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पूर्वाग्रह

पूर्वाग्रह

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अरे मम्मा आप अभी तक तैयार ही नहीं हुई मैं कब से कह रही हूँ कि बाज़ार चलना है, इति ने अपनी सास को देखकर कहा। मैंने भी तुमसे कहा था ना कि मैं तुम्हारे साथ बाज़ार जाकर क्या करुँगी मनु तो जा ही रहा है तुम्हारे साथ। फिर अपनी पसन्द से ले आओ अपनी dress जो तुम्हें मोहित की शादी में पहन कर जानी है। ये कहकर नीरा अपने बाल बनाने लगी,ओ हो कितनी बार कहा है कि ऐसी बातें मत करा करो लाओ मुझे दो कंघा मैं आपकी चुटिया कर देती हूँ फिर सभी साथ साथ चलेंगे।

इति का इस तरह अपनापन दिखाना नीरा को बहुत अच्छा लगा, वो सोचने लगी कि जब मनु की शादी की बात चल रही थी तो उसका मन खुश होने के साथ साथ कहीं घबराया हुआ भी था कि अब तो शादी के बाद मनु पर सारा अधिकार इति का ही हो जायेगा और मैं अलग थलग पड़ जाऊँगी। आस पड़ोस के लोगों से भी ऐसा ही सुनने को मिलता था कि शादी के बाद तो लड़का पराया हो जाता है और बहू तो होती ही है बेगानी। मैं भी इसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त थी, लेकिन धीरे धीरे मेरे सारे पूर्वाग्रह ध्वस्त होते जा रहे थे।

इति की आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा और फिर हम बाज़ार की ओर चल पड़े। हमारी गाड़ी एक बहुत बड़े साड़ी के शोरूम पर रूकी तो मैं बोली कि यहाँ तुम्हें अपने मतलब की ड्रेस नहीं मिलेगी तो इति बोली आओ तो सही मुझे आपकी पसन्द की साड़ी ही लेनी है। अपनी पसन्द किसी पर थोपना मुझे पसन्द नहीं पर अब दुकान पर क्या कहती. साड़ी लेकर हम घर को चलने लगे तो इति बोली मम्मा अभी तो आपके लिए भी कुछ लेना है चलो मौल चलते हैं वहाँ से ज़बरदस्ती एक डिज़ाइनर गाउन मेरे लिए ले लिया बोली आप पर ये खूब फबेगा। मैं बोली हाँ कार्टून बना दे सास का सब हँसेंगे कि बहू तो साड़ी में और सास गाउन में, इति बोली पहले तो आप दूसरे लोगों के बारे में सोचना बन्द कर दो ।

नीरा सोचने लगी कि लोगों के द्वारा दी गयी सीख कि बहू बेटे के बीच में मत बोला करो,अपनी पसंद उनपर ना थोपा करो, बहू से थोड़ी दूरी बनाकर रखा करो, उसकी बात को तवज्जो ना दिया करो। इन सब सुनी सुनायी बातों पर ही तो अमल करने की कोशिश कर रही थी पर शायद मैं ग़लत थी। इति सही कह रही है अब मैं दूसरों की बातों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दूँगी, नीरा सोच रही थी कि बहू के साथ पराया पन दिखाने पर वो मुझे परायी ही लग रही थी लेकिन आज उसके द्वारा अपनापन दिखाने पर वो बेटे से भी ज़्यादा अपनी लग रही है और अब इस अपनेपन को बनाये रखने में वो अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ेगी। सच में ऐसा कोई रिश्ता नहीं जिसे प्यार और अपनेपन से ना जीता जा सके। नीरा के मन में जो ख़ौफ था वो भी जाता रहा क्योंकि अब बेटे के साथ साथ प्यार करने वाली बहू भी जो मिल गयी थी उसे।


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