रेप (एक कलंक)
रेप (एक कलंक)


यह एक काल्पनिक कहानी है हमारी सोच में परिवर्तन लाने के लिए।रेप आज के समाज का एक बेहद घिनौना अपराध और इससे भी बड़ा अपराध है उन महिलाओं का अपमान करना जो इससे पीड़ित है।आज के समाज में हम लोग महिलाओं के सम्मान की महिलाओं को इंसाफ दिलाने की बाते करते है पर क्या हम सच में इन सब को दिल से अपनाते है ? आईए इस अपराध से जुड़ी कुछ बातो पर गौर करें।
दिल्ली बेहद व्यस्त शहरों में से एक इस शहर को आप एक पॉलिटीकल नागरी भी कह सकते है एक दिन इस शहर के एक छोटे से हिस्से में हुआ एक घिनौना अपराध एक २० वर्षीय महिला (प्रियंका) का रेप और आपको जानकर हैरानी होगी इस घटना को अंजाम देने वाले ३ लोग जिनकी उम्र १४ से २१ वर्ष की थी।
प्रियंका एक बोहोत ही होनहार विद्यार्थी थी उसने अभी दिल्ली के एक नामी कॉलेज में एडमिशन लिया था। और एक अच्छे करियर की सोच रखते हुए आगे बढ़ रही थी। एक दिन उससे इस समाज के एक बेहद घिनौने सच का सामना करना पड़ा वो है महिलाओं से छेडछाड़ (ईव टीजिंग), जब प्रियंका अपने कुछ दोस्तों के साथ घूम कर घर वापस जा रही थी तभी उसे कुछ लड़कों का सामना करना पड़ा। प्रियंका बोहत साहसी भी थी उसने उन लड़कों को सबक सिखाने के लिए अपनी आवाज उठाई और यही बात उन लड़कों को नागवार गुजरी। उन लड़कों ने अपनी गंदी सोच को अंजाम देने के लिए प्रियंका का पीछा करना शुरू कर दिया और एक दिन उसे अकेला पाकर उस घिनौने अपराध को अंजाम दिया और यही नहीं ये अपराध करने के बाद वो लोग यही नहीं रुके बल्कि प्रियंका का वीडियो बनाकर उसे धमकाया भी।
प्रियंका ने साहस दिखाते हुए इंसाफ के लिए गुहार लगाई और इस अपराध पे गंभीरता दिखाते हुए सब लोग अपनी अपनी टिपपणियां करने लगे कुछ नेताओं ने अपने पॉलिटीकल फायदे के लिए इस मुद्दे को उठाया तो कुछ ने सोशल साइट्स पर फेमस होने के लिए। लेकिन अफसोस ये है कि उस लड़की के सम्मान के लिए कोई सामने नहीं आया।
उन लड़कों को पकड़ लिया गया और कानून के मुताबिक उनको सजा दी गई। पर क्या इसे ही इंसाफ कहते है।
इस घटना के कुछ वक्त बाद प्रियंका को समाज में अलग नजर से देखना शुरू कर दिया हम लोगो ने उसे सिर्फ एक बेचारी अब्ला नारी बना के रख दिया।
उसके परिवार वालों ने उसे कलंक मान लिया क्योंकि शायद उनको बेटी की इज्जत से ज्यादा समाज से नज़रे ना मिला पाने का डर था। यही दूसरी तरफ बाहरी दुनिया में भी प्रियंका से सब हमदर्दी दिखाने लगे थे और समाज में मानो हर कदम में उसे बार बार उतना ही दर्द सहना पड़ता जितना उन दरिंदो ने उसे दिया था।
उस घटना के बाद रेप उसके लिए जिंदगी का एक कलंक बनके रह गया था जिसे वो जितना मिटाने की कोशिश करती हम लोग उससे उतना ही याद दिला देते। प्रियंका को इस कलंक के साथ जीना नागवारा था उसे समाज की सोच से परेशान होकर जीने से अच्छा मर जाना लगा और उसने अपनी जिंदगी को त्याग कर मौत को गले लगा लिया।
प्रियंका के जाने के बाद हमारे समाज के लिए एक सवाल उठता है क्या सिर्फ अपराधियों को सजा दिला देने से इंसाफ मिल जाता है ?
हमे इस अपराध से पीड़ित महिलाओं को सिर उठा के जीने का अधिकार देना चाहिए उनको जीने के लिए हौसला देना चाहिए ना की उन्हे रेप एक कलंक का एहसास दिलाना चाहिए।