प्यार का बंधन
प्यार का बंधन
राज अपने मित्रों के साथ भोपाल में पढ़ता था। राज के माता पिता एक ऊंची सरकारी नौकरी करते थे। राज के पिता एक सच्चे और कर्तव्यनिष्ठ वकील थे। राज की माँ एक अच्छी गृहिणी के साथ एक अच्छी अध्यात्म पर विश्वास करने वाली और एक अच्छी एक अच्छी माँ थी। राज अपने माता-पिता और दादा-दादी से बहुत प्यार करता था, राज के माता पिता एवं उसके दादा दादी उसे प्यार से छोटेलाल बुलाते थे। राज अपने माता-पिता के साथ भोपाल के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ता था। वह अपने क्लास का एक बहुत अच्छा विद्यार्थी था। वह अपने क्लास का एक प्रखर वक्ता था। वह अपने गुरुजनों का आदर करता था। जैसे-जैसे राज बड़ा होता गया उसकी यौवन अवस्था भी आ गई। जब राज कक्षा दसवीं में था तो उसे तो उसे उसकी विद्यालय की सहपाठी रिया नाम की लड़की से प्यार हो गया। वह उसे बहुत प्यार करता था।
परंतु वह उसे यह कभी ना कर सका कि वह उससे प्यार करता है। कई दिनों तक ऐसा चलता रहा फिर दोनों की दोस्ती सोशल मीडिया के रास्ते हुई। दोनों एक दूसरे से शैक्षणिक स्तर पर बातें किया करते थे। राज रिया की हर संभव मदद करता था। वह रिया को उसके सपनों तक पहुंच आना चाहता था। वह उसकी आंखों में आंसू नहीं देखना चाहता था। राज ने रिया की हर संभव मदद ताकि वह अपने सपनों को छू सके। राज दिल से बहुत ही सरल और नेक स्वभाव का था।
रिया कभी समझ ना पाईं कि राज उससे बहुत प्यार करता है। राज अपने आगे की पढ़ाई अनुसंधान केंद्र में करना चाहता था। राज ने अपने अनुसंधान में अनेकों सफलताएं पाई। उसके माता पिता और उसके रिश्तेदार यह सब देख कर बहुत ही खुश हुए परंतु राज अपने प्यार के मुकाम में सफलता नहीं पाया क्योंकि राज एक सच्चा सीधा ईमानदार और सरल स्वभाव का था। आखिर कर राज ने रिया को एक प्यार भरा पैगाम का खत लिख दिया कि वह उससे बहुत प्यार करता है। जिसे पढ़ कर रिया भी बहुत खुश हुई। आखिर में यह प्यार भरा पैगाम दो दिलों के रिश्तों के तार को जोड़ दिया।

