Anil Makariya

Drama

4.9  

Anil Makariya

Drama

रंगरेजिन

रंगरेजिन

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"कभी जिंदगी में सफेद रंग के अलावा भी रंग पहना है क्या ?"

लाल रंग की साड़ी में सजी शब्बो ने रंगरेजिन को ताना मारा।

"जब लोगों के कपड़े मेरा मरहूम रंगरेज रंगता था न तो सारे रंग मेरे ही लिबास से चुनता था" रंगरेजिन ने शब्बो के बदरंग कपड़े लेते हुए जवाब दिया।

"अब कहाँ गए तेरे लिबास के रंग ?"

शब्बो ने तल्खी से पूछा।

"कुछ बच्चों के इंद्रधनुषी सपनों में चले गए और कुछ तुम जैसी सखियों के कपड़े रंगने में और जो बचे वह यह है खुशियों के रंग"

रंगरेजिन ने अपने हाथ में छुपा लाल रंग हंसते हुए शब्बो के गालों पर मल दिया।

"होली मुबारक हो शब्बो"

"तुम्हे भी हमारी रंगरेजिन"

मुस्कुराती शब्बो ने भी लाल रंग से सने गाल रंगरेजिन के गालों से सटा दिए।


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