रिश्ता तेरा मेरा
रिश्ता तेरा मेरा
सीमा बहुत परेशान थी कि राजन अभी तक घर नहीं पहुंचा । कहाँ रह गए वह सोच रही थी फोन भी नहीं लग रहा था ।मायूस होकर जैसे ही बैठी थी कि दरवाजे की घंटी बजी । दौड़कर सीमा ने दरवाजा खोला सामने राजन चिंतित खड़ा था ।
"क्या हुआ राजन तुम इतने परेशान क्यों हो ।"
"नहीं बस रास्ते में गाड़ी खराब हो गई थी और ऐसी जगह पर जहां मोबाइल का नेटवर्क भी नहीं था ।"
"वह बहुत परेशान हुए होगे न ।"
" हां सीमा परेशानी तो बहुत हुई । उससे तो मैं निकल आया पर एक बात और है जो चिंता वाली है ।"
राजन बहुत चिंतित लग रहा था उसका चेहरा ही बता रहा था कि चिंता वाली कोई बात है ।
" राजन बताओ न क्या बात है, तुम्हें देखकर तो मुझे भी चिंता होने लगी है ।अच्छा चलो, तुम पहले रिलैक्स हो लो, बैठो मैं पानी लेकर आती हूं ।तुम बहुत थके और परेशान लग रहे हो ।"
"ओके, ओके, मैं ठीक हूँ और वह सोफे में बैठ जाता है ।"
इतने में सीमा पानी लेकर आती है
"लो, राजन पहले पानी पी लो फिर आराम से बताना ।"
"आई फील बेटर सीमा !"
"अब बताओ क्या बात है सीमा तुम्हारे पिताजी का फोन आया था ।"
"मेरे पिताजी का? सीमा घबराकर पूछने लगी । क्या कह रहे थे ।"
" यही कि तुम्हारा भाई विभु अपनी पत्नी के साथ घर छोड़कर जा रहा है।"
"क्या, ऐसा कैसे ? मम्मी पापा को अकेला छोड़ कर कैसे जा सकता है।"
वह मम्मी पापा कैसे इस उम्र में अकेले रहेंगे । दो महीने शादी के हुए और घर छोड़ने की बात करने लगा ।"
"हां वही तो उसके लिए क्या क्या ना किया सासु मां और पिताजी ने । थोड़ा भी नहीं सोचा उसने ।" राजन ने कहा ।
"हां राजन, हमें वहां चलना चाहिए । विभु से बात करनी होगी ऐसा कैसे कर सकता है वह । उसे डाटूँगी । मैं बड़ी हूं उससे ।"
"हां चलो कल ही चलते हैं ।"
"कल क्यों ? आज ही चलते हैं" सीमा जिद कर रही थी उसे यह उसे यह सोच कर कि मम्मी पापा कभी अकेले नहीं रहे हम दो भाई बहनों को कितनी मुश्किल से पढ़ाया लिखाया और सभी मनपसंद चीजें पूरी करने की पूरी कोशिश करते रहे वह सोच कर रोने लगती है तब राजन ने ढाढस बंधाया उदास मत हो सब ठीक हो जाएगा ।
दोनों निकल पड़ते हैं और सीमा रास्ते भर वहीं की बातें करती रही है । परेशान रही और राजन को भी बोल बोल कर परेशान करती रही । राजन ने कहा "अब तो जा ही रही हो जा कर बात कर लेना । क्यों परेशान हो।"
राजन की बोलने पर सीमा चुप तो हो गई पर अंदर उधेड़बुन में लगी रही । अंतत घर पहुंच गई जैसे ही माँ ने दरवाजा खोला । मां से लिपट कर रोने लगी । माँ ने कहा "क्या हुआ बेटा इतनी दुखी क्यों है तू । क्यों रो रही है पापा परेशान हो गए सीमा को क्या हो गया क्यों रो रही है ।"
"मम्मी पापा आप चिंता ना करो सब ठीक हो जाएगा मैं विभु को समझा दूंगी।" पर उन लोगों को तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था क्या समझाएगी बेटा विभु को क्या हुआ है ।
"विभु, विभु चिल्लाने लगी नीचे आओ।"
" क्या हुआ दीदी?" कहते हुए नीचे उतर आया साथ में उसकी पत्नी भी । दो महीने पहले उन लोगों की शादी हुई थी ।
"क्या हुआ दीदी कह रहा है फैसला लेने से पहले थोड़ा सोचा भी नहीं मां पापा का क्या होगा ।"
" क्या फैसला ? कैसा फैसला दीदी।" उन लोगों को तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था सीमा क्या कह रही थी ।
तब उसने कहा कि विभु घर छोड़कर मम्मी पापा को जा रहा है न।
"किसने कहा" मम्मी, पापा, विभु ने एक साथ पूछा तब राजन ने मुस्कुराते हुए कहा मैंने बताया है ।
" पर झूठ क्यों कहा?" सीमा की मम्मी ने कहा ।
सीमा को एहसास दिलाने के लिए जब मम्मी पापा को कोई बेटा छोड़कर जाता है तो कैसा लगता है ।अब सीमा को समझते देर नहीं लगी थी बात ।
"अच्छा तो राजन मुझसे कह देते ना यह सब बात थी तो ।"
"तुम ऐसे कहां समझती । समझती तो अम्मा बाबूजी को गांव नहीं भेजना पड़ता। कितने अरमान थे अम्मा बाबूजी के बहू आएगी तो अपनी बेटी से कभी अलग ना समझूंगी ।"
सीमा को बहुत पश्चाताप हो रहा था उसे आज राजन एक कड़वी सीख दी थी पर सही सीख दी थी ।
उसने राजन से कहा- "राजन हो सके तो मुझे माफ कर देना हम कल ही अम्मा बाबूजी को घर लेकर आएंगे और कभी भी उन्हें अब कहीं जाने नहीं देंगे । तुमने मुझे अपनी गलती का एहसास करा दिया है।"
अब सीमा के मम्मी पापा और विभु को सभी बातें समझ आ गई थी उन लोगों ने कहा जाओ तुम लोग हमेशा सुखी रहो । यही तो रिश्ता तेरा मेरा है सीमा हम दूसरे के सभी बातों को समझें । सीमा आत्मग्लानि से भर गई थी तभी राजन ने उसे अपने गले से लगा लिया और अब सब ठीक है ।