चिड़ा और चिड़िया की अनोखी प्रेम कहानी
चिड़ा और चिड़िया की अनोखी प्रेम कहानी
एक बहुत बड़ा जंगल था। उस जंगल में बहुत सारे जानवर थे। लेकिन उसी जंगल में एक चिड़ा और एक चिड़िया रहा करते थे। वह एक दूसरे से बहुत प्यार किया करते थे लेकिन चिड़िया जो है वह कभी-कभी किसी बात को लेकर चिड़ा से झगड़ा किया करती थी।वह हमेशा उससे लड़ा करती थी उसके मन में बहुत सारे विचार आते थे और वह उस पर शक किया करती थी।
एक दिन की बात है कि वे एक पेड़ पर बैठे हुए थे। पेड़ पर बैठे हुए दोनों किसी बात को लेकर झगड़ने लगे। चिड़िया ने चिड़ा से कहा कि तुम मुझसे प्यार नहीं करते। चिड़ा ने भी यह बात कह दिया कि तुम भी मुझसे प्यार नहीं करती तुम हमेशा ही मुझसे झगड़ा ही करती हो।दोनों खूब लड़े-झगड़े। अंत में यह परिणाम आया कि चिड़िया चिड़े से एक शर्त लगाती है।
चिड़िया ने चिड़ा से कहा, “चलो ठीक हैं मैं मानती हूँ कि तुम भी मुझसे प्यार करते हो लेकिन एक शर्त है। कल सुबह इस पेड़ के नीचे (जिस पेड़ पर वे बैठे थे) सबसे पहले जो आकर पहुंचेगा मान लिया जाएगा कि वह सबसे ज़्यादा प्यार करता है।”चिड़ा ने भी हाँ में हाँ मिलाया और चिड़िया भी। दोनों ने बात मान लिया और फिर चिड़िया अपने घर चली गई और चिड़ा वही रुक गया।
उस समय बहुत ज़्यादा ठंड पड़ रही थी और बहुत ज़्यादा सर्दी का आलम था। तेज हवाएं चल रही थी। चिड़िया ने सोचा कि मैं क्यों घर जाऊँ ऐसा करता हूँ कि मैं इसी पेड़ पर रुक जाता हूँ और मैं कल चिड़िया को यह जरूर बता दूंगा कि मैं उससे बहुत ज़्यादा प्यार करता हूँ। यह बात सोचकर चिड़ा उसी पेड़ पर रुक जाता है नहीं जाता है वह घर।रात में ठंड और भी बड़ जाती है। बर्फीली हवाएं चलने लगती है। चिड़ा को बहुत ज़्यादा ठंड लगने लगती है लेकिन वह वहाँ से कहीं नहीं जाता।
वह वही बैठे के बैठे रहता है और चिड़िया के बारे में सोचता रहता है कि मैं उसे कल यह कह दूँगा कि मैं ही उससे सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ। कल सुबह वह आएगी और पहले यहाँ मुझे देखेगी तो हार जाएगी। यह बात सोच रहा था चिड़ा।धीरे-धीरे रात और बढ़ती गई, और ज़्यादा तेज हवाएं चलने लगी। ज़्यादा ठंड सहन न कर पाने की बजह से चिड़ा उसी पेड़ के निचे गिर जाता है और वहीं उसकी मौत हो जाती हैं।
इधर चिड़िया जो है वह रात भर सोती नहीं हैं। वह रात भर जगी रहती है और सोचती रहती कि कब सुबह हो और मैं सबसे पहले पेड़ पर पोहुंचू और चिड़े को यह दिखा दूँ कि मैं सबसे ज्यादा उससे प्यार करती हूँ। रात भर यह बात सोचकर चिड़िया सोती नहीं है।जैसे ही सुबह होती है, चिड़िया दौड़ी-दौड़ी जाती है उस पेड़ के पास और हर तरफ देखती है कि चिड़िया का कोई अता-पता नहीं हैं दूर-दूर तक। चिड़िया वहीं बैठ जाती हैं। चिड़िया मन ही मन बहुत खुश होती है और सोचती है कि आज तो मैं जीत गई। आज चिड़े को मैं यह बात कहूँगी कि वह प्यार नहीं करता।
इंतजार करते-करते एक घंटा बीत जाता है। सूरज की किरण निकल आती हैं। धीरे-धीरे हर तरफ धुप छाने लगता हैं। चिड़िया इंतजार करती रहती है और देखते ही देखते उजाला हो जाता हैं। लेकिन चिड़े का कोई अता-पता नहीं रहता है। वह सोच में पड़ जाती है कि आखिर चिड़ा रह कहाँ गया अभी तक नहीं आया।चिड़िया जब इधर-उधर नजर दौड़ाती है तो उस पेड़ के निचे एक झाड़ी पड़ा होता है। उस झाड़ी पर उसकी नजर जाती है और देखता हैं कि वहाँ कुछ है। जब वह निचे आती है और बर्फ को हटाती है तो देखती है कि चिड़ा वहाँ मरा पड़ा हुआ है और बर्फ से उसका शरीर जम चूका है।
यह देखकर चिड़िया वहाँ बहुत रोने लगती है और जैसे ही वह थोड़ा और साफ करती है तो देखती है कि वहाँ चिड़ा जो है मरते-मरते यह लिख चूका है कि देख चिड़िया मैं तुझसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ। तू तो अपने घर चली गई लेकिन मैं अपने प्यार को साबित करने के लिए रात भर इस पेड़ पर रहा और नतीजा यह हुआ कि मेरी मौत अब होने वाली है। तो याद रखना कि मैं तुझसे हमेशा बहुत प्यार किया करता था और आज भी इतना प्यार करता हूँ की तेरी बजह से मैंने अपनी जान की भी पर्वा नहीं की
यह बात जब चिड़िया पढ़ती है तो चिड़िया और चिल्ला-चिल्लाकर रोने लगती है। बाद में वह पछताती है की काश उसने यह शर्त न लगाई होती और न चिड़ा आज उसे छोड़कर चला जाता।

