STORYMIRROR

Ekta Sharma

Others

3  

Ekta Sharma

Others

वृंदा की कहानी

वृंदा की कहानी

2 mins
423

कार्तिक के माह में तुलसी जी का बहुत महत्व है तुलसी की सेवा करना और उनकी कथा कहने का बहुत पुण्य प्राप्त होता है तुलसी जी की कहानी के बारे में जितना थोड़ा मुझे ज्ञात है उसी को संक्षेप में लिखने की कोशिश की है।

वृंदा का विवाह जालंधर के साथ हुआ था एक बार जालंधर युद्ध में गया हुआ था तब वृंदा घबरा गई और उनको कुछ बुरे सपने आए, वह मूर्छित होकर गिर पड़ी तब वहां विष्णु जी जालंधर का रूप धारण करके वृंदा के सामने आये। वृंदा ने उसको अपने पति के रूप में देखकर उनका आलिंगन किया और दोनों के मन में एक दूसरे के प्रति काफी प्रेम भर गया। कुछ समय बाद वृंदा को ज्ञात हुआ कि यह उनके पति नहीं है। एक पतिव्रता नारी होने के कारण पर पुरुष के स्पर्श से वृंदा के मन में ग्लानि उत्पन्न हुई। और उन्होंने बहुत दुखी होकर अपने आप को अग्नि में डाल दिया और वही सती हो गई। तब विष्णु जी दुखी होकर उनकी राख के बराबर में ही काफी समय तक बैठे रहे।

तब देवताओं ने सोचा कि विष्णु जी को वहां से कैसे लाया जाए। तब सभी देवताओं ने आपस में विचार विमर्श किया, कि हम माताओं के पास चलते हैं, सभी देवता एकत्रित होकर मां गौरी, लक्ष्मी और सरस्वती के पास गए। तब देवियां उनको कुछ बीज दे कर बोली, इन बीजों को विष्णु के पास जाकर वृंदा की चिता की राख में बो देना। तुम्हारे सब कार्य सिद्ध होंगे। तब देवताओं ने वह बीज वहां जाकर बो दिए। तब उन बीजों से वहां तुलसी उत्पन्न हुई। तब विष्णु जी को उनमें वृंदा का रूप दिखाई दिया, और विष्णु जी उठ बैठे। हमारी भारतीय हिंदू संस्कृति में तुलसी जी का बहुत महत्व है तुलसी का पौधा लगाने से, पानी देने से, दर्शन करने का कई गुना फल मिलता है। तुलसी के पौधे में बहुत सारे औषधीय गुण भी हैं

तुलसी माता सबकी मनोकामना को पूर्ण करना।



Rate this content
Log in