पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं-4
पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं-4
प्रिय पापा -मम्मीजी नमस्कार ,
मेरी पढाई पूरी हो गई है और रिजल्ट भी बेहतर रहा। मैं भारत आ रही हूँ। पापा के लिए चश्मा लिया और आपके लिए पर्स। मेरा मन ऐसा करता है की कब जल्द घर जाउंगी और कब सभी से मिलूंगी। अपने वार त्यौहार बहुत याद थे। अब जी भर के मनाऊंगी। यहाँ पढ़ाई की चिंता और विदेश में ये सब कुछ हो नहीं पाता था।
मम्मी ,पापा से कहना की उनकी लाड़ली भारत आकर सर्विस करेगी और आप का सारा एजुकेशन लोन भी चुकता कर दूंगी। एक अच्छा सा घर बनाउंगी। डाक्टर की पढ़ाई करके सेवा करना चाहती हूँ।
मम्मी जी में अगले माह में भारत पहुँच रही हूँ। शेष कुशल मंगल है।
आपकी लाड़ली बिटिया रानी।
बिटिया के जवाब के लिए मम्मी ने पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं बस उसी का दुःख हमेशा रहेगा। लिखा खत पोस्ट करने के लिए रखा था ना जाने कहाँ रख दिया था मिल नहीं पाया। ये बात ३०वर्ष पुरानी है जब मोबाइल नहीं थे।
उसके बाद ऐसा हादसा हुआ था जो इस प्रकार है -
हवाईजहाज क्रेश की खबर टीवी पर देखरहे थे। जैसे उस फ्लाईट का बताया तो सभी के पेरो तले जमीं खिसक गई। बिटिया का मृत शरीर इच्छाओं की मृगतृष्णा की स्मृति लपेटे घर आया। एजुकेशन लोन,अच्छा सा घर, वार त्यौहार मनाए की आशा एवं सभी से मिलने की इच्छा लिए सामने रखा हुआ था। आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
पिता तो गुजर चुके थे। बूढ़ी माँ ही बची थी। वर्षों बाद माँ को आलमारी में बिटिया का लिखा खत मिला। खत पढ़ा, आँसू मानों फिर से अपनी व्यथा को दोहरा रहे थे। जब जब भी बिटिया की याद आती तो वो खत पढ़ लेती थी। उस समय पोस्टमेन घर के सामने से गुजरता तो अब भी मेरे पाँव बिटिया का खत विदेश से आया होगा। ये कोरा अहसास होने पर पोस्टमेन को निहारती की अब बोलेगा- मम्मीजी, ये लो रानी बिटिया का खत लेकिन अलमारी में रखा खत ही आखरी खत था।