प्यार दोस्ती और धोखा
प्यार दोस्ती और धोखा
बरसात बहुत तेज़ होने के कारण ट्रैफिक बढ़ गई थी। बारिश के कारण फोन पर नेटवर्क भी नहीं था। रात के 10:00 बज चुके थे , तकरीबन 3 घंटे हो चुके थे ट्रेफिक का बुरा हाल था। लोग अपनी - अपनी टैक्सियों से निकलकर अब पैदल ही जाने लगे थे, सुमन ने भी पैदल चलने में ही अपनी भलाई समझी। अगले रेड लाइट से कोई टैक्सी कर लूंगी सोचकर सुमन अपनी टैक्सी से उतरकर पैदल चलने लगी।
मगर कुछ दूर जाते ही कुछ लड़के उसे सताने लगे तभी ना जाने कहां से बाइक में सवार एक युवक वहां आ गया और उसने सुमन को अपनी बाइक में बैठने का इशारा किया। उस वक्त सुमन को कुछ समझ में नहीं आया तो सुमन बाइक में बैठ गई। बाइक ने अपनी रफ़्तार पकड़ ली थी। सुमन को डर भी लग रहा था। किसी अनजान व्यक्ति के साथ पहली बार वह सफ़र कर रही थी। युवक ने मौन को तोड़ते हुए बातचीत शुरू की कुछ औपचारिक बातों के बाद सुमन का घर आ गया। सुमन ने उस युवक को धन्यवाद कहकर उसे घर के अंदर आने को कहा मगर रात बहुत हो जाने के कारण युवक ने अंदर आने से इनकार कर दिया।
कई दिनों बाद अचानक ही सुमन ने उस युवक को कैफे में देखा। शायद वह अपने किसी दोस्त के साथ वहां बैठा था। सुमन ने जल्दी-जल्दी अपनी कॉफी ख़त्म की और उसके पास चली गई। राज ने उसे देखते ही पहचान लिया अरे आप यहां कैसे ? सुमन ने सहज होते हुए कहा मैं तो यहां अक्सर आती रहती हूं यह कैफे मेरे ऑफिस के पास है। मगर आपको पहले कभी यहां नहीं देखा। राज ने बताया मैं यहां अपने बचपन के दोस्त से मिलने आया हूं और विमल अपने बचपन के दोस्त से सुमन का परिचय कराया।
अब सुमन की अक्सर ही कैफे में राज से मुलाकात होने लगी थी। मुलाकातें कब प्यार में तबदील हो गई पता ही नहीं चला। साथ - साथ घूमना, सिनेमा देखना, कभी यूं ही हाथों में हाथ डाले समुद्र के किनारे घंटों पैदल चलना सब कुछ सुहाना सा लगता था। जब मुलाकात ना होती तो रात को छुप-छुप कर दोनों फोन पर बातें कर लिया करते थे।
मगर एक शाम राज ने सुमन को बताया कि उसे अपने ऑफिस से 1 साल के लिए विदेश भेजा जा रहा है और बॉस ने उसे ही चुना है। इस पल का उसे कब से इंतजार था। राज बहुत ही खुश था। सुमन यह सब सुनकर खुश तो थी मगर साथ ही दुखी भी थी। राज के बगैर एक साल कैसे कटेंगे।
उसका उदास चेहरा देखकर राज ने कहा अरे पगली जंग लड़ने थोड़ी जा रहा हूं , रोज़ वीडियो कॉल करूंगा और 1 साल चुटकियों में बीत जाएंगे।
यह कहकर राज ने सुमन को गले लगा लिया और जानती हो आते ही घर पर तुम्हारी बात करूंगा। हमेशा के लिए
तुम्हें अपने पास कैद कर लूंगा। सुमन का चेहरा शर्म से लाल हो गया था। राज ने फिर कहा क्यों बनोगी ना मेरी जीवन संगिनी ? सुमन ने भी हां में सर हिला दिया था।
राज को गए हुए 1 महीने हो गए थे। इसी बीच एक दिन अचानक राज के बचपन के दोस्त विमल से ऑफिस के पास वाले कैफे में फ़िर से मुलाकात हुई। बातों - बातों में पता चला , विमल रईस घराने से ताल्लुकात रखता था उसके पिताजी बिजनेसमैन थे और अपने मां - बाप का वो इकलौता बेटा था। विमल एक दिन सुमन को अपने घर ले गया। उसकी शानो - शौकत देखते ही बनती थी। घर पर नौकर - चाकर भरे पड़े थे। यह सब देख कर सुमन की आंखें फटी की फटी रह गई।
विमल अक्सर ही सुमन को महंगे तोहफे दिया करता था। सुमन जब इनकार करती तो कहता अरे राज का दोस्त समझकर ही रख लो। सुमन को भी उसके तोहफे पसंद आने लगे थे।
धीरे-धीरे विमल के पैसे और उसकी रईसी सुमन को अच्छी लगने लगी थी। सुमन को विमल के पैसों से लालच हो गया था। उसके दिए हुए महंगे तोहफे उसकी शानो - शौकत ने सुमन पर गहरा प्रभाव डाला था। सुमन अक्सर ये सोचा करती काश राज से पहले विमल उसे मिल गया होता।
एक दिन मौक़ा देखकर विमल ने सुमन को प्रपोज कर दिया और उसे हीरे की अंगूठी पहना दी। जबकि विमल यह अच्छी तरह जानता था कि राज सुमन से प्रेम करता है। वो उसकी प्रेमिका थी। मगर वह यह भी जानता था कि सुमन उसके पैसों से बहुत प्रभावित थी और उसके दिए हुए महंगे तोहफे सुमन को बहुत पसंद आते थे। उसने सुमन की आंखों में पैसों का लालच देखा था। जिसका फ़ायदा उठाकर उसने सुमन को फांसना चाहा। सुमन ने भी सोचा इतना अच्छा मौक़ा फ़िर नहीं मिलेगा और उसने पैसों के लालच में हां कर दी।
दोनों ने शादी कर ली। इस बीच सुमन राज से कम बात करती। एक साल ख़त्म हो चुके थे। राज ने वापस आते ही सुमन को कैफे में मिलने को कहा।
सुमन और विमल को साथ आते देखकर राज कुछ समझ नहीं पा रहा था मगर अचानक ही उसकी नजर सुमन के माथे के सिंदूर पर पड़ी और उसे सारा माजरा समझ आ गया।
उसके बचपन के दोस्त और उसके प्यार ने मिलकर उसे धोखा दिया था। राज उन्हें मुबारकबाद देकर वहां से चुपचाप चला आया।
उसे अपने आप से नफ़रत होने लगी थी। उसने कैसे लोगों पर विश्वास कर लिया था। जो धोखा उसे मिला था, वह वो जिंदगी भर नहीं भूल सकता था।
ऐसा प्यार ऐसी दोस्ती और ऐसा धोखा किसी के साथ ना हो यह सोच कर राज चुप चाप दीवार की ओर तकता रहा।