प्यारी सी सिन्ड्रेला
प्यारी सी सिन्ड्रेला
मेरा नाम एनेस्थेसिया है, मैं अपने घर में मेरी माँ और बहन ड्रिजेला के साथ रहती हूँ हाँ घर में एक और भी लड़की रहती है",सिंड्रेला" जो मेरी सौतेली बहन है, मैं उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती ,क्योंकि वह कुछ ज्यादा ही सुन्दर है।
मैं हमेशा से ही राजकुमार से शादी करना चाहती थी। और मैं इस देश की रानी बनना चाहती थी ये मेरा सबसे बड़ा सपना था, मेरी माँ भी मेरा पूरा साथ दे रही थी मेरे इस सपने को पूरे करने में !
माँ हमें तरह-तरह से सजातीं संवारती, हमारा बनाव,श्रृंगार करतीं फिर भी हम अच्छी नहीं दिखते। और वह सिंड्रेला,जिसे माँ दिन-रात ही घरके कामों में लगाए रखतीं और पहनने के लिए नौकरों के कपड़े और सोने के लिए बिस्तर की जगह अंगीठी का कोना मिलता,उसका नाम भी तो 'एला' था जो सिंडर (अंगीठी की राख) लगे होने कारण सिंड्रेला पड़ गया,बिना किसी श्रृंगार के सुन्दर दिखती।
माँ उसे तरह-तरह से परेशान करती और हम दोनों बहनें भी उसका मज़ाक बनाती रहतीं ।
उसदिन भी माँ ने उसे घर के कामों में लगा दिया और राजकुमार की पार्टी में हमें ले गई।
हम पार्टी में मजे कर रहे थे तभी वहां एक बहुत ही अनुपम सुन्दरी आई सभी उसे ही देखने लगे, राजकुमार भी उससे आकृष्ट हुए बिना रह नहीं पाए और खिंचे चले गए उसके पास ।उस ब्रह्माण्ड सुन्दरी ने जैसे जादू कर दिया हो।सब बहुत ही अद्भुत लग रहा है।
फिर वो दौड़ती सी चली गई,अपनी जूती छोड़ कर। अब तक राजकुमार उसके दीवाने हो गए थे। उसी से शादी करने की जिद में आ गए।सुन्दरी को पूरे राज्य में ढूंढा जाने लगा।देश की हर लड़की को वह जूती पहना कर देखा जाता।पर वो सुन्दरता की मूर्ति तो हमारे घर में थी। वो जूती सिंड्रेला की थी और उसे देश की राजकुमार की राजकुमारी घोषित कर दिया गया।
सिंड्रेला, राजकुमारी सिंड्रेला बन गई। मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पाई।