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Tripti Sharma None

Drama Tragedy

5.0  

Tripti Sharma None

Drama Tragedy

रुख़सार

रुख़सार

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पूरे 10 बरस हो गए , वो लौट के ना आया अभी तक ,

कितनी बार बोला था ,

बेटा, मत जा फ़ौज़ में ......मगर मेरी एक ना सुनी उसने ,छोड़ गया हमको .....

सरकार भी कुछ नही कर रही है , अरे !!! मेरा बेटा जिंदा है भी या मर गया ,इतना ही बतला देती सरकार , पर उन्हें कहा पड़ी हम गरीब लोगों की ......

इतना कहते कहते आंखे नम सी हो गईं अम्मा की ।

तुझे भी कितनी बार कहा कि दूसरी शादी कर ले ,कम से कम तू तो अपनी जिंदगी जी ले ....हमने तेरी जिंदगी बर्बाद कर रखी है ....हम मर चुके होते तो तू ये तोते की तरह हमारी परवाह की रट ना लगाए रखती ........

अम्मा!!!! तुम ये सब बातें ना बोला करो ....

वो नही है तो क्या मेरा कोई फ़र्ज़ नही है आपके लिए ....

रही बात दूसरी शादी की तो मुझे यक़ीन है अम्मा .. वो जरूर आएंगे ....उन्होंने वादा किया था मुझसे ......रुख़सार की बाते सुन अम्मा बड़बड़ाते हुए बोली ..."तू ओर तेरा भरोसा ..अल्लाह करे जल्द पूरा हो " और अपना चादर उठा भीतर को चली गयी ।

अम्मा के जाते ही रुख़सार सोच मे पड़ गयी ।

अम्मा को भरोसा दिलाते दिलाते अब उसका खुद का भरोसा जो टूट रहा था ...... टूटता भी क्यों नही आखिर 10 बरस जो चुके थे ......"कितने अनगिनत सपने सजाय थे , प्यार होगा , वादे होंगे , खुशियां होंगी , वक़्त के साथ एक प्यारी परी होगी " पर शादी के 2 महीने बाद ही उनको खत आ गया और वो चले गए ये बोल के "तुम अपना ख्याल रखना , मैं जल्द लौटूंगा , क्योंकि अब तुम्हारे साथ जिंदगी जो जीना है "

रुख़सार सोच में डूबी हुई यूँही धूप सेक रही थी .....

वक़्त यूँही अपनी रफ्तार से चल रहा था ,10 से अब 12 बरस हो गए उनको गए हुए ....रुख़सार ओर अम्मा की अभी भी रोज इसी मसले पे बहस होती और यूँही अधूरी खत्म भी हो जाती "

एक दिन अचानक कही से पड़ोसी का लड़का "नवाज" दौड़ा दौड़ा आया और बोला भाभी जान, भाभी जान उसकी साँसे चढ़ी हुई थी ....

बोलना नवाज़ क्या हुआ है , तू इतना घबराया हुआ क्यों है ?

भाभी जान वो , वो ,वो !

क्या वो ???? अब बोलेगा भी !

वो भाईजान ! भाईजान !

इतना सुनते ही रुख़सार के हाथ से पानी का घड़ा छूट गया !

क्या सच मे नवाज़ ?

हाँ !!भाभी जान ....

रुख़सार ने आव देखा ना ताव और गांव से बाहर को जाती पगडंडी पे दौड़ लगा दी ....

लेकिन भाभी जान मेरी पूरी बात तो सुन लो !

रुख़सार तो जैसे पागल ही हो गयी थी ....

.अशफाक अशफाक !!जोरो से बस यही नाम पुकार रही थी और तेज़ी में दौड़े जा रही थी .....

एक पल के लिए उसे यही लग रहा था कि अब सब सपने सच हो जाएंगे , उसका भरोसा सच हुआ , उसका प्यार सच्चा था ....

मेरा पूरा परिवार होगा अब , मेरी प्यारी गुड़िया होगी , अब हम साथ रहेंगे हमेशा के लिए , अबकी बार मै उन्हें कहीं नही जाने दूँगी ......

रुख़सार ने यही सोचते सोचते कब पगडंडी को पार कर लिया पता ही नही चला ......वहां रुक वो सोच में पड़ गयी ....अरे !मैने नवाज़ से तो पूछा ही नही की उसने अशफ़ाक़ को कहा देखा ????

अब किस रास्ते पे जाऊ ?

थोड़ी देर इधर उधर ढूंढने के बाद रुख़सार ने सोचा शायद वो दूसरे रास्ते घर को पहुँच गए होंगे ...मैं बावरी यूँही समय बर्बाद कर रही हूँ ....

ररुख़सार ने फिर दौड़ लगा दी घर की ओर ...

घर पहुचते ही उसने देखा बहुत लोग खड़े थे .....बहुत भीड़ उमड़ रही थी ....लगभग पूरा गांव ही आ गया हो जैसे।

भीड़ को देख रुक्सार का दिल जोरो से धड़क ने लगा , अजीब सा डर उसके मन मे घर कर रहा था ....वो फटा फट भीड़ को चीरती हुई सीधे अपने घर के दरवाज़े तक पहुँच गयी ......

रुख़सार जैसे सन्न सी रह गयी ......

माँ ! रोये जा रही थीं .....

तभी रुख़सार के बगल में एक ऑफिसर आके बोला .....क्या आप ही रुकसार मोहम्द खान है ?????

जी .... कहिये .....मैडम !!! आप यहाँ अपना दस्तखत कर दीजिए .....

क्या है ये ???

ये फौजी अशफ़ाक़ मोहम्द खान की पार्थिव शरीर की सुपुर्दगी के दस्तावेज है , साथ ही सरकार की तरफ से आपको 25 लाख रुपये मुआवजा दिया जा रहा है ....

रुख़सार ने कहा हमे दस्तखत करना नही आता है .....

ऑफिसर ने तुरंत अंगूठे से निशान लगाने वाली स्याई आगे बढ़ाते हुए रुख़सार को इशारा किया ।

रुख़सार ने कहे अनुसार अपना अंगूठा लगा दिया .....

शाम हो चुकी थी ....

रुख़सार ने अभी तक कुछ नही बोला था ...

उसकी ये दशा देख माँ और पड़ोसी चिंतित हो रहें थे .....

रुख़सार के तो जैसे सपने ही टूट गए थे ,

बस एक ही सवाल उसके मन मे घुमड़ रहा था ....

क्या अब अम्मा की बात मान लेना चाइये ???? क्योंकि उसे इस बात पे तो भरोसा हो रहा था कि ..." भरोसा " ,"वादा" जैसा कुछ नही होता है ....


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