जीवनसाथी
जीवनसाथी


मेघना का एम .ए .प्रथम वर्ष में प्रवेश हुआ था। उसके माता-पिता उसके लिए योग्य वर की तलाश में थे।
मेघना मध्यम कद काठी की एक साधारण सी दिखने वाली लड़की थी।
एक दिन उसके माता-पिता की तलाश खत्म हुई,
दूर के किसी रिश्तेदार ने एक अच्छे घर के लड़के का रिश्ता बताया। दोनों पक्षों में सारी बातें हो गई। अब सिर्फ लड़के लड़की को मिलाने की औपचारिकता बच गई थी। फिर वह दिन भी आ गया जब मेघना अपने भावी जीवनसाथी के सामने थी। लड़के का नाम राहुल था।
राहुल ने मेघना से कुछ जिज्ञासा भरे प्रश्न पूछे। मेघना ने यथोचित उत्तर दिए। उसने स्वयं कोई प्रश्न नहीं पूछा।
सारी बातें पक्की हो गई और तिलक और शादी की तारीख भी तय हो गई। दान -दहेज की सारी बातें हो गई।
मेघना के मन में एक अंजान
ा सा डर घर कर गया था न जाने कैसे होंगे वह लोग जिनके साथ उसे बाकी का जीवन बिताना है।
और उससे भी ज्यादा यह डर था कि शादी ठीक-ठाक से हो जाए।
शादी के बीच में लड़के वाले कोई बड़ी मांग ना रख दें जिसे उसके माता-पिता पूरा ना कर सके। सगाई का दिन आ गया मेघना के पिता भाई तथा घर के सभी पुरुष तिलक लेकर लड़के वालों के घर पहुंचे।
मेघना के मन में उथल-पुथल चल रही थी वह बहुत परेशान और डरी हुई थी। तभी घर के फोन पर राहुल का फोन आया। और उसने मेघना से बातचीत की। राहुल उसके मन के डर को समझ गया था। उसने मेघना को सब कुछ सही ढंग से होने का आश्वासन दिया।
कुछ ही समय में मेघना का सारा डर जाता रहा।
आज पहली बार मेघना को एहसास हुआ कि राहुल सचमुच में उसके लिए एक अच्छा जीवन साथी है।