प्रेरक कहानी
प्रेरक कहानी
हरीश नाम का एक लड़का था उसको दौड़ने का बहुत शौक था वह कई मैराथन में हिस्सा ले चुका था परंतु वह किसी भी रेस को पूरा नही करता था।
एक दिन उसने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये वह रेस पूरी जरूर करेगाअब रेस शुरू हुई हरीश ने भी दौड़ना शुरू किया धीरे धीरे सारे धावक आगे निकल रहे थेमगर अब हरीश थक गया थावह रुक गयाफिर उसने खुद से बोला अगर मैं दौड़ नही सकता तो कम से कम चल तो सकता हुउसने ऐसा ही किया वह धीरे धीरे चलने लगा मगर वह आगे जरूर बढ़ रहा थाअब वह बहुत ज्यादा थक गया थाऔर नीचे गिर पड़ा।उसने खुद को बोला कि वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगावह जिद करके वापस उठा ,लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह रेस पूरी कर गया।माना कि वह रेस हार चुका थालेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले रेस को कभी पूरा ही नही कर पाया थावह जमीन पर पड़ा हुआ थाक्योंकि उसके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव हो चुका थालेकिन आज वह बहुत खुश थाक्योंकिआज वह हार कर भी जीता था ।
काफी समय पहले की बात है दोस्तों ,एक आदमी रेगिस्तान में फंस गया था वह मन ही मन अपने आप को बोल रहा था कि यह कितनी अच्छी और सुंदर जगह हैअगर यहां पर पानी होता तो यहां पर कितने अच्छे-अच्छे पेड़ उग रहे होते और यहां पर कितने लोग घूमने आना चाहते होंगे मतलब ब्लेम कर रहा था कि यह होता तो वो होता और वो होता तो शायद ऐसा होता ऊपरवाला देख रहा था अब उस इंसान ने सोचा यहां पर पानी नहीं दिख रहा है उसको थोड़ी देर आगे जाने के बाद उसको एक कुआं दिखाई दिया जो कि पानी से लबालब भरा हुआ था काफी देर तक विचार-विमर्श करता रहा खुद से फिर बाद उसको वहां पर एक रस्सी और बाल्टी दिखाई दी इसके बाद कहीं सेएक पर्ची उड़ के आती है जिस पर्ची में लिखा हुआ था कि तुमने कहा था कियहां पर पानी का कोई स्त्रोत नहीं है अब तुम्हारे पास पानी का स्रोत भी हैअगर तुम चाहते हो तो यहां पर पौधे लगा सकते होवह चला गया दोस्तों तो यह कहानी हमें क्या सिखाती हैयह कहानी हमें यह सिखाती है किअगर आप परिस्थितियों को दोष देना चाहते हो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन आप परिस्थितियों को दोष देते हो कि अगर यहां पर ऐसा हो औरआपको वह सोर्सेस मिल जाए तो क्या परिस्थिति को बदल सकते हो
इस कहानी में तो यही लगता है कि कुछ लोग सिर्फ परिस्थिति को दोष देना जानते हैंअगर उनके पास उपयुक्त स्रोत हो तो वह परिस्थिति को नहीं बदल सकतेसिर्फ वह ब्लेम करना जानते हैं लेकिन हमे ऐसा नहीं बनना है दोस्तों इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि अगर आप चाहते हो कि परिस्थितियां बदले और आपको अगर उसके लिए उपयुक्त साधन मिल जाए तोआप अपना एक परसेंट योगदान तो दे ही सकते हैं औरमुझे पूरा भरोसा है कि अगर आपके साथ ऐसी कोई घटना घटित होती हैआप अपना योगदान जरूर देंगेयह कहानी आपको अच्छी लगी होगी अगर आप चाहते हो कि आपको ऐसी मजेदार कहानियां मिलती रहे तो आप बिल्कुल सही जगह पर है।
काफी समय पहले की बात है प्रतापगढ़ नाम का एक राज्य था वहाँ का राजा बहुत अच्छा थामगर राजा को एक सुख नही थावह यह कि उसके कोई भी संतान नही थीऔर वह चाहता था कि अब वह राज्य के अंदर किसी योग्य बच्चे को गोद लेताकि वह उसका उत्तराधिकारी बन सके और आगे की बागडोर को सुचारू रूप से चला सकेऔर इसी को देखते हुए राजा ने राज्य में घोषणा करवा दी
की सभी बच्चे राजमहल में एकत्रित हो जाये।ऐसा ही हुआराजा ने सभी बच्चो को पौधे लगाने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के बीज दिएऔर कहा कि अब हम 6 महीने बाद मिलेंगे और देखेंगे कि किसका पौधा सबसे अच्छा होगा
महीना बीत जाने के बाद भी एक बच्चा ऐसा था जिसके गमले में वह बीज अभी तक नही फूटा था लेकिन वह रोज उसकी देखभाल करता था और रोज पौधे को पानी देता थादेखते ही देखते 3 महीने बीत गए,बच्चा परेशान हो गया।
तभी उसकी माँ ने कहा कि बेटा धैर्य रखो कुछ बीजो को फलने में ज्यादा वक्त लगता हैऔर वह पौधे को सींचता रहा। महीने हो गए राजा के पास जाने का समय आ चुका थालेकिन वह डर हुआ था कि सभी बच्चो के गमलो में तो पौधे होंगे और उसका गमला खाली होगालेकिन वह बच्चा ईमानदार था और सारे बच्चे राजमहल में आ चुके थे
कुछ बच्चे जोश से भरे हुए थे, क्योंकि उनके अंदर राज्य का उत्तराधिकारी बनने की प्रबल लालसा थीअब राजा ने आदेश दिया सभी बच्चे अपने अपने गमले दिखाने लगेमगर एक बच्चा सहमा हुआ था क्योंकि उसका गमला खाली था।तभी राजा की नजर उस गमले पर गयीउसने पूछा तुम्हारा गमला तो खाली हैतो उसने कहा लेकिन मैंने इस गमले की 6 महीने तक देखभाल की है
राजा उसकी ईमानदारी से खुश था कि उसका गमला खाली है फिर भी वह हिम्मत करके यहाँ आ तो गया सभी बच्चों के गमले देखने के बाद राजा ने उस बच्चे को सभी के सामने बुलाया बच्चा सहम गया और राजा ने वह गमला सभी को दिखायासभी बच्चे जोर से हसने लगेराजा ने कहा शांत हो जाइये।
इतने खुश मत होइए, आप सभी के पास जो पौधे है वो सब बंजर है आप चाहे कितनी भी मेहनत कर ले उनसे कुछ नही निकलेगा लेकिन असली बीज यही थाराजा उसकी ईमानदारी से बेहद खुश हुआऔर उस बच्चे को राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया गया।
