सैनिक हमेशा सैनिक ही होता है

सैनिक हमेशा सैनिक ही होता है

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कैप्टन राजेश की गिनती उनकी बहादुरी और जांबाज़ी के लिए रेजिमेंट के सबसे बेहतरीन अफसरों में होती थी। कैप्टन राजेश का खुला व्यवहार और कर्तव्य के प्रति ईमानदारी से उसके सीनियर और जूनियर दोनों उनसे प्रभावित थे। उनको अपने काम के लिए वीरता के कई पुरस्कार भी मिल चुके थे जिसका सारा श्रेय वो अपनी रेजिमेंट को ही देते थे।

कैप्टन राजेश अपनी छुट्टी मनाने घर आए हुए थे। उनकी प्यारी सी एक बेटी थी जो मोहल्ले में सब की प्यारी थी। अपने घर से ज्यादा उनकी बेटी, नेहा, दोस्तों के घर में ही खेलती हुई मिलती थी। उनकी पत्नी रीना हमेशा उसको ढूंढ़ते हुए परेशान हो जाती थी।

आज शाम के 7 बजे तक नेहा जब घर नहीं आई तो रीना ने उसे ढूंढ़ना शुरू किया। पूरे मोहल्ले में नेहा कहीं नहीं मिली। इधर कैप्टन राजेश को एक अनाम फ़ोन आया कि अगर तुम्हें अपनी बेटी चाहिए तो अपने घर में कैद खतरनाक आतंकवादी को हमारे हाल कर दो, वो भी आज रात ही।

कैप्टन राजेश का दिमाग अब तक सैनिक वाले रूप में आ चुका था। उनके अज़ीज़ दोस्त रहमान ने कैप्टन राजेश से कहा कि वो आतंकवादी का रूप बना कर उसको आतंकियों को सौंप दे और बेटी ले आए। कैप्टन राजेश ने तब तक स्थानीय पुलिस को भी सूचित कर दिया था ताकि मोहल्ले में भय का माहौल न हो और पुलिस आतंकियों के ठिकाने को घेर सके।

कैप्टन राजेश ने पुलिस और रहमान से प्लान शेयर किया और अपनी पत्नी रीना को मोहल्ले में इस बात की भनक भी न लगे का आश्वासन लिया।

राजेश, रहमान को लेकर पीछे के जंगल में पहुँचे और आतंकियों के हवाले रहमान को कर दिया। रहमान के शर्ट के बटन में खुफिया कैमरे से पुलिस और राजेश को सारी जानकारी मिल गई थी। राजेश ने पुलिस को आतंकियों का पीछा करने को कहा और वो बेटी को घर छोड़ने चल पड़े। तभी उनकी निगाह अँधेरे में लाश की तरह पड़े हुए एक आदमी पर पड़ी। पास जा कर देखा तो वो उनका पुराना नौकर केशव था। केशव ने बताया कि आतंकियों ने उसे 1 सप्ताह से बंधक बनाया हुआ था और राजेश की सारी जानकारी भी उससे ही ली थी। केशव को अभी भागते हुए आतंकियों ने लहूलुहान करके मरने के लिए छोड़ दिया था। केशव ने बताया कि पास के केंटोनमेंट को उड़ाने के लिए आतंकी जा रहे हैं। कैप्टन राजेश ने नेहा को बोला कि वो घर जाए और अपनी माँ को बोले कि किसी की मदद से केशव को ले जाए। नेहा अपने पिता की तरह ही बहादुर निकली और उसने तुरंत जिम्मेदारी ले ली।

कैप्टन राजेश ने पुलिस से संपर्क किया और सारी जानकारी दी। पुलिस को केंटोनमेंट की तरफ रवाना करके कैप्टन राजेश आतंकियों को पकड़ने चल पड़े। अँधेरे में भी चीते की फुर्ती से राजेश ने आतंकियों के मंसूबे को नाकाम कर दिया और राष्ट्र को होने वाली क्षति से बचाया।

कैप्टन राजेश ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि सैनिक हमेशा सैनिक ही होता है।


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