रिश्तों की पोटल

रिश्तों की पोटल

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एक परिवार था साधारण सा। ग़रीब रोजमर्रा की जिंदगी मेहनत मजदूरी करके जीवन यापन चल रहा था, वह परिवार का मुखिया था। आज भी निकला था मजदूरी करके के लिए वह दर्दनाक घड़ी की कल्पना भी किसने की थी। वह सड़क पार करते कि कोशिश ही कर रहा था कि एक ट्रक ने उसे उड़ा दिया। शरीर के चीथड़े चीथड़े उड़ गए, लहूलुहान हालत में ज़मीन रंगी थी।

वह रोम - रोम कंपाने वाला दृश्य था परिवार के सदस्यों पर आसमान टूट पड़ा था, और रिश्तों की पोटली पूरी तरह से बिखर गई थी।



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