिखा- चाय पियोगे। आकाश ने बिना देर किए जवाब दिया, लंच के बाद चलें। आकाश और मेरा रिश्ता दोस्ती का होगा या उससे आगे जाएगा या फिर हम सिर्फ कलीग्स बनकर रह जाएंगे नहीं पता लेकिन जिंदगी ने जो मुझे सेकंड चांस दिया है उसे अब मैं जी लेना चाहती हूँ....।।
