कश्मीर की घाटियां
कश्मीर की घाटियां
बाहर सर्द हवाएं और बर्फबारी हो रही थी। बर्फबारी की वजह से कहीं भी निकलना मुश्किल था। सिर्फ़ कुछ जरूरी सामान लेने की सुगंधा बाहर गई थी। सुगंधा को बचपन से ही ठंडी जगहों पर जाने का बहुत शौक था। सुमेश से शादी होने के तीन साल बाद वह कश्मीर आ पाई थी वो भी जिद करके। क्योंकि सुमेश को ऑफिस की तरफ से काम के सिलसिले में इस बार कश्मीर जाना था। कश्मीर का नाम सुनते ही सुगंधा के दिल में अपने बचपन की इच्छा ने एक बार फिर से दस्तक दे डाली। सुगंधा जिद करके सुमेश के साथ आ तो गई थी मगर सुमेश के पास उसके साथ बैठने का वक्त ही कहा था। घर पर भी सुगंधा घर की ही चारदीवारी के साथ वक्त बिता लेती थी और यहां भी कश्मीर की स्वर्ग जैसे खूबसूरती के साथ अकेले ही सुगंधा अपना वक्त काट रही थी।
कभी-कभी जब बर्फ कम गिरती तो सुगंधा होटल के बाहर छोटे से बगीचे में घूमने चली जाती थी। कभी कोई अपनी बालकनी में चाय की चुस्कियां लेते दिखता तो कभी कोई जोड़ा हाथों में हाथ लिए बगीचे में घूमता दिखता। सुगंधा यह सब देखती और मन ही मन सोचती यह सब तो बस हनीमून में ही होता है। उसके बाद तो जिंदगी ऐसी ही कटती है जैसे उसकी कट रही है। शाम होते ही सुमेश ऑफिस से वापस आ गया। आते ही सुमेश टीवी चला कर बैठ गया। सुगंधा ने बोला कल रविवार है आप कल मुझे घुमाने ले चलेंगे। यह सुनते ही सुमेश ने लगभग चिल्लाते हुए सुगंधा से कहा ! अरे यार रोज तो काम करके थक जाता हूं एक दिन तो आराम करने को मिलता है वह भी ना करूं और वैसे भी मैं यहां काम करने आया हूं तुम्हें घुमाने नहीं। तुम ही जिद करके यहां मेरे साथ आ गई हो। अब बैठी रहो दिन भर इस होटल में अकेली सुगंधा ने मन ही मन सोचा कि घर पर भी तो मैं अकेली ही बैठी रहती हूं। उसके बाद सुगंधा ने सुबह से कुछ नहीं कहा और चुपचाप लेट गई और सोचने लगी लगता है उसका बचपन का सपना... सपना बनकर ही रह जाएगा हकीकत में कभी तबदील नहीं होगा।
कितना सुना था उसने कश्मीर की पटनीटॉप, बालटाल घाटी, श्रीनगर, लेह लद्दाख, गुलमर्ग और ऐसे ही न जाने कितनी ख़ूबसूरत जगहों को नजदीक से देखना चाहती थी। उसने सोचा था सुमेश के साथ विश्व प्रसिद्ध डल झील में हाउसबोट का मजा लेगी। बर्फ का नजारा लेने के लिए गुलमर्ग की सैर पर जाती जो धरती का स्वर्ग है जिसे देखे बिना यात्रा कभी पूरी नहीं हो सकती।
बर्फ से लदी पहाड़ियां, फूलों से गुलजार बाग - बगीचे, दिल को मोह लेने वाला टयूलिप गार्डन, हरी-भरी वादियां, झीलें और झरने यह सब धरती के स्वर्ग में आज भी कश्मीर को जन्नत कहा जाता है इन सब दृश्यों का लुफ्त वो सुमेश के साथ खाना चाहती थी। बर्फ अभी भी पहाड़ों पर है शायद मेरा ही इंतजार कर रही है या सोचकर सुगंधा उदास हो गई और सो गई।
दूसरे दिन सुबह सुगंधा कि जब नींद खुली तो उसने देखा कि सुमेश पहले से ही तैयार खड़ा मुस्कुरा रहा था और उसने सुगंधा से तुरंत तैयार होने को कहा। सुगंधा जल्दी से तैयार हो गई और सुमेश के साथ कश्मीर की वादियों का आनंद उठाने निकल पड़ी। रास्ते में सुमेश में सुगंधा को बताया कि उसे कश्मीर घुमाने के लिए उसने काम से दो दिन की छुट्टी ली है। सुगंधा को खुशी के मारे नाचने का मन कर रहा था। वह अगर बाहर ना होती तो अभी सुमेश को गले लगा लेती।
सुमेश ने सुगंधा को प्यार से देखा और कहा भले ही मैं कठोर हूं मगर मुझे पता है कि तुम्हें ठंडी जगह बहुत पसंद है और यह बात तुम्हें मुझे शादी की रात को ही बता दी थी। उन्हीं में से एक जगह कश्मीर भी थी। इसलिए मैंने पहले ही सोच रखा था कि तुम्हें अपने साथ लेकर आऊंगा, तुम ज़िद ना भी करती, फिर भी मैं तुम्हें अपने साथ लेकर आता। मगर तुमने जिद की तो मैंने सोचा क्यों ना तुम्हें सरप्राइज दूं और तुम्हारा सपना कुछ अलग तरीके से सच करूं। यह सुनते ही सुगंधा भूल ही गई कि कोई उन्हें देख भी सकता है। वह सुमेश के गले लग कर बोल पड़ी "आई लव यू" सुमेश ... सुमेश ने भी प्यार से बोला "आई लव यू मेरी जान" ऐसे ही सदा मुस्कुराती रहना।
धन्यवाद