प्यार
प्यार
कॉलेज का पहला दिन अभ्यास कक्ष मे एक एक छात्र आ रहे है ।उत्सुकता उतनी बढती है ,ऐसे मे मनोरमा की नजर दानियल पर चली गई। कुछ दिनो के बाद फल पूर्ण रूप से खिलता है आज बिलकुल एसा यौवन मनोरमा का खिला है। सब एक साथ सु प्रभात ।
मनोरमा गोर से देखते हुए "आपका नाम क्या है?"
"पहाड़ इलाके से हो क्या?"
दानियल:"नही"मै सोरठ से हूं।"
मनोरमा:"विश्वास नही हुआ?"
दानियल:"क्यो?"
मनोरमा: "सब बाते व्यक्त नही की जा सकती।"
दानियल:"हां ये तो है।"
मनोरमा:"पढाई के लिए आए हो?"
दानियल:"हां"
मनोरमा:"क्या बनना चाहते हो?"
दानियल: "सच्चा इन्सान।"
मनोरमा:"सच्चा प्रेमी नही?"
दानियल:"आप मुझे प्यार के कवच में मत बंद करो,मै गरीब हू।मेरी माँ का प्यार ने मुझे पढने पर मजबूर किया है।"
मनोरमा:"मै धनवान पिता की इकलौती बेटी हूं। आपको पढाई चाहिए हमे आप।"
(दोनो बाहो मे समा जाते है।)