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Vandana Bhatnagar

Drama

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Vandana Bhatnagar

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सास का पहला प्यार

सास का पहला प्यार

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पूनम आज बहुत सालों बाद अपनी सहेली रुचि से मिली। रुचि का ट्रांसफर उसके शहर में ही हो गया है, दोनों ही बहुत खुश थीं। चाय नाश्ता एवं इधर-उधर की बात करने के बाद दोनों ने एक दूसरे की सास के बारे में पूछा तो रुचि बोली मुझे तो अपनी सास का ज़्यादा साथ नहीं मिल सका, पर जितना भी मिला उन्होंने मुझ पर स्नेह ही बरसाया।

रुचि पूनम से बोली तू बता तू तो इकलौती बहू है, सास का सारा प्यार तुझे ही मिलता होगा ?

पूनम बोली मेरी सास का तो पहला प्यार उनकी दवा है। बस वो मिलनी चाहिए बाकी कुछ हो या ना हो।

रूचि बोली ठीक से बता पहेलियां तो बुझा मत।

पूनम बोली कहां से शुरू करूं तुझे बताना, अच्छा सुन। अभी दो-तीन साल पहले की बात है उनकी आंखों का ऑपरेशन हुआ तो उसके बाद उनको खाने की भी और आंख में दवा डालने की कई सारी दवा दी गईं। शुरू शुरू में आंख में जल्दी-जल्दी कई दवा डालनी पड़ती थी फिर धीरे-धीरे वह कम कर दी गईं। बस केवल दो ही दवा डालने की रह गईं। अब वो मुझसे कहने लगीं कि तुम तो अब दवा कम डालने लगी हो, मेरे पास रख दो मैं खुद डाल लिया करूंगी। अब वह खुद डालने लगीं और कुछ दिन में उनकी आंखों से पानी जाने की शिकायत होने लगी। डॉक्टर को दिखाया तो उसने डालने वाली दवा के बारे में पूछा तो मेरी सास उनसे बोलीं आपने डालने वाली दवा कम कर दी थीं तो मैं अब वही दो दवा कई बार डाल लेती हूं। डॉक्टर साहब बोले बस यही तो गलती कर रही हैं आप। यह ज्यादा से ज्यादा दो बार ही डालनी है, वरना फायदे की जगह नुकसान करेगी, तब उनकी समझ में आया। फिर डॉक्टर ने पानी बंद होने वाली दवा भी लिखी तो बोली चलो कुछ नयी सी दवा तो दी।

उसके थोड़े दिनों बाद उन्हें नाक बंद होने की समस्या होने लगी। डॉक्टर साहब ने खाने की दवा के साथ साथ नाक में डालने की दवा भी दी और कहा कि अगर ज़्यादा ही दिक्कत हो तो इसकी एक बूंद नाक में डाल लेना। बस अब क्या था वो तो थोड़ी थोड़ी देर में नाक में ड्रॉप डाल लेतीं और जो शीशी महीने भर चलती वो दो दिन में ही खत्म हो गई।फिर नयी शीशी आयी वो भी दो दिन में खत्म। यह समझ लो बारह दिन में छह शीशी खत्म। मेरे पति ने उन्हें समझाया भी कि इतनी ज़्यादा दवा डालनी ठीक नहीं है तो वो उनपर ही बरस पड़ी और बोलीं तुझे अब मेरी दवा भी भारी लगने लगी है।अगर तेरे पास पैसे ना हों तो मुझसे ले ले पर मेरी दवा ज़रूर ला दे। मेरे हस्बैंड केमिस्ट के यहां फिर से दवा लेने गए तो वह बोला आपके यहां कौन नशा करता है ? यह दवा नशा करने के काम में भी लेते हैं आजकल लोग। जब मेरे पति ने बताया यह दवा तो मेरी माता जी लेती हैं तो उसने कहा कि यह इतनी अधिक मात्रा में नहीं ली जाती वरना नसें सूख जायेंगी फिर बहुत मुश्किल आ जाएगी। जब पति ने घर आकर मेरी सास को बताया कि अब वह दवा नहीं डालनी है वरना नसें सूख जाएंगी तो वह बड़ी मुश्किल से उसे ना डालने को तैयार हुईं।मज़े की बात ये हुई कि फिर उनकी नाक बिना दवा डाले ही ठीक चलने लगी।

पूनम की बात सुनकर रुचि बहुत हंसी और बोली तेरा तो मुफ्त में ही मनोरंजन होता रहता है। पूनम बोली सुन तो सही अभी और आगे। उन्होंने किसी मैंगज़ीन में पढ़ लिया कि अगर विक्स लगा लो तो मच्छर नहीं काटते। बस उसे पढ़ते ही गर्मियों के दिन में ही उन्होंने उसको अप्लाई कर लिया। अब इतनी सारी विक्स गर्मी में मलने पर उनके शरीर में पित्ती उछल आई। अब वह उससे परेशान। फिर उन्हें डॉक्टर के पास लेकर ग‌ई। फिर उसकी दवा चली।

पूनम बोली मेरी सास के पास दर्द की ,लू़ज़ मोशन की, उल्टी की एलोपैथिक मेडिसिन रहती हैंऔर वो जब मर्ज़ी उन्हें खा लेती हैं। इसके अलावा कभी बोरोलीन, कभी ऑडोमास,कभी विक्स , कभी दर्द की टयूब भी लगाती रहती हैं।

अभी कुछ दिन पहले ही मेरी सास कहने लगीं कि मुझसे अब अंग्रेज़ी दवाई नहीं खाई जाती है अब होम्योपैथिक की दवाई लाकर देना। मैंने उनसे पूछा बताओ किस चीज़ की लानी है दवा तो बोलीं डॉक्ट से कहना कभी खांसी सी उठ जाती है, कभी चक्कर सा जाता है ,कभी कमज़ोरी सी लगती है और पेट तो कभी ठीक रहता ही नहीं। मैं जाकर डॉक्टर से दवा ले आई।उन्होंने एक बड़ी सी शीशी में महीने भर की दवा दे दी। जब मैंने अपनी सास को दवा दी तो वो बोलीं मैंने इतनी सारी बातें बताई थी और दवा की शीशी केवल एक। और फिर उन्होंने एक महीने की शीशी को हफ्ते भर में ही खत्म कर दिया और मुझसे बोलीं डाॅक्टर से कहना कि हर चीज़ की अलग अलग दवा दे इससे तो कोई फायदा ही नहीं हुआ। और डॉक्टर से यह भी कहना कि दिन में तीन चार बार यूरिन को भी जाना पड़ता है। बार-बार बिस्तर से उठना पड़ता है। उससे कहना ऐसी दवा दे जो यूरिन कम आए।

उनकी बात सुनकर मैं उनसे बोली इतनी बार जाना तो नॉर्मल ही है और अभी एक हफ्ते पहले ही तो आपके सारे टेस्ट भी हुए हैं वह भी सब नॉर्मल हैं पर वह अपने आगे सुनें तब ना। मैं जब डॉक्टर के पास गई तो पहले तो उन्होंने मुझे डांटा कि एक महीने की दवा हफ्ते भर में कैसे खत्म हो गई और जब मैंने उनसे अलग अलग लक्षण के लिए अलग-अलग दवा की बात कही तो वह बोले सच में बुढ़ापे में व्यक्ति को साइकोलॉजिकल भी ट्रीट करना पड़ता है। उन्होंने चार शीशियां खाली गोलियों की और एक दवा की दी और मेरे से कहा कि मैं जो बता रहा हूं वैसा ही अपनी सास से कहना।

मैंने घर पहुंच कर डॉक्टर के कहे अनुसार उनसे कहा कि डॉक्टर साहब ने कहा है कि यूरिन कम करने की कोई दवा नहीं है ? बस मीठा बंद करना होगा, साथ ही चाय भी फीकी पीनी पड़ेगी। ऐसा सुनते ही वह तो बिफर गईं और बोलीं खाने को दवा तो दी नहीं और जो मैं खा रही हूं वो भी बंद करने को कह रहा है। मैं तो ठीक हूं बिल्कुल। तुम सही कह रही थीं कि चार पांच बार जाना तो नॉर्मल ही है। मुझे उनकी बात सुनकर बहुत हंसी आई। रुचि बोली पता नहीं हमारा क्या होगा जब हम इस अवस्था में होंगे। पता नहीं हमें कौन सी सनक सवार होगी बुढ़ापे में और हमारी बहुएं मज़ाक उड़ाएंगी। पूनम बोली इतनी दूर का मत सोच, अभी तू बहू का मज़ा ले बस। अच्छा अब मैं चलती हूं, अब तो तेरे से मिलना होता ही रहेगा| मिलने तक कुछ नया ज़रूर होगा फिर तुझे ज़रूर बताऊंगी और ऐसा कहकर पूनम ने रुचि से विदा ली।


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