रंग
रंग
लक्ष्मी को होली पर रंगों से खेलने का बहुत शौक था। सुबह से ही रंग बिरंगे रंगों में रंग जाती ,वो और उसका पति बिट्टू दोनों सारा दिन होली खेलते, नाचते और खुशियां मनाते थे। इस साल भी होली का त्योहार आया लक्ष्मी ने सुबह ही बिट्टू पर रंग डाल दिया, बिट्टू ने भी आंगन में ही लक्ष्मी को बहुत सारा रंग लगाया और उसको गुलाल से लाल पीला कर दिया। आधा दिन बीत चला था तभी किसी दोस्त का फोन आया और बिट्टू घर से बाहर निकल गया, वो दोस्त के पास दावत में गया जब वहां से बिट्टू घर लौटा तो उसे अपनी होश ना थी। वो शराब के नशे में चूर था, लक्ष्मी ने पहले तो उसको नहलाया और फिर उसको बिस्तर पर लेटा दिया और खुद भी नहाने चली गई। आकर उसने लाल रंग का सूट पहन लिया और मांग में खूब लाल रंग का सिंदूर भरा ।श्रृंगार पूरा होने के बाद उसकी नजर बिट्टू पर पड़ी। बिट्टू की सांसे थम चुकी थी लक्ष्मी की तो होली मानो हमेशा के लिए ही उसके जीवन का रंग ले कर चली गई। सुबह जो जिंदगी रंग बिरंगी रंगों से रंगी थी शाम होते होते उस जिंदगी का रंग बिल्कुल फीका पड़ चुका था ।अब हर साल होली तो आएगी लेकिन लक्ष्मी के जीवन के वो रंग वापस नहीं आ पाएंगे।