Anchal Singh

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Anchal Singh

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परी

परी

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परी जो अपने पापा की परी थी, अपने पापा से बहुत प्यार करती थी, क्यूंकि उसकी माँ नहीं थी उसका पालन - पोषण उसके पापा ने किया था। उसके पास पैसो की कमी नहीं थी पर वो कमी थी,जो पैसो से पूरी नहीं हो सकती थी। भले ही उसके पापा ने बहुत प्यार दिया पर वो प्यार नहीं दे पाए जो उसे अपनी माँ से चाहिए था। परी के पैदा होते ही उसकी माँ मर गयी थी, उसके बाद उसके पापा का एक ही सहारा था परी।

इतनी जल्दी- जल्दी समय बीतने लगा कि देखते ही देखते परी पांच साल  की हो गयी। परी का पालन - पोषण करते - करते उसके पापा अपने काम पर ध्यान नहीं दे पा   रहे  थे,इसलिए उन्होंने सोचा की अब परी के लिए एक नई मा लानी चाहिए जो उसका पालन, पोषण कर सके अच्छे से, और वह दूसरी शादी करके  परी के लिए दूसरी माँ ले आते है, और उसकी सौतेली माँ उसका पालन- पोषण तब तक करती है जब  तक कि उसके खुद  क़े बच्चे नहीं होते जैसे ही उसकी दो बेटियां होती है, वैसे ही उसकी सौतेली माँ परी पर ध्यान देना छोड़ देती है, फिर उसके साथ हमेशा  बुरा  व्यवहार करने लगती है।

उसे हमेशा यह एहसास दिलाती है कि वह उसकी सगी बेटी नहीं है।

उसके बाद परी क़े जीवन मे ऐसा बदलाव आता है कि उसे विश्वास ही नहीं होता। धीरे - धीरे उससे सब कुछ छिनता जा रहा  था क्युकी सौतेली माँ की बेटियां अब बड़ी हो चुकी थी और वह  खुद को हमेशा परी से ऊपर समझती थी, और उसे खुद से निचे। इसलिए परी को नीचा दिखाने क़े लिए वह दोनों उसका कमरा छीन लेती हैं, और उसके साथ नौकरो जैसा व्यवहार करती है । इन सभी चीजों से तंग आकर परी अपने घर से कही दूर चली जाती है। वो कहते है ना जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है।

इसके बाद परी की   जिंदगी मे ऐसा मोड़ आता है की उसकी मुलाक़ात एक ऐसे इंसान  से होती है जो बिलकुल उसकी तरह होता है। उस लड़के  से मिलने क़े बाद परी को कुछ अपना सा  महसूस होता है और वह उससे उसके बारे मे पूछती है कि -

परी - तुम यहां क्यों आए हो?

लड़का -  तुम यहां  क्यों आई हो?

परी -पहले प्रश्न मैंने किया है तो पहले  तुम उतर दो,

लड़का - ठिक है , मै यहां शांति ढूंढ़ने  

आया हूँ, अच्छा अब तुम बताओ।

परी - हाँ मै  भी यहां शांति कि तलाश मे ही 

आई हूँ, अच्छा अब मै चलती हूँ, मेरी माँ मेरा इंतजार कर रही होंगी, फिर मिलेंगे।

यह कहकर परी वहा   से चली जाती है, और  वह लड़का  उसे  देखता ही रह जाता है, उसके बारे मे सोचते - सोचते वह अपने घर पहुँचता है तो उसे 

पता चलता है कि उसके पिता कि तबियत  अचनाक

खराब हो गयी है फिर वह लड़का अपने पिता से 

मिलने जाता है तो उसके पिता उससे तुरंत शादी करने का वादा लेकर स्वर्ग सीधार जाते है।

उसके बाद जैसे ही परी  अपने घर पहुँचती है वैसे 

ही उसे पता चलता है कि जिस राज्य मे  वह और उसका परिवार रहता है, उसी राज्य क़े राजा अपने बेटे का स्वेमबर आयोजित करते है और राज्य की सभी लड़कियों को बुलाते है।

तो परी कि बहने और  उसकी माँ सब जाने क़े लिए तयार होने लगे उनके साथ परी भी वहा जाने क़े लिए तयार होके निचे  आती है पर उसकी सौतेली माँ 

उसके कपडे फाड़ देती है ताकि वह  न जा पाए।

और वह अपनी बेटियों क़े साथ चली जाती है।

परन्तु परी  वहाँ जाना चाहती थी।

और वह उन्ही फ़टे कपड़ो  मे वहाँ से जाने क़े लिए  जैसे ही अपने  घर से बाहर निकलती है उसे 

वहाँ एक भिखारी औरत मिलती है जो उससे खाने को कुछ मांगती है, और  परी क़े पास कुछ ना होते हुए भी वह उस औरत  क़े लिए कुछ खाने क़े लिए ले आती है, और परी कि यह अच्छाई देखकर औरत उसे अपना असली रूप  दिखाकर  चौका देती है। असलियत मे वह एक भिखारी औरत  नहीं बल्कि

एक जादुई परी  थी और वह अपनी जादुई शक्तियों से

परी को एक बेहद खूबसूरत कपडे देकर, और जूते देकर एक खूबसूरत परी क़े रूप  मे बदल देती है, और कहती ये जादू केवल रात के बारह बजे तक ही रहेगा यह कहकर जादुई परी चली जाती है।

फिर परी वहाँ पहुँचती है जहाँ उन  क़े बेटे क़ा स्वंबर आयोजित  किया गया था।

परी जैसे ही राजा क़े बेटे को देखती  है तो उसे पता

चलता है कि वह राजकुमार और कोई बल्कि वही लड़का  है  जिससे वह पहले मिली थी। उसके बाद

राजकुमार भी परी को देखकर समझ  जाता है 

कि वह लड़की वही है जो उसे पहले पसंद आई थी।


दोनों एक दूसरे को देखने क़े बाद एक दूसरे क़े पास  जाते है और   सबके  सामने अपने 

प्यार का एलान कर देते है।

इसलिए कहा जाता है कि चाहे कोई कितना भी जोर लगा ले कोई किसी  की किस्मत नहीं बदल सकता, जिसे जो मिलना होता है उसे वो मिलकर ही रहता है।


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