Versha Gupta

Inspirational

4.0  

Versha Gupta

Inspirational

रिश्ते और पैसा

रिश्ते और पैसा

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सूरज निकलता हैं, घङी का अलार्म बजता हैं ,सुबह के 5:00 बजे हैं, अलार्म बजते ही रवि उठता हैं, जोगिंग सूट पहन कर मोर्निंग वॉक के लिये निकलता हैं, सुबह का मंजर बहुत ही सुहाना हैं हल्की-हल्की ठंड, ताजी-ताजी हवा, पेड़-पौधो की हरियाली और सूरज की लालिमा के बीच रवि घूमने का मजा लेता हैं और मन को तरोताजा करता है। सुबह के 6:00 बजे हैं रवि के मोर्निंग वॉक से आने का समय,आते ही रवि गर्म पानी और शहद लेता हैं, इसीलिये रेखा गर्म पानी और शहद मेज पर रख देती हैं क्योंकि रवि को सभी काम समय पर पसंद है, रवि आते ही गर्म पानी और शहद लेता है और नहाने चला जाता है, रेखा भी नाश्ता बनाने के लिये किचन में जाती हैं साथ ही मिष्टी और आशीष को भी स्कूल के लिये तैयार करती है।

एक औरत को एक साथ कई काम करने होते हैं, फिर भी सुनना पड़ता हैं कि कुछ नहीं करती।

रवि ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर खाने की टेबल पर आता हैं मिष्टी और आशीष भी साथ में नाश्ता करने के लिए बैठते हैं रेखा गर्म -गर्म आलू के परांठे लेकर आती हैं और सबको परोसती है,

मिष्टी कहती पापा मेरी छुट्टीयां शुरू होने वाली कहीं घूमने चले तो रवि कहता हैं नहीं इन दिनों ऑफिस में बहुत काम हैं। मिष्टी का चेहरा मुरझा जाता है, तब रेखा कहती हैं मैं चलूँगी तुम्हारे साथ बेटा।

तभी आशीष कहता हैं, कि पापा मुझे स्कूल के लिए देरी हो रही हैं ऑफिस जाते हुए मुझे स्कूल छोड़ देना तो रवि कहता हैं, मुझे

ऑफिस से पहले कहीं ओर जाना है, वह रेखा को कहता हैं तुम गाड़ी से आशीष को स्कूल छोड़ देना।

फिर रेखा कहती है शाम को जल्दी आ जाना आज अनिता मौसी की लड़की की सगाई हैं, तब भी रवि कहता मेरे पास समय नहीं बच्चों को ले जाना।

और गुस्से में ऑफिस के लिए निकल जाता हैं, और ऑफिस में पूरी लगन से काम करता हैं। और शाम को ऑफिस का काम पूरा करके घर पहुँचता हैं तो घर का नजारा कुछ अजीब था। बहुत भीड़ लगी हुई थी घर के बाहर सारे रिश्तेदार आये हुए थे, सब मायूस थे और कुछ रो भी रहे थे। रेखा का भी रो-रो कर बुरा हाल था बच्चे भी रो रहे थे। रवि ने रेखा से पूछा कि क्या हुआ लेकिन रेखा रवि की आवाज नहीं सुन पा रहीं थी रवि ने बच्चों से पूछा पर वो रवि को देख भी नहीं पा रहे थे।

रवि समझ नहीं पाता कि क्या हो रहा हैं, तभी उसकी नजर एक लाश पर जाती हैं, जो किसी ओर की नहीं रवि की ही थी, दरअसल ऑफिस से आते हुए उसका एक्सीडेंण्ट हो गया था और वहीं पर उसकी मौत हो गयी थी।

मिष्टी रेखा से कहती हैं कि मैं पापा से भी बाहर जाने के लिए जिद्द नहीं करूँगी बस पापा को उठने के लिए कह दो, आशीष भी कहता हैं कि पापा मै कभी आपको स्कूल छोड़ने के लिए नहीं कहूँगा, आप उठ जाओ बस।

यह सब देखकर रवि अन्दर से हिल जाता है और सोचने लगता है कि वह बस काम और पैसे कमाने के चक्कर में ही लगा रहा, परिवार की तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया कभी उनसे प्यार से बात नहीं की, समय नहीं बिताया और सोचते सोचते रोने लगता है कि तभी ट्रिन ट्रिन की आवाज आती है, रवि घङी का अलार्म बंद करता हैं।

घड़ी में सुबह के पाँच बजे हैं और रवि अपने आप को बैड पर पाता हैं और सोचकर हैरान और खुश भी होता है कि ये एक सपना था।

फिर अपना जांगिग शूट पहनता हैं और मोर्निंग वॉक के लिये चल देता है, वहाँसे आकर गर्म पानी और शहद पीता है और नहाने चला जाता हैं, रेखा नाश्ता बनाने किचन में चली जाती है, रवि तैयार हो कर नाश्ते की टेबल पर आता है, और मिष्टी से पूछता हैं कि बेटा आपकी छुट्टी कब से है, तो मिष्टी कहती हैं पापा दो दिन बाद तो रवि कहता हैं लोनावला चलें और मिष्टी खुशी से रवि को गले लगा लेती हैं फिर रवि आशीष से कहता आओ बेटा आज मैं तुम्हे स्कूल छोड़ देता हूँ।

रेखा समझ नहीं पा रही थी रवि के बदले हुए स्वभाव को देखकर लेकिन खुश भी बहुत थी और उसकी आँखों से खुशी के आंसू छलक पड़ते हैं।

रवि रेखा से कहता हैं आज शाम को सब अनीता मौसी की लड़की की सगाई में चलेंगे।

एक सपना और सबकी जिन्दगी बदल चुकी थी। अपने में रहने वाला रवि खुश रहने लगा और पूरा परिवार भी खुश हो गया।

क्योंकी असली खुशी सबके साथ मिलती हैं, अकेले नहीं

पैसा कितना भी कमा लो,लेकिन परिवार के बिना बेकार

बस यहीं थी रवि की कहानी , रवि जैसे ओर लोग भी है जो सिर्फ पैसे कमाने और अमीर ओर अमीर बनने के चक्कर में लगे रहते हैं, उनसे मुझे यह कहना हैं कि दो -चार दिन की जिंदगी हैं पैसे कमाने के साथ-साथ परिवार को भी समय दें, ये वक्त दोबारा नहीं आयेगा।


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