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Akanksha Gupta (Vedantika)

Drama

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Drama

परवरिश

परवरिश

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रेवा घर पहुंची तो उसने देखा कि संजय घर पर ही था। वह कुछ परेशान लग रहा था।

रेवा-आज तुम ऑफिस नहीं गए ? तबीयत ठीक है ना ?

संजय- आज सुयश के स्कूल से फोन आया था।

रेवा- कब आया था ? मेरे जाने के बाद।

संजय- हाँ जब मैं ऑफिस के लिए निकल रहा था जब सुयश की प्रिंसिपल का फोन आया था।

रेवा- क्या हुआ ? सुयश ने आज फिर कुछ किया था क्या ?

संजय- आज उसने अपनी क्लास के एक बच्चे का सिर फोड़ दिया था। उसे बहुत चोट लगी हैं। अब अस्पताल में एडमिट कराया है। उसके माँ-बाप पुलिस में जाने की बात कर रहे थे। बड़ी मुश्किल से उन्हें वहाँ जाने से रोका।

रेवा- ओ माय गॉड। यह लड़का कब सुधरेगा ? मुझे उससे बात करनी है।कहाँ है वो ? आज इस लड़के को सबक सिखाना ही पड़ेगा।

संजय- उसे उसकी नानी के पास छोड़ कर आया हूँ।बहुत वॉयलेंट हो गया था।

रेवा- सब हमारी ही गलती है।हमने उसे कभी सबके साथ रहने के तरीका सिखाया ही नहीं। हमेशा उसे सब लोगों से दूर रखा। उसकी हर जिद पूरी की।

संजय- अकेले तुम ही जिम्मेदार नहीं हो इन सबके लिए। कहीं ना कहीं मैं भी इन सबके लिए उतना ही जिम्मेदार हूँ। उसके सामने ही लोगों से झगड़ा करना, मारपीट करना, अमीरी का दिखावा। यही सब देख कर तो वह बड़ा हुआ है। उसे अब यही सब सही लगता है।

रेवा- माता पिता की जिम्मेदारी होती है बच्चों मे नैतिकता का विकास करना और उसमें हम दोनों फेल हो गए हैं।

संजय- अभी भी देर नहीं हुई है। हम दोनों मिलकर उसे एक अच्छा माहौल, एक अच्छी परवरिश दे सकते हैं। चलो उसे लेकर आते हैं, उसके बेहतर कल के लिए।


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