सच्चा प्यार
सच्चा प्यार
हर्षिता आज बरसों बाद अपनी बचपन की सहेली आभा को देख बहुत खुश होती है और दोनों बात करते करते पुराने दिनों में पहुंच जाते हैं।
आभा पूछती है, अच्छा बता ना हर्षु, तुम दोनों प्यार में कैसे पड़े, ये असंभव सी लगने वाली बात संभव कैसे हुई?
आभा, जब कोई इतना, प्यार करने वाला मिल जाए, तो किसी का दिल प्रेम से अछूता कैसे रह सकता है, हर्षिता बोली
आभा:अच्छा अब मुझे विस्तार से अपनी प्रेमकहानी सुना, आज मुझे पूरी सुननी है।
आभा की जिद्द पे हर्षिता सब बताने को राज़ी हो गई।
हर्षिता: अच्छा सुन, तुझे तो पता है ये, पर फिर भी...शुरू से बताती हूं,
बात मेरे स्कूल की है, राजीव मेरा क्लासमेट था। वो ज्यादा बात नहीं करता था, तो मैं भी बात नहीं करती थी उससे।
पर वो बहुत ही शालीन और बुद्धिमान था। पढ़ाई में मैं भी अच्छी थी, तो एक दूसरे से बुक्स और मैथ्स के प्रॉब्लम शेयर करने लगे
और ऐसे हमारी बातचीत शुरू हो गई और हम बहुत बहुत अच्छे दोस्त बन गए। वैसे दोस्ती के साथ ही हमारी लड़ाई भी बढ़ती रही, ये लड़ाई शायद अच्छी दोस्ती की निशानी थी। हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझते थे और सम्मान भी करते थे।
मेरे ख्याल से किसी भी रिश्ते के लिए एक दूसरे के प्रति सम्मान होना सबसे ज्यादा जरूरी है।
खैर, अब आगे हुआ यूं कि मैं स्कूल के बाद आगे पढ़ने शहर के कॉलेज में चली गई। वहां मेरे सीनियर शिवम ने मुझे प्रपोज किया, वो पढ़ाई , खेल कूद दोनों में काफी अच्छा था, साथ ही गुड लुकिंग और स्मार्ट भी। मैं भी उससे प्रभावित हो गई ।
पर फिर भी मैं जानती थी की मेरे घरवाले कभी भी प्रेम विवाह को स्वीकार नहीं करेंगे, ये सोचकर मैंंने इंकार कर
दिया। पर उसकी कोशिशों से मैं पिघल गई और फिर हां कहने से खुद को ना रोक पाई।
फिर हमारी प्रेम कहानी शुरू हो गई। मुझे शिवम के साथ वक्त बिताना अच्छा लगने लगा। हम लोग कॉलेज के बाद भी मिलने लगे। पर कॉलेज के आखिरी दिनों में जब मैंने शिवम से शादी के लिए अपने घरवालों से बात करने को कहा तो वो टाल गया की अभी जॉब तो लगने दो। और इसी तरह, जॉब लगने के बाद भी वो हर बार शादी की बात कोई न कोई वजह दिखा कर टाल दिया करता था।
राजीव को मेरी ये सारी बात पता थी, वो अक्सर मुझे फोन किया करता था। वो मुझे परेशान और दुखी देख बहुत दुखी होता था। और हमेशा मुझे स्पेशल फील करता था अपनी केयर के जरिए। हमेशा मुझे खुश रखने की कोशिश करता था। और हर मुश्किल में साथ और सही सलाह भी देता था।
शिवम के लिए मैं बहुत कमजोर पड़ती जा रही थी। मुझे लगता था मैं उसके बिना जी नहीं पाऊंगी।
फिर एक दिन ,शिवम ने आकर मुझसे कहा कि उसकी शादी किसी और से तय कर दी गई है। और उसे ये मानना ही होगा। वो अपने माता पिता के खिलाफ़ नहीं जा सकता।
ये सुनते ही मैं बुरी तरह से टूट गई, और बोली की फिर उसने मुझसे प्यार ही क्यों किया, क्या मैं उसके लिए बस एक मन बहलाने की चीज थी?
मैंने ये सारी बात राजीव को बताई।
आखिर वो दिन आ ही गया, और शििवम
की शादी हो गई।
मैं बुरी तरह टूट चुकी थी, हंसना, मुस्कुराना मैंने छोड़ दिया था।
फिर राजीव ने मुझे संभाला, मुझे अपने गम से लड़ने का हौसला दिया। जब भी मुझे उसकी जरूरत होती, वो हमेशा मुझे तैयार मिलता।
शिवम के साथ होने पर चाहे गलती जिसकी भी रहे हमेशा मैंने ही माफ़ी मांगी थी, पर राजीव को अपनी गलती मानने में जरा भी देर या झिझक नहीं होती थी।
उसके लिए हमेशा से मैं और मेरी बात इंपोर्टेंट थीं।
अब मैं भी ये समझने लगी थी, की वो मेरी कितनी कदर करता है, बदले में मुझसे कुछ चाहे बिना।
मेरी रूम मेट ने उसे बता दिया था कि मैं रात भर रोती हूं।
ये जान, वो मुझे रोज रात फोन करता, और मुझे नींद आने तक मुझसे बात करता।
फिर मुझे अहसास होने लगा की मैं राजीव के साथ सबसे ज्यादा कंफर्टेबल हूं। मैं उससे सब कुछ शेयर कर सकती हूं। उसपे पूरी तरह विश्वास करती हूं।
मेरे रिलेशन में होने या नहीं होने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।
उसने कभी भी मेरे भरोसे को नहीं थोड़ा । हमेशा मेरी हिम्मत और मेरा सहारा बनके रहा।
सच में ऐसा इंसान ही मेरे प्यार के काबिल है
ऐसे ही इंसान को ही सही मायने में हमसफ़र कह सकते हैं।
फिर एक दिन यूं ही फोन पे बात करते करते मैंने उससे कहा की मेरे घर वाले मेरे लिए रिश्ता ढूंढ रहे हैं।
उसने मज़ाक में कहा तुम जैसी पागल से कौन शादी करेगा
मैंने कहा क्यों, देखना हजारों मिलेंगे
फिर वो बोला अच्छा देखते हैं, हां पर अगर कोई न मिले तो मैं हूं, मैं कर लूंगा तुमसे शादी।
फिर इधर उधर की बातें कर उसने फोन रख दिया।
उसकी ये बातें मेरे दिल में घर कर गईं, मैं तो उसे पसंद करने ही लगी थी। अब लगा जैसे वो भी मुझे चाहता है
बड़ी हिम्मत करके मैंने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा,
सुनते ही वो घबरा गया। फिर थोड़ी देर बाद उसने हामी भरी।
असल में उसने मेरे मुंह से ये सब सुनने की कभी उम्मीद नहीं की थी।
फिर बातों बातों में मेरे बहुत पूछने पर , उसने बताया कि exactly उसे भी नहीं पता की वो कबसे मुझे प्यार करता है। बचपन से ही मैं उसके लिए इंपोर्टेंट रही। वो कुछ कहता उससे पहले ही शुभम मेरी जिंदगी में आ गया। पर उसने मुझे कभी ये पता नहीं लगने दिया था कि वो मुझे दिल ही दिल में चाहता है, कि मुझे किसी और के साथ देख उसे तकलीफ़ होती है।
मैं उसे जितना जानती उसके लिए मेरे हृदय में सम्मान उतना ही बढ़ता जाता। और यही अहसास हमारे रिश्ते की मजबूती है।
फिर हमने अपने घरों में बात की, और काफ़ी मुश्किलों से सबको मनाया, फिर हमारी शादी हो गई।

