Sonalika Panda

Drama Horror Crime

4.5  

Sonalika Panda

Drama Horror Crime

बंद दरवाज़े का सच

बंद दरवाज़े का सच

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बहुत सालों से कमरा बंद होने के कारण कमरें में बहुत ही अंधेरा था।कुछ भी ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लिहाज़ा मोमबत्ती लेने अनीता नीचे चली गई।अचानक ही ऊपर वाले कमरें से कुछ गिरने की आवाज़ आई तो अनीता चौंक गई।भागती हुई सीढ़ियों से ऊपर जाते ही वहां..........  

राजेश का तबादला चंडीगढ़ में हो गया था।नया शहर नए लोग और नया घर अनीता और राजेश बहुत खुश थे।बच्चे थोड़ा दुखी थे क्योंकि उनके दोस्त छूट रहे थे।अनीता और राजेश ने मिलकर बच्चों को समझाया, वहां नए दोस्त मिल जाएंगे नई जगह नया शहर भी तो देखने को भी मिलेगा।बच्चे भी मान गए थे इसके अलावा उनके पास और कोई चारा भी नहीं था।राजेश को ऑफिस की तरफ़ से ही घर मिला था।घर शहर से दूर था मगर बहुत बड़ा था।आसपास सुंदर बगीचा था।अनीता को बागवानी का बहुत शौक था इसलिए वह बहुत खुश हुई।क़रीब 20-25 दिनों की मेहनत के बाद लगभग घर सेट हो गया था।अभी भी कुछ काम बाकी थे मगर वह धीरे-धीरे निपट जाएंगे यह सोचकर अनीता थोड़ी बहुत राहत महसूस कर रही थी।बच्चों की गर्मियों की छुट्टियों की वजह से उनका भी सहयोग मिल गया था।

इन सब कामों में छत पर जो कमरा था, वह देखना और सेट करना वह भूल गई थी।दो दिन बाद जब बच्चे स्कूल चले गए अनीता अपना सारा काम ख़त्म करके ऊपर वाले कमरें में गई।एक बड़ा सा ताला और वह भी चेन से बंधा हुआ देखकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ।अनीता ने हथौड़े की सहायता से ताले को तोड़ दिया।मगर कमरे के अंदर बहुत ही अंधेरा था।इसलिए अनीता मोमबत्ती लेने नीचे आ गई।

अचानक ही ऊपर वाले कमरें से कुछ गिरने की आवाज़ आई तो अनीता चौंक गई।भागती हुई सीढ़ियों से ऊपर जाते ही वहां का नज़ारा उससे देखा ना गया और वह बेहोश हो गई।

जब उसे होश आया तो वो अपने कमरे में थी।राजेश ने उसे पूछा कि तुम ऊपर वाले कमरे में अकेली क्या कर रही थी ? मैंने तुम्हें वहां अकेले जाने के लिए मना किया था ना !! पर राजेश तुमने मुझे अकेले जाने के लिए क्यों मना किया था मैं तो बस वहां की सफ़ाई करने गई थी।वह कमरा भी तो हमें सेट करना है।

नहीं अनीता वो कमरा हमें सेट नहीं करना है वह कमरा बंद ही रहेगा क्योंकि कंपनी के मैनेजर ने मुझे सख़्त हिदायत दी थी कि वह कमरा मैं हमेशा बंद रखूं। अनीता को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि राजेश को कंपनी के मैनेजर ने वह कमरा बंद करने के लिए क्यों कहा था।इसलिए उस वक्त उसे अपना चुप रहना ही ठीक लगा।मगर अनीता मन ही मन सोच रही थी कि उस कमरे में ऐसा क्या है जो वह कमरा सालों से बंद है और वो काला साया किसका था।जिसे देखते ही मैं बेहोश हो गई थी।

 दूसरे दिन जब वह घर में अकेली थी तब उसने दोबारा उस कमरे में जाने के बारे में सोचा।उसने कुछ मोमबत्ती, माचिस, टॉर्च और हथौड़ा भी अपने साथ रख लिया।क्योंकि राजेश ने उस कमरे को दोबारा ताले और चेन से बंद कर दिया था।अनीता ने डरते - डरते दरवाज़ा खोला क्योंकि उसे डर था कहीं पिछली बार की तरह उसे वह काला साया दिख गया तो वह क्या करेगी।मगर इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।कमरा बहुत ही गंदा था कुछ चीजें टटोलने के बाद अनीता को वहां पर एक फोटो एल्बम मिली और साथ ही एक टेप रिकॉर्डर भी।

कमरे को उसी तरीके से दोबारा बंद करके अनीता फोटो एल्बम और टेप रिकॉर्डर लेकर अपने कमरे में आ गई। फोटो एल्बम खोलते ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।उस फोटो एल्बम में मैनेजर के साथ एक औरत खड़ी थी जो कि उनकी बीवी लग रही थी मगर चंडीगढ़ आते ही 2 दिन बाद मैनेजर ने उन्हें खाने पर बुलाया था वहां वह उनके परिवार से मिली थी मगर इस औरत को उसने वहां नहीं देखा था।उनकी पत्नी तो कोई और थी फिर यह कौन है ? यह सोचकर अनीता परेशान हो ही रही थी कि अचानक उसे याद आया कि वह अपने साथ एक टेप रिकॉर्डर भी लेकर आई थी।इसलिए अब वह उसे सुनने लगी। 

 उसको सुनने के बाद अनीता को पता चला कि आज से करीब 25 साल पहले मैनेजर ने अपने परिवार से छुपकर उस औरत से शादी की थी और उसे उन्होंने अपने ऑफिस के चंडीगढ़ वाले घर में रखा था।कुछ तक तो सब कुछ ठीक रहा मगर कुछ समय बाद मैनेजर के स्वभाव में बदलाव आने लगा।अब वो रोज़ उस औरत को बुरी तरीके से मारा करते और उसे घर से बाहर निकाल देने की धमकी भी दिया करते।

 1 दिन उन्होंने उसे बहुत बुरी तरीके से मारा और ऊपर वाले कमरे में लहूलुहान अवस्था में बंद कर दिया बहुत देर तक वह दरवाज़ा खटखटाती रहीं और मदद के लिए बोलती रही मगर उन्होंने वह दरवाज़ा नहीं खोला।उस औरत की हालत बहुत ही ज्यादा ख़राब हो गई थी।उसे यह पता चल गया था कि वह अब नहीं बचेगी।

इसलिए मरने से पहले उसने अपनी सारी बातें उस टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर ली थी।सब बातें पता चलने के बाद अनीता ने सारी चीज़ें पुलिस के हवाले कर दी।

पुलिस के छानबीन के बाद उन्हें वहां पर उस महिला का कंकाल भी मिला।जिसे मैनेजर ने एक ट्रकं में बंद कर दिया था।मैनेजर को उस महिला की हत्या के इल्ज़ाम में जेल हो गई।

राजेश अनीता के साहस से बहुत ही प्रभावित हुआ था क्योंकि वह तो मैनेजर की बातों में आ गया था और उसने उस कमरें को कभी ना खोलने की बात मान भी ली थी मगर अगर अनीता ने यह कदम़ नहीं उठाया होता तो उस कमरें का राज़ कभी ना खुलता।

अनीता ने उस कमरें की साफ़ - सफाई कर ली थी वहां पर अब कोई भी काला साया नहीं था। क्योंकि उस भटकती हुई आत्मा को मुक्ति मिल गई थी।


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