Sushma Tiwari

Drama

4  

Sushma Tiwari

Drama

साँस की कीमत

साँस की कीमत

3 mins
23.4K


"सुनते हैं ! आज चलिए ना फ्रेश हवा खाने चलते हैं।" अर्चना मनुहार कर रही थी।

"अरे यार ! जो स्टोर किया हुआ है घर में आक्सीजन वही यूज करो, बाहर जाने का रिस्क मत लो, वो रेस्तरां बहुत दूर है.. साइकिल से जाना मुश्किल है।" मनु प्यार से समझाया।

"आपको बस बहाने चाहिए.. आज मैं ना मानूँगी, चाहे साइकल से जाना हो या पैदल.. जाना हैं बस। सारी सहेलियाँ जा कर आई है वहाँ "। अर्चना की जिद के आगे मनु ने शाम का समय दे दिया।

देखो भला अब ताजी साँस किसी महंगी डिश की तरह बड़े रेस्तरां में मिलती है वो भी प्री ऑर्डर करके। वर्ना बंद सिलिंडर की आक्सीजन ही नसीब में है । धरती का प्रदूषण पर्यावरण को खा चुका है। पिताजी ठीक ही कहा करते थे। अब श्रीमती जी की बात ना मानू तो भयंकर दशा होगी।

रात में पहुंचना था तो दोपहर में ही निकले, मास्क लगाया और साइकल से रुक रुक आगे बढ़े.. साँस फूल रही थी।

बाहर की जहरीली हवा नाक और मुँह से तो नहीं पर शायद रोम रोम से अंदर समा रही थी, बस जल्दी से जल्दी पहुंचने की चाहत।

रेस्तरां के सामने पहुंचते ही राहत मिली पर शाम ढली और रात चढ़ चुकी थी। बड़े बड़े अक्षर मे बोर्ड पर लिखा था "कार्बन मोनो आक्साइड रहित क्षेत्र"। सच ऐसी जगह बची भी है, अर्चना के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। पर ये क्या इतनी लंबी लाइन ! ! काउन्टर पर "फुल" के बोर्ड को देख कर लोगों मे गुस्सा भर उठा और वहाँ भगदड आपाधापी मच गई। अरे अर्चना सम्भालो खुद को, पर तभी मनु का मास्क किसी ने खींच दिया..

" हाँss मेरा दम घुट रहा है ! चिल्लाते हुए मनु उठा।

ओह सपना था ये, इतना भयानक सपना !

तुरंत उठ कर नहाने गया। आज पहली बार जैसे अपने सो कर उठने पर इतनी खुशी हुई। एक भयानक सपना, या शायद आने वाले भविष्य की आहट.. पर मैं तो सचेत हो चुका हूं। आकर जब चाय पीने बैठा तो पिताजी अखबार पढ़ रहे थे। प्रदूषण की ख़बर उन्हें परेशान की हुई रहती हमेशा।

" पिताजी मैं जरा गाड़ी की सर्विस करा कर आता हूं। "

" आज चांद कहाँ से निकला ? कितने रोज से चिल्ला रहा था, गाड़ियों से निकलता प्रदुषित धुंआ अच्छा नहीं.. पर तुम्हारा एक ही जवाब होता "हमे क्या, एक के करने से क्या होगा"

" हाँ पिताजी ! अक्ल आ गई मुझे.. एक एक के करने से होगा वर्ना सब खत्म हो जाएगा, मैं चलता हूं.. और हाँ अब से हम साइकिल उपयोग करेंगे, बहुत जरूरी होने पर ही गाड़ी निकालेंगे" मनु कहता हुआ निकल गया।

अर्चना और बाबुजी अभी भी समझने की कोशिश कर रहे थे पर मनु को कल रात के सपने में भयानक भविष्य की झलक दिख चुकी थी। मुफ्त में मिली हवा और प्रकृति की कीमत ना पहचानी तो भयंकर दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे.. जिसका ट्रेलर वो देख चुका है। अब अपनी कोशिश करनी है और लोगों को भी जागरूक बनाना होगा, शायद आज हम गाड़ी बिना रह जाए पर कल साँस बिना ना रह पाएंगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama