प्यार और आकर्षण का फर्क
प्यार और आकर्षण का फर्क
मेहंदी का कार्यक्रम चल रहा था।शिखा के दोनो हाथों में उसके साजन का नाम लिखने के साथ- साथ सभी सखियां उसे, उसके होने वाले पति का नाम ले लेकर उसे छेड़ रही थीं।
घर में सब रिश्तेदार रस्म रिवाजों में व्यस्त थे । तभी शिखा की मम्मी उसके पास आई और उसके सर पर प्यार से हाथ रखा। आंखों में आंसू और चेहरे पर मुस्कान लेकर पूछा,"तू खुश तो है न बेटा.."
"हां मम्मा...." बस इतना ही बोल पाई शिखा
बेटी के माथे को चूमकर शिखा की मां भी अपने कामों में लग गई। शिखा अपने मम्मी- पापा की इकलौती और लाडली बेटी थी। उसके पापा अमर जी और मम्मी अनीता जी ने उसे बहुत ही लाड़ दुलार से बड़ा किया था।अमर जी शिखा की हर ख्वाहिश पूरी करते थे। शिखा थी भी बहुत प्यारी.... अपने माता पिता की समझदार और आज्ञाकारी बेटी।
स्कूल पास करके शिखा का कॉलेज में दाखिला करा दिया गया। कॉलेज का पहला दिन था।जैसे ही उसने क्लास में प्रवेश किया कुछ लड़के और लड़कियां उसकी रैगिंग के लिए बैठे थे।। उन्हीं के बीच में साहिल भी था। साहिल कॉलेज का सबसे ज्यादा हैंडसम लड़का था और सब लड़के- लड़कियों के बीच में आकर्षण का केंद्र भी था।जैसे ही शिखा ने कक्षा में प्रवेश किया कि साहिल उसे अपलक देखता ही रह गया।
शिखा के लंबे खुले बाल,गौरा रंग,तीखे नैन नक्श....और उपर से नीले रंग के सूट में वो किसी आसमान से उतरी हुई अप्सरा जैसी प्रतीत हो रही थी।
सबने शिखा से उल्टे- सीधे सवाल पूछे और उसने हर सवाल का बहुत ही तहजीब से और सीधा सपाट जवाब दिया।लेकिन ना जाने क्यों साहिल कुछ बोल ही नहीं पाया।
शिखा के जाने के बाद साहिल के दोस्तों ने उसको छेड़ना शुरू कर दिया।अब तो आए दिन साहिल शिखा को चुपके चुपके देखने लगा। अगर वो लाइब्रेरी में जाती तो ठीक उसके सामने वाली चेयर पर बैठ जाता और किताब की ओट से उसे निहारता रहता।जिस दिन शिखा कॉलेज नहीं आती, उस दिन साहिल का भी दिल नहीं लगता।ऐसे ही कॉलेज खत्म होने को आया लेकिन साहिल,शिखा को अपने मन की बात नहीं कह पाया।
फिर एक दिन शिखा कैंटीन में बैठी थी उसे अकेले बैठा देखकर साहिल ने मौका पाकर पहले तो उससे इधर -उधर की बातें की। बात खत्म होने के बाद शिखा जैसे ही जाने को हुई तो साहिल ने उसका हाथ पकड़ लिया
और कहा,"शिखा जब से मैंने तुम्हें देखा है हर पल तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं .....जाने कैसी कशिश है तुम्हारे अंदर..... जितना दूर जाने की कोशिश करता हूं.... उतना ही तुम्हें अपने करीब पाता हूं.. तुम्हें देखकर मेरे दिल को एक अजीब सा सुकून मिलता है और जब तुम कॉलेज नहीं आती....तो ना जाने क्यों मेरा मन नहीं लगता... आई लव यू...शिखा.."
साहिल के मुंह से यह सब बातें सुनकर ना जाने क्यों शिखा के मुंह से भी एकाएक निकल गया "आई लव यू टू साहिल..." और अब तो रोज-रोज दोनों का ज्यादातर समय कैंटीन में व्यतीत होने लगा। इसी तरह से समय बीत रहा था।कॉलेज की पढ़ाई भी खत्म हो गई और दोनों अपना कैरियर बनाने में लग गए।
कुछ दिन बाद शिखा ने साहिल को फोन पर कहा,"साहिल!! मेरे मम्मी- पापा मेरे लिए रिश्ता ढूंढ रहे हैं.... मैं क्या करूं..."
"हां तो शादी कर लो ना.... इसमें इतना सोचने वाली कौन सी बात है..."साहिल ने जवाब दिया
"मजाक मत करो साहिल!! तुम्हें पता है ना कि हम एक- दूसरे से कितना प्यार करते हैं ....तो क्या प्यार तुमसे और शादी किसी और से.... नहीं ....ये मुझसे नहीं होगा..."शिखा ने भावुक होकर कहा।
"देखो शिखा!! इसके लिए तुम्हें कुछ समय तक इंतजार करना पड़ेगा ....ताकि मैं अपने घरवालों को हमारे बारे में बता सकूं..."शिखा को भी साहिल की बात जायज लगी।
तभी एक दिन शिखा के लिए विनय का रिश्ता आया। उसके मम्मी- पापा को विनय और उसके घरवाले बहुत अच्छे लगे। विनय भी काफी पढ़ा लिखा और समझदार दिख रहा था। लेकिन शिखा, सिर्फ साहिल से ही शादी करना चाहती थी। उसने साहिल को फोन लगाकर कहा ,"साहिल!! तुम्हें पता है... मेरा रिश्ता पक्का हो गया है.... और बहुत जल्द सगाई भी होने वाली है..... मैं तुम्हारे अलावा किसी और की नहीं हो सकती ..... मैं क्या करूं..... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है...."कहकर बुरी तरह से शिखा रोने लगी।
शाहिल: "देखो शिखा!! जो हो रहा है होने दो.... अगर शादी हो जाती है, तो क्या हुआ..... शादी के बाद भी मैं तुमसे मिलता रहूंगा..."
शिखा: "कैसी बातें कर रहे हो तुम साहिल !! तुम जानते भी हो कि तुम क्या कह रहे हो... तुम तो कोशिश करने से पहले ही हार मान रहे हो ...क्या यही तुम्हारा सच्चा प्यार था.... इतनी बातें जो तुम मुझसे करते थे ....क्या सब झूठ था...""
तभी पीछे से किसी लड़की ने साहिल को आवाज दी और साहिल ने जल्दी से फोन काट दिया।
शिखा को सब कुछ बहुत अजीब सा लगने लगा। उसने वापस फोन मिलाया लेकिन साहिल ने फोन उठाने की बजाय उसका फोन कट कर दिया। यह सब शिखा को अंदर तक बेचैन कर गया। उसे महसूस हो रहा था कि कुछ तो है...जो या तो देख नहीं पा रही है.... या फिर उसका वहम भी हो।
तभी एक दिन उसकी कॉलेज की एक सहेली उससे मिलने घर आती है।बातों बातों में पता चला कि साहिल की तो शादी हो चुकी है और काफी अमीर लड़की से उसने शादी कि ताकि अपना कैरियर बना सके। यह सब सुनकर शिखा को विश्वास ही नहीं हुआ... क्या ये वही साहिल था, जो सच्चे प्यार की डींगे भरता था।पूरी रात वो रोती रही ।उसे साहिल के साथ बिताया हुआ हर पल याद आ रहा था। लेकिन वो अपने मन की तकलीफ किसी के साथ बांट भी नहीं सकती थी।
उसके मम्मी -पापा ने जब उसे यूं उदास देखा तो पूछा," बेटा!! तुम खुश तो ही ना... जो लड़का हमने तुम्हारे लिए पसंद किया है ... अगर तुम्हें लगता है कि किसी भी वजह से वह तुम्हारे लायक नहीं है... तो तुम बेझिझक हमें बता सकती हो .."
शिखा: "नहीं पापा!! ऐसी कोई बात नहीं है... आपने मेरे लिए जो सोचा होगा,वह अच्छा ही होगा..."
विनय सगाई के बाद भी जब भी शिखा को मिलने के लिए कहता, तो शिखा कोई ना कोई बहाना लगाकर टालती रहती। एक- दो बार अगर विनय से मिली तो भी औपचारिक बातें करके रह गई। विनय को भी लगता था कि शायद वो शर्म के मारे बात नहीं कर पा रही हो ।
और आज मेहंदी के कार्यक्रम के बाद जब रात को सब सो गए तो शिखा अपने कमरे में जाकर जोर- जोर से रोने लगी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें....? चाह कर भी वो साहिल को नहीं भूल पा रही थी। वो साहिल.... जो उसे धोखा दे चुका था। जाने क्यों वह उसके दिल में इस कदर छाया हुआ था कि उसकी हर छोटी से छोटी बात भी उसके जेहन में बस चुकी थी।
लेकिन सबके सामने खुश होने का दिखावा कर रही थी।
और फिर वह घड़ी भी आ गई, जब सीखा मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र पहनकर विनय की पत्नी के रूप में उसके घर आंगन में आ गई। ससुराल में बहुत सारी रस्मों के बाद जब शिखा को उसके कमरे में ले जाया गया, तो उसे चैन की सांस मिली। तभी रात को विनय कमरे में आया। उसे देख शिखा एकदम से घबरा गई।
विनय: "आज हमारी शादी की पहली रात है.... क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकता हूं...?"
शिखा,"हां विनय जी!! पूछिए ना... जो पूछना चाहते है...?
"शिखा मैं चाहता हूं कि पति- पत्नी बनने से पहले हम अच्छे दोस्त पहले बने। एक- दूसरे के दिल की बात बेझिझक दूसरे से कह पाए.... अगर आपके दिल में कोई भी ऐसी बात हो जो आपको लगता है कि मुझे पता होनी चाहिए तो बेझिझक आप मुझे कह सकती हैं.... मुझे अपना पति ना समझ कर एक दोस्त की तरह अपने दिल की बात मुझसे शेयर करिए और मैं वादा करता हूं मैं आपको गलत नहीं समझूंगा..."
"ऐसी कोई बात नहीं है विनय जी ....."हड़बड़ा कर शिखा ने जवाब दिया।
"कुछ तो बात है शिखा.... न जाने क्यों जब भी आपसे मिला और जब भी आप से बात की..... तो ऐसा लगता था कि जैसे आप मुझसे खिंची खींची सी रहती है। हर बार आप से पूछने की कोशिश की ..... लेकिन यह सोच कर रह गया कि ना जाने आप क्या सोचेंगी..... और शायद तब मेरा इतना हक भी नहीं था आप पर..... लेकिन अब आप मेरी पत्नी है और अब हम एक दूसरे से अपनी हर तकलीफ शेयर कर सकते हैं.... तो बताइए कौन है वह .....?"
शिखा एकदम से चौंक गई।
शिखा: "जी कौन.... किसके बारे में बात कर रहे हैं आप...."
विनय: ""शिखा यह आप भी अच्छे से जानती हैं कि मैं किसके बारे में बात कर रहा हूं.....""
शिखा की आंखों में आंसू आ गए। शिखा की आंखों में आंसू आ गए। विनय ने उसका हाथ पकड़ कर प्यार से बिठाया। और कहा,"बस इन्हीं आंसुओं की वजह जानना चाहता हूं.... आपसे और वादा करता हूं अब आपकी आंखों में किसी भी वजह से आंसू नहीं आने दूंगा...."
विनय की बातें सुनकर शिखा ने रोते हुए सब बात विनय से बताकर कहा,"मेरे साथ धोखा हुआ है.... जिसे मैंने प्यार किया..... मुझे पता ही नहीं चला कि उसके मन में क्या चल रहा है ......वो मुझे बेवकूफ बनाता रहा और मैं बनती रही....""
"नहीं शिखा!! बेवकूफ आप नहीं... वह इंसान था जिसने आप जैसी प्यारी लड़की की कीमत नहीं समझी....और आप जिसे प्यार का नाम देकर अपने दिल ही दिल में दुखी होती रहती हैं असल में वह सच्चा प्यार था ही नहीं .....वो तो एक आकर्षण था.... जो समय के साथ खत्म हो जाता है ....बस जरूरत है तो आप को इस प्यार और आकर्षण के बीच का फर्क समझने की..."
शिखा विनय की बातें गौर से सुन रही थी। उसने नोटिस किया कि यह सब कहते हुए विनय उसे ठीक वैसे ही समझा रहे थे.... जैसे उसके पापा उसे समझाते थे।
विनय ने कहना जारी रखा,"शिखा भले ही आप साहिल से प्यार करती थी.... लेकिन अब हमारी शादी हो चुकी है..... मुझे आपके पास्ट से कोई परेशानी नहीं है.... लेकिन मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि मेरी पत्नी किसी की वजह से दुखी ना रहे और उस इंसान को भूलकर आगे बढ़े ...... आने वाली खुशियां आपका इंतजार कर रही हैं ..."
शिखा,"आप ठीक कह रहे हैं विनय जी!! शायद मुझे इस बारे में ज्यादा सोचना ही नहीं चाहिए...."
"हां शिखा!! मैं भी यही चाहता हूं कि अपनी पत्नी को वह सब खुशियां दूं जिसकी वह हकदार है.... आज आपने अपने पूर्व प्यार के बारे में सारी बातें स्पष्ट रूप से मुझे बता कर मुझे अपनी यादों और अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया है.... और इस बात की मुझे बहुत ज्यादा खुशी है..."
धीरे धीरे शिखा ने यह महसूस किया उसका पति कितना सुलझा हुआ और खुले विचारों वाला इंसान है। विनय का प्यार और अपने लिए परवाह देखकर शिखा भी उन्हें प्यार करने लगी
फिर एक दिन विनय ने शिखा का हाथ पकड़कर कहा,"शिखा!! मैं सिर्फ इतना ही चाहता हूं कि धोखेबाज प्रेमी और झूठे प्रेम को भूल कर आप अपनी जिंदगी में आगे बढ़े...."
शिखा: "विनय जी!! जब मैं फेरों के समय विवाहवेदी में आपके संग बैठी थी और आपके साथ सात फेरे लिए थे .... उसी समय मैंने अपने पास्ट को पीछे छोड़ दिया था..... और सब कुछ भुला कर पूरे मन से मैं सिर्फ और सिर्फ आप की हो गई थी... मेरा नाम आपके नाम के साथ जुड़ चुका है..... मेरी दुनिया आप से शुरू होकर आप पर ही खत्म हो जाती हैं..."
शिखा की बातें सुनकर विनय खुश हो गया क्युकी जब उसने शिखा को पहली बार देखा था तभी से उससे प्रेम करने लगा था और आज वह प्रेम पूरी तरह से उसका होने वाला था ....
विनय: "क्या आप सच कह रही है.... "
"हां विनय जी!! मैं बिल्कुल सच कह रही हूं..... इतना भरोसा तो अपनी पत्नी पर करेंगे ना आप... थैंक यू सो मच ..... मुझे इतनी अच्छी तरह से समझने के लिए...
आई लव यू विनय..."कहकर विनय के गले से लग गई
"अब यह तो बता दीजिए कि यह प्रेम है या आकर्षण...?"
विनय ने हंसकर कहा,"हां हां धर्मपत्नी जी!! यह प्रेम ही है और आकर्षण तो आपकी तरह हमेशा रहेगा.."और इसी तरह दोनों हंसी खुशी अपनी जिंदगी बिताने लगे।