हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Inspirational

4.5  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Inspirational

राम नाम की महिमा

राम नाम की महिमा

4 mins
35


35. राम नाम की महिमा 


राम नाम की महिमा

एक बार एक शहर के बाहर एक बहुत बड़े संत आकर रुके । उन्होंने एक कुटिया बनाई और उसमें रहकर साधना करने लगे । एक दिन एक युवक उधर से गुजरा और उसने उन संत को साधना करते हुए देखा । वह वहीं रुक गया । उसने देखा कि संत साधना में व्यस्त हैं इसलिए कुटिया की साफ सफाई नहीं हो पा रही है । युवक ने साफ सफाई कर दी और चला गया । अगले दिन वह फिर आया और फिर से साफ सफाई कर के चला गया । अगले दिन वह फिर आया और अपने साथ कुछ फल भी लाया । उसने फिर साफ सफाई की और फल वहीं छोड़कर चला गया ।

इस तरह वह रोज आने लगा और फल , जल भी साथ में लाने लगा । संत की साधना समाप्त हुई तो उन्हें उस युवक की सेवा के बारे में पता चला । संत ने उस युवक को आशीर्वाद स्वरूप एक मंत्र दिया और कहा कि यह अत्यंत गुप्त है इसलिए मन ही मन बोलना । किसी को पता नहीं चलना चाहिए । युवक बहुत प्रसन्न हुआ और संत के चरण सूकर चला गया ।

जब वह जा रहा था तब उसे रास्ते में कुछ लोग राम राम का उच्चारण करते हुए आते मिले । युवक चौंक गया । वह गौर से उन्हें देखने लगा । वे लोग राम नाम का उच्चारण करते हुए मस्ती से जा रहे थे । युवक असमंजस में पड़ गया । उसने मन में सोचा "जिस मंत्र को संत जी ने अत्यंत गुप्त बताया था उसे तो ये लोग सार्वजनिक रूप से गाकर चलते जा रहे थे । फिर संत ने उससे झूठ क्यों कहा" ?

वह वापस लौट पड़ा । संत उसे देखकर चौंके और उसका चेहरा देखकर बोले "क्या बात है वत्स , परेशान लग रहें हों" ?

युवक ने सारी बात उन्हें बता दी और अपनी शंका भी कह दी । युवक की बात सुनकर संत ने कहा "अरे, मुझे अचानक एक काम याद आ गया है । क्या तुम ये काम कर सकोगे" ?

"आप आदेश दें महाराज , मैं अवश्य करूंगा" ।

"तो ठीक है । तुम इसे लेकर बाजार जाओ और इसका मोल लगवाकर आ जाओ । ध्यान रखना इसे बेचना नहीं है सिर्फ मोल लगवाना है" । संत ने अपनी झोली से एक पत्थर निकाल कर उसे देते हुए कहा ।

"जी महाराज , ऐसा ही करूंगा" । और वह उस पत्थर को लेकर चल दिया ।

थोड़ा चलने पर उसे एक सब्जी बेचने वाला मिल गया । उसने वह पत्थर उसे दिया और पूछा "इसे कितने में खरीदोगे" ?

सब्जी बेचने वाले ने उस पत्थर को गौर से देखा । उसने सोचा कि यह पत्थर बांट के काम आ सकता है । उसने कहा कि मेरे पास पैसा नहीं है । इसके बदले इसकी तौल की कोई भी सब्जी ले जा सकते हो" । युवक अपना पत्थर वापस लेकर आगे बढ़ गया ।

आगे एक सुनार की दुकान थी । सुनार ने वह पत्थर देखा और उसने उसे एक घटिया हीरा समझा । उसने उसके सौ रुपए लगाये । युवक वह पत्थर वापस लेकर आगे बढ़ गया ।

आगे उसे एक जौहरी मिला । उसने पत्थर को गौर से देखा । वह वास्तव में हीरा था । उसे विश्वास नहीं हुआ । युवक की स्थिति देखकर जौहरी ने सोचा कि यह चोरी का माल है । फिर भी उसने उसे दस हजार रुपए का ऑफर दे दिया ।

अंत में उसे जौहरियों का सरदार मिला । उसने उस हीरे को देखकर कहा "यह तो एक नायाब हीरा है । इसके जैसा हीरा इस संसार में और नहीं है । यह अनमोल है । इसे खरीदना उसके वश में नहीं है" । युवक उस हीरे को लेकर वापस संत के पास आ गया और उन्हें सारी बात बता दी ।

तब संत ने उन्हें समझाया । हीरा वही था लेकिन अलग अलग व्यक्ति ने अलग अलग कीमत लगाई है । उसी तरह यह राम नाम भी अनमोल है । जिसकी जैसी श्रद्धा वैसी ही लगन ।

इससे राम नाम की महिमा उजागर होती है



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