सावधानी
सावधानी
आज सुबह पाँच बजे किसी का फोन बज रहा था तो उसके मन में हलचल महसूस हुई।
“इतनी सुबह किसका फोन आया होगा इसके लिये? मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा। जब से यह मोहल्ले में आया है, मुझे एक मिनट का भी चैन नहीं मिला। इतनी रात गए अजीब लोगों की आवाजाही कुछ सही नहीं।”
पूरे मोहल्ले मे यह दो घर आमने सामने थे जिनमें से एक घर एक महिला का था जो अपने आस पास के माहौल को लेकर काफी सजग रहती थी, नाम था प्रांजल। वही सामने वाले दूसरे घर मे एक पढ़ने वाले लड़के का बसेरा था। एक बिखरा हुआ सा कमरा, इधर उधर फैली किताबें, कपड़े, डब्बाबंद खाने के पैकेट और कुछ बिजली का सामान। नाम था गुरु राज, जैसा कि उसने बताया था।
प्रांजल का कमरा ठीक गुरु के कमरे के सामने था इसलिए जब भी गुरु अपने कमरे में कुछ काम कर रहा होता तो उसकी आवाज प्रांजल को परेशान करने के लिए काफी थीं।
हालांकि गुरु ना तो किसी से ज्यादा बातचीत करता था और ना ही कमरे से बाहर निकलता था लेकिन जब भी उसके पास किसी का फोन आता था तो वह कविता गाने लगता था, जो कुछ अलग ही तरह की जुगलबंदी होती थी।
पहले तो प्रांजल ने सोचा कि कोई प्यार-व्यार का मामला होगा लेकिन जब पिछले कुछ समय से एक ही समय पर फोन आना, अज्ञात लोगों का घर पर ऐसे ही बेधड़क आना जाना और गुरु का अपने घर के अंदर बन्द हो जाना, प्रांजल के लिए गुरु को संदिग्ध व्यक्ति बनाते थे।
फिर एक दिन जब कुछ अज्ञात व्यक्ति गुरु के घर कुछ लकड़ी के बक्से लेकर आये और गुरु को पकड़ा दिये। उन लोगों के जाने के बाद जब गुरु बक्सों को अंदर ले जाने लगा तो भारी वजन की वजह से एक बक्सा उसके हाथ से गिर गया।
उसी शाम को स्थानीय पुलिस गुरु के दरवाजे पर उसे गिरफ्तार कर रही थी। स्थानीय लोगों के पूछने पर पुलिस ने बताया कि गुरु राज एक आतंकी संगठन के लिए काम करता था। वह यहाँ रहकर हथियार और विस्फोटक सामग्री इकट्ठा कर रहा था। यह संगठन जल्दी ही किसी बड़ी घटना को अंजाम देने वाले थे लेकिन किसी की सावधानी ने इनके इरादों पर पानी फेर दिया।
दरअसल यह सावधानी प्रांजल ने दिखाई थी। गुरु के हाथ से बक्सा गिरते वक्त उसमें रखी बन्दूक भी गिर गई थी जो प्रांजल ने अपनी खिड़की के अधखुले दरवाजे से देखी थी। तब उसका शक यकीन में बदल गया और उसने तुरंत स्थानीय पुलिस को खबर दी। उसने ठान लिया था कि वह एक सच्ची देशभक्त और एक सजग नागरिक बनकर हमेशा ही अपने देश की सेवा करेगी।