"सच्चा प्रेम" भाग 2
"सच्चा प्रेम" भाग 2
कल्याणी जी अचानक विचारों से निकलकर उठ खड़ी होती हैं। अपने और वशिष्ट जी के लिए चाय बना कर लाती हैं। दोनों पति-पत्नी साथ में बैठकर चाय पी रहे होते है कि देखते हैं आशीष और पारुल बड़ी चिंतित मुद्रा में कहीं से आ रहे हैं।
घर में घुसते ही दोनों फिर बहस करने लग जाते हैं।
बहस जब तेज लड़ाई- झगड़े का रूप ले लेती है तो विवश होकर पति पत्नी, बेटे- बहू के पास जाते हैं और उन्हें चुप कराने का प्रयास करते हैं।
दोनों को शांत करके वे चिंता का कारण पूछती हैं।
आशीष बताता है कि पारुल मां बनने वाली है।
बच्चे के लिए तो दोनों ही पति - पत्नी खुश हैं परंतु बहस का विषय यह है कि तलाक के पश्चात बच्चा किसके साथ रहेगा मां के साथ या पिता के साथ?
एक तरफ तो दादा - दादी बनने की खुशी और दूसरी तरफ बहू- बेटे के संबंध विच्छेद का दुःख।
कल्याणी जी और वशिष्ठ जी समझ नहीं पा रहे थे कि खुश हो या दुःखी।
अगले दिन जब आशीष ऑफिस से घर आता है तो देखता है उसके माता-पिता में जोर - जोर से झगड़ा हो रहा है। आशीष ने अपने जीवन में ऐसा दृश्य पहले नहीं देखा था तो वह चिंतित हो जाता है और पास आकर दोनों को शांत कराता है।
कल्याणी जी कहती हैं देख बेटा!
तुम्हारे तलाक के बाद मैं बहू के साथ रहूंगी क्योंकि वहां मेरा पोती या पोता भी होगा और मैं उसे सिर्फ बहू
के भरोसे तो नहीं छोड़ सकती। तू भी साथ में नहीं होगा अकेली ना जाने कैसे संभालेगी क्या सिखाएगी? मैंने बहू से भी पूछ लिया है वह राजी है परंतु तुम्हारे पिताजी नहीं मान रहे हैं।
मैंने उनसे भी कहा साथ आने के लिए पर कहते हैं मैं अपने बेटे को छोड़कर नहीं जाऊंगा।"
आशीष डर जाता है कि उसके माता-पिता या दोनों में से एक उससे दूर हो जाएगा।
"जब इस उम्र में माता-पिता से दूर होने का सोच कर मुझे इतना डर लग रहा है। तो उस मासूम बच्चे के साथ कितना बड़ा अन्याय होगा, जिसने अभी जन्म भी नहीं लिया है।उसे भी माता-पिता दोनों का प्यार पाने का अधिकार है।"
आशीष अपनी पत्नी के पास जाकर कुछ बात करता है
और फिर आकर अपने माता-पिता से गले लग कर माफी मांगता है। और कहता है कि
"मैं और पारुल पुनः प्रयास करना चाहते हैं एक साथ प्यार से रहने का। हम अपनी -अपनी गलतियों का मूल्यांकन करके उसमें सुधार करेंगे। और इसके लिए हमें आपके प्यार, विश्वास और आशीर्वाद की बहुत जरूरत है।
तभी तो हमारे बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार मिल सकेगा जैसे हमें आप दोनों का मिला है।"
कल्याणी जी और वशिष्ठ जी एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराते हैं और बहू- बेटे को आशीर्वाद देकर थोड़ा हल्का महसूस करते हैं क्योंकि उम्मीद की नई किरण जो नजर आई है उन्हें।