RASHI SRIVASTAVA

Romance

4.7  

RASHI SRIVASTAVA

Romance

प्यार की दस्तक

प्यार की दस्तक

7 mins
652


मिनी अपने पति और बच्चों के साथ अपने ससुराल आई हुई थी। उसकी सासू मां ने माता रानी का जागरण रखा था। घर मेहमानों से भरा हुआ था। मिनी स्वभाव से ही बड़ी चंचल व हंसमुख स्वभाव की होने के साथ साथ काम में भी बहुत ही निपुण थीI सभी घरवाले उसे बहुत पसंद करते थे। वह सर्वगुण संपन्न एक आदर्श बहू थी। जागरण को अटेंड करने राहुल का मौसेरा भाई रोहित भी आया हुआ था। वह एमबीबीएस कर रहा था। उससे मिलकर मिनी को लगा ही नहीं कि वह उससे पहली बार मिल रही हैI उसके प्रति मिनी को एक अंजाना सा आकर्षण प्रतीत हो रहा था। वह अपने बाकी देवरों की तरह उससे भी हंसी मजाक कर रही थी, पर कुछ सहज सा नहीं लग रहा था। रोहित भी उसे एकटक देखता रहता थाI रोहित की आंखों से आंखें मिलते ही उसे कुछ महसूस सा होने लगता था पर वह जानबूझकर सब कुछ नजरअंदाज करने की नाकाम कोशिश किए जा रही थी। रोहित उसके पास बहाने से आता था, उसे स्पर्श करता था और फिर प्यार भरी नजरों से देख कर दूर चला जाता था। मिनी को यह सब गलत लगते हुए भी वह उसे यह सब करने से नहीं रोक पा रही थी। उसकी नजरें, उसका स्पर्श उसके दिल की धड़कनें बढ़ा देता था। 

आखिरकार जागरण संपन्न हुआ और सभी मेहमान अपने अपने घरों को जाने लगे। जब रोहित के जाने का समय आया तो मिनी को ऐसा लगा कि जैसे उसके दिल का कोई हिस्सा उससे अलग हो रहा है। वह नहीं समझ पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है। उसने सोचा कि रोहित के जाने के बाद सब सही हो जाएगा। पर उसके जाने के बाद मिनी का दिल जैसे बैठने लगा और वह चुपचाप कमरे में जाकर कमरा बंद करके बैठ गई। अनायास ही आंसुओं की झड़ी उसकी आंखों से बह निकली। वह किसी से अपने दिल की बात भी नहीं बता सकती थी। वह खुद से सवाल करने लगी कि क्या वह रोहित को चाहने लगी है पर ऐसा कैसे हो सकता है, वह मन ही मन सोच रही थी। उसने खुद को खूब दुत्कारा कि "बेशर्म मत बन, तू शादीशुदा है, दो बच्चों की मां है। वह देवर है तेरा, तुझसे उम्र मेंं भी छोटा हैI हर तरह से ही ये एक पाप के अलावा और कुछ नहीं है। ऐसा मन में विचार आना भी एक गुनाह है।" उसने खुद को खुद ही खूब डांटा फटकारा और किसी तरह से मन को समझा कर और अपने आंसू पोंछकर वापस अपने काम में लग गई। उसके दिल में अभी भी बेचैनी सी थी।

कुछ दिनों बाद वह भी अपने शहर वापस आ गई। अपने को ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखते हुए वह अपने दिल को रोहित के बारे मेंं सोचने का मौका ही नहींं देती थी। पर कहते हैं ना आप प्यार को नहीं ढूंढते हो, प्यार आपको ढूंढ लेता हैI उसका बार-बार दिल चाहता था कि रोहित को फोन करें उससे बात करें ले लेकिन फ़िर वह अपने मन को लेती थी। कुछ समय बाद एक दिन फोन की घंटी बजी और स्क्रीन पर रोहित का नाम देखते ही उसके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। उसने फोन उठाया, उधर से रोहित की आवाज सुनकर मानो रेगिस्तान में बारिश की फुहार सी पड़ गई हो। आखिरकार खुद को संभालते हुए उससे नॉर्मल तरीके से उससे बात की ताकि उसको कुछ पता ना लगे। इसके बाद दोनों में अक्सर फोन पर बातें होने लगी। कोई दिन ऐसा नहीं जाता था कि उन दोनों की आपस में बात ना हो। सब कुछ मिनी को बहुत अच्छा लग रहा था रोहित उसकी एक एक चीज का ध्यान रखता था और उसकी बहुत परवाह करता था। पता ही नहीं लगा कि कब दूर होते हुए भी दोनों एक दूसरे के सबसे करीब आ चुके थे।

वास्तव में मिनी शुरू से ही चंचल स्वभाव की थी। मस्त रहना, जिंदगी के हर पल को जीना और जिंदगी को एंजॉय करना बस यही उसकी लाइफ थी। उसके माता-पिता रूढ़िवादी थे। उनके लिए लड़का लड़की का मिलना, प्यार करना एक बुरी बात थी, एक गुनाह था जिसे समाज में भी स्वीकार नहीं किया जा सकता था। मिनी अपने मां बाप को सबसे ज्यादा चाहती थी और वह किसी भी तरीके से उनका दिल नहीं दुखाना चाहती थी। स्कूल कॉलेज के समय भी कुछ लड़कों ने उसे प्रपोज किया था परंतु उसने अपने दिल में यह ठान लिया था कि उसके मम्मी पापा जिससे भी उसकी शादी करेंगे उसको ही दिल में बसा लेगी जैसे कि बाकी सभी अरेंज मैरिज करने वाले करते हैं I उसके दिल में यही डर था कि अगर वह किसी को प्यार कर बैठी और उसके मम्मी पापा उसके साथ उसकी शादी के लिए तैयार नहीं हुए तो वह जिंदगी भर उसको भूल नहीं पाएगी और किसी और के साथ भी एडजस्ट नहीं कर पाएगी, इससे अच्छा है कि जिस तरफ जाना ही नहीं उस तरफ कदम ही ना बढ़ाए। हालांकि उसका दिल कहीं ना कहीं अपनी कल्पनाओं में अपने प्यार को ढूंढता ही रहता था लेकिन वास्तविकता में उसको नजरअंदाज करके उसने यह फैसला ले लिया था कि वह मम्मी पापा की पसंद से ही शादी करेगी और ऐसा ही उसने किया।

अब उसकी शादी को दस साल हो चुके थे। उसके पति का स्वभाव उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था। वो गंभीर व गुस्सैल स्वभाव के थे। हंसना, मस्त रहना तो जैसे उनको आता ही नहीं था। मिनी का वह सपनों वाला प्यार, वो एहसास अपने पति में बहुत ढूंढने पर भी नहीं मिले। उनके हिसाब से खुद को ढालते ढालते मिनी बोझिल सा महसूस करती थी। अब वह सिर्फ ज़िंदगी के पल काट रही थी। घर के कामकाज, बच्चों की परवरिश आदि में उसने खुद को जैसे खो दिया था। 

रोहित के मिलने पर मानो मिनी के प्यार भरे सपनों ने करवट ले ली थी। रोहित में उसको अपने सपनों वाला राजकुमार दिखता था। लेकिन परिस्थितिवश वह उसको स्वीकार नहीं कर सकती थी। रोहित से बातें करना, उसके साथ होना, मानो वही पल उसकी ज़िंदगी बन गए थे। और वह यही सोच कर खुश थी कि चलो रोहित उसकी जिंदगी में तो है। और फिर वह दिन आया जब उसे एक कठिन फैसला लेना पड़ा। एक दिन बातों ही बातों में रोहित ने उसे आई लव यू बोल दिया और उससे शादी का प्रस्ताव रखा। यह असंभव था। मिनी चाह कर भी उसके पास नहीं जा सकती थी। वह समाज और रिश्तो की बंदिशों में बंधी हुई थी। वह अपने प्यार की वजह से अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकती थीI

रोहित के बहुत मनाने पर और यह कहने पर भी कि वह किसी की परवाह नहीं करता और उसके लिए दुनिया से लड़ जाएगा, मिनी ने अपने रिश्ते को वहीं रोकना ही उचित समझा, इससे पहले की बात बिगड़ जाती। उसने रोहित को समझाया कि "सब कुछ हमारी इच्छा से नहीं होता। जो भी परिस्थितियां होती हैं उन्हें स्वीकार करना ही पड़ता है और पारिवारिक रिश्तों और जिम्मेदारियों से भागकर कोई भी खुश नहीं रह सकता। हम उन तमाम लोगों से कितने भाग्यशाली हैं कि जो ज़िंदगी भर प्यार को ढूंढते रह जाते हैं पर उन्हें सच्चा प्यार नहीं मिल पाता। हमें इस बात के लिए ही भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि हमारी जिंदगी में जो कमी थी वह एक दूसरे को पाकर पूरी हो गई I पर रोहित कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। आखिरकार मिनी को अपने दिल पर पत्थर रखकर यह कहना पड़ा कि रोहित हमें एक दूसरे को भूलना ही पड़ेगा। हां जितने पल हमने साथ में बिताए हैं, मेरे लिए वे अनमोल हैं और उन्हीं पलों को याद करके मैं अपनी पूरी ज़िंदगी बिता सकती हूं और तुम्हें भी यही करना पड़ेगा। हम अपने परिवार और जिम्मेदारियों से नहीं भाग सकते। इसलिए बेहतर होगा कि तुम भी कोई अच्छी सी लड़की देख कर उससे शादी कर लो। हम एक दूसरे के बिना रहते हुए भी एक दूसरे के दिल में रहेंगे। कौन कहता है कि प्यार अधूरा रह जाता हैI प्यार पाकर ही तो कोई इंसान पूरा होता है। एक शादी ही तो अपने प्यार को पा लेने का पैमाना नहीं है ना, बल्कि दिल से दिल का मिलना, एक दूसरे की परवाह करना, एक दूसरे को समझना और एक दूसरे की भलाई के लिए एक दूसरे से अलग होकर भी हमेशा एक दूसरे के दिल में रहना, यही तो सच्चा प्यार है नाI"

मिनी के बहुत समझाने पर रोहित को भी आखिर मानना ही पड़ा और वह उसकी जिंदगी से चला गया। आज मिनी अपने बच्चों और परिवार की जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से निभा रही है। खुद को काम में व्यस्त रखती है।‌ और रोहित उसकी हर धड़कन में है, हर पल में है। एकांत में वह रोहित के साथ उन पलों को जीती है और उस ईश्वर का शुक्रिया करती है कि उसकी ज़िंदगी में जो सच्चे प्यार की कमी थी उन्होंने रोहित को उसकी जिंदगी में लाकर उसे पूरा कर दिया I

हमें ये सोचकर दुखी नहीं होना चाहिए कि हमारा प्यार हमसे बिछड़ गया, बल्कि यह सोचकर खुश होना चाहिए, खुद को भाग्यशाली समझना चाहिए कि कम से कम हमारी ज़िंदगी में प्यार आया तो सही, हमें सच्चा प्यार मिला तो सही।


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