रंग
रंग
कलरव से गूंजते आसमान के बीच चलती खुशनुमा हवाएँ होली के त्योंहार की खुशी दुगनी कर रही थी। लोग रंगों से सराबोर गली गली घूम रहे थे।
इस दृश्य को दूर से कुछ सूनी आंखे देख रही थी। उनके चेहरे बेरंग से उदास थे। दहलीज के अंदर उनके पैर नियम की बेड़ियों से बंधे हुए थे। उनको समाज ने सफेद कफन में जिंदा लाश बना दिया था।
लेकिन एक बच्चे ने होली के रंग उस दहलीज पर डाल दिये। जिससे उन चेहरों पर हंसी की लहर आ गई। इससे नाराज समाज ने दंड निर्धारित किया कि होली के रंग इस दहलीज के अंदर नही आएंगे क्योंकि यह एक विधवा आश्रम है।