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Sudha Singh 'vyaghr'

Drama

3  

Sudha Singh 'vyaghr'

Drama

रिश्तों का मोल

रिश्तों का मोल

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एक ओर सर्दी और ज़ुकाम; ऊपर से शरीर का तेज ताप। लगातार दो दिनों से रीमा का बुखार चढ़ - उतर रहा था। इसलिए उसने सोचा कि वह अपनी छोटी बहन डॉक्टर अभिधा से दवा ले लेगी और इसी बहाने उससे मुलाकात भी हो जाएगी। साथ ही साथ व‍ह अपनी छोटी बहन के साथ कुछ अच्छे सुखद क्षणों को साझा भी कर लेगी। एक पंथ दो काज हो जाएंगे। वैसे भी अभिधा की व्यस्तता के कारण रीमा को उससे मिले तकरीबन पांच-छह महीनों से ऊपर हो गया था। उसका क्लिनिक रीमा के घर से कुछ तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर ही था। इसलिए रीमा अकेली ही ऑटोरिक्शा लेकर उसके क्लिनिक पहुँच गई। जब व‍ह उसके क्लिनिक पहुँची तो कम्पाउन्डर ने उसे बताया कि डॉक्टर के कैबिन में पहले से ही एक स्किन पेशेंट मौजूद है। इसलिए व‍ह नहीं जा सकती। रीमा ने सोचा कि थोड़ी देर में शायद उस स्किन पेशेंट से फुर्सत पाकर व‍ह उसे स्वयं अपनी कैबिन में बुला लेगी या खुद ही उससे मिलने कैबिन से बाहर चली आएगी। परंतु जैसा व‍ह सोच रही थी वैसा कुछ नहीं हुआ। 

रीमा का बदन बुखार से खूब तप रहा था। इसी कारण उसे बहुत कमज़ोरी भी महसूस हो रही थी। उससे ठीक से बैठा नहीं जा रहा था। फिर भी वह न जाने क्या सोच कर काफी देर तक बैठी रही।


उसने सिर उठाकर दीवार की ओर देखा। घड़ी की सुई नौ बजा रही थी। एक घंटे से ऊपर हो गए थे। रीमा से अब और बैठा नहीं जा रहा था।इसलिए उसने कम्पाउन्डर से कहलवा भेजा कि जाओ कह दो दीदी को तेज बुखार है सर्दी-खांसी भी है तो उसकी दवा दे दे। उसने सोचा शायद यह सुनकर ही वह बाहर आ जाए कि दीदी की तबीयत खराब है। 

थोड़ी देर में कम्पाउन्डर भीतर से दवा लेकर लौटी और खुराक समझाते हुए रीमा के हाथ में दवा की पुड़िया थमा दी। रीमा को य़ह बात भीतर तक झकझोर गई कि जिस बहन को वह हमेशा अपने सीने से लगाए रहती थी। आज उसका व्यवहार कितना बदल गया है। तीन-चार महीनों से न कोई बात, न कोई फोन। यही सोचते - सोचते दुखी मन से व‍ह घर लौट आई। उसके मन में तसल्ली थी कि फोन करके अभिधा उसका कुशलक्षेम जरूर पूछेगी। आखिर वह एक डॉक्टर है और ऊपर से उसकी बहन। 


कुछ दिनों में दवाइयों की खुराक से रीमा की तबीयत तो ठीक हो गई परंतु न अभिधा का फोन आया और न अभिधा ही आई। रीमा के हृदय को गहरी चोट पहुँची। 

यह बात उसने पहले भी कई बार महसूस की थी कि कई दिनों से अभिधा उससे दूरी बना रही थी। जब-जब रीमा ने उसे फ़ोन कर उससे बात करने की कोशिश की, तब-तब उसके कम्पाउन्डर ने ही फोन उठाया और व्यस्तता का बहाना बनाकर फ़ोन काट दिया। उसके मन के किसी कोने में यह बात घर कर गई कि गरीबी सबसे बड़ी बीमारी है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं। जब तक य़ह बीमारी साथ रहती है तब तक अपने भी अपनों को नहीं पहचानते। औऱ अभिधा क़े इस व्यवहार ने भी अब इस बात की पुष्टि कर दी थी कि पैसों के आगे रिश्ते का कोई मोल नहीं होता।


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