mamta Shrimali

Romance Tragedy Fantasy

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mamta Shrimali

Romance Tragedy Fantasy

प्रेमकहानी पर अधूरी? या पूरी.

प्रेमकहानी पर अधूरी? या पूरी.

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मैं राघव हर रोज की तरह ही आज भी ट्रैन में बैठकर कॉलेज के लिए निकल रहा था। और फिर अचानक मेरी नजर एक लड़की पर पड़ती हैं, वैसे वहां काफी सारी लड़कियाँ थी। पर उसमें कुछ अलग ही बात थी आज भी याद हैं मुझे वो दिन में उसकी बाजू वाली लाइन की सीट पर बैठा था, मेरे होंठों पर एक हल्की सी हँसी थी और मेरी आँखें उस पर टिकी थी। उसे देखते देखते मेरी आँख लग जाती हैं।

कुछ दस मिनिट बाद ट्रेन रूकती है तब अचानक मेरी आँख खुलती हैं तो मैंने देखा वो वहां से जा चुकी थी, मैं तुरंत नीचे उतरा उसे ढूंढ़ने, लेकिन मैंने हर जगह देखा पर वो मुझे कहीं नहीं दिखी। मैंने सोचा उसे सोशियल मीडिया पर ढूंढता हूँ पर कैसे मैं तो उसका नाम तक नहीं जानता बस फिर क्या मेरी कहानी शुरू होने से पहली ही खत्म हो गयी, आज मेरा एम्. बी. ऐ. खत्म हो चूका हैं और मैंने दिल्ली में जॉब के लिए अप्लाई किया था उम्मीद हैं की वहाँ से मुझे आज कॉल आ ही जायेगा, इतने में फोन की रिंग बजती है। और हेलो सर आपने हमारी कंपनी में फाइनेंसियल मैनेजर की पोस्ट के अप्लाई किया था और मुझे ये बताते हुए बेहद खुशी हो रही है के आप हमारी कम्पनी में इस पोस्ट के लिए फाइनल किये गए हैं। मैं ये सुनकर काफी खुश हूँ आज। चलो आखिरकार मुझे एक अच्छी कम्पनी में जॉब मिल गयी। आज में दिल्ली जा रहा हूँ घर पे भी सब काफी खुश है। और मैं फायनली दिल्ली के लिए निकल पड़ा। आज भी जब भी ट्रेन में बैठता हूँ उसे याद करता हूँ। आज उसे याद करने के लिए मेरे पास बस उसके चेहरे की कुछ पेंटिंग हैं। उतने में एक आवाज आई मैं उठकर देखने गया तो एक लड़की को दो लड़के छेड़ रहै थे, मैंने उनको रोकने की कोशिश की तो उन लोगों ने मुझ पर हाथ उठाया मेरी हाथा पायी हुई उन लोगों के साथ मैंने गुस्से में बहुत मारा उन दो लड़कों को। उसके बाद ट्रेन रुकी और आगे के स्टेशन पर उतरकर वो भाग गए। चलो में दिल्ली पहुँच गया हूँ और कंपनी की तरफ से जो एक फ्लैट मिला है वही रहना है और आज मेरी जॉब का पहला दिन है! वैसे ऑफिस काफी अच्छा है पर ये क्या? ये तो वही लड़की है जिसे मैंने दो साल पहले ट्रेन में देखा था! मैं उसकी तरफ़ बात करने के लिए बढ़ा वही पीछे से आवाज आयी एक्सक्यूज मी! सर आपको अंदर बुला रहे है पलट के देखा तो वो नहीं थी मैंने सोचा की कोई बात नहीं वैसे भी वो इसी ऑफिस में है तो रोज मिलेगी तो बात कर लूंगा ये सोच के मैं सर से मिलने चला गया, उनसे मिला सब तय हो गया अब मेरी जॉब पक्की हो गयी है ! सर ने मुझे कल से ज्वाइन करने के लिए कहा था तो मैं घर चला गया! वैसे मुझे जॉब की खुशी तो थी पर सब से ज्यादा ख़ुशी उससे मिलने की थी! जॉब पर आते ही में उसे ढूँढने लगा पर वो मुझे कहीं नहीं दिखी तो मैंने मेरे एक कलीग से उसके बारे में पूछा जो उस दिन उस लड़की के साथ खड़ा था! तो उसने बताया की वो तो नौकरी छोड़ के चली गयी है कल वो यहाँ अपना कुछ सामान और रिजाइन लेटर देने आई थी! और मैं उसे आज भी नहीं मिल पाया और फिर मेरी कहानी अधूरी रह गयी! पर नहीं इस बार नहीं ये सोच कर पहले तो ऑफिस से उसका नंबर लिया पर नंबर लगातार बंद आ रहा था मैंने ऑफिस से उसका घर का एड्रेस निकाला! ऑफिस छुटने के बाद तुरंत में उसके घर गया। पर वहाँ जाके देखा तो ताला लगा था! दूसरे दिन में ऑफिस गया तो पता चला की वो फ्लैट उसे कंपनी की तरफ से मिला था इसलिए वो वहां नहीं रहती है। मैंने उसका अलटरनेट एड्रेस निकाला और उससे मिलने वह चला गया। मैं उसके घर के बहार पहुंचा डोर बेल बजायी मेरी धड़कनें इतनी तेज थी की डर लग रहा था की मेरी धड़कनों की आवाज वो सुन न ले दरवाजा खुला और मैंने देखा वो मेरे सामने खड़ी थी लेकिन? मैं क्या देखता हूँ पीछे से आवाज आयी। चार पांच साल का बच्चा कह रहा था माँ चलो ना भूख लगी है। उसने मुझे अंदर आने के लिए कहा। बड़ी हिम्मत करके मैं घर क अंदर गया उसने पूछा कि मैं जानती हूँ उस दिन मैंने आपको देखा था ऑफिस में। कुछ काम था क्या? मैं क्या कहता उससे ऑफिस का कोई काम था नहीं और कुछ और कहने लायक अब रहा नहीं। कुछ कहता उससे पहले उसका बेटा आता है और कहता है माँ और कितनी देर चलो ना। मैंने कहा कोई बात नहीं में चलता हूँ अभी। बाद में आऊंगा और फिर में वहाँ से निकल गया जैसे मेरे सारे सपने बस एक ही पल में टूट गए हो ऐसा लग रहा था।


मैं घर पहुंचा उतने में फ़ोन की रिंग बजी मेरा दोस्त साहिल था फोन पर मैंने कहा बोल भाई उसने कहा तेरी आवाज को क्या हुआ मैंने कहा कुछ नहीं बस थोड़ा थका हुआ हूँ। तू बता फोन क्यों किया उसने कहा मैंने तुझे ये बताने के लिए फोन किया की मैं दिल्ली आ रहा हूँ दोस्त की शादी है वैसे तो नहीं आना था पर फिर सोचा इसी बहाने तुझसे मुलाकात हो जाएगी, दूसरे दिन मेरा दोस्त साहिल घर आता है ! और बता भाई क्या चल रहा है आज ऑफिस नहीं गया है नहीं बस थोड़ा सर दर्द है तो छुट्टी ले ली मैंने कहा। उसने कहा सर दर्द तो ठीक है पर तेरे दिल का दर्द का क्या हुआ दवा मिली की नहीं मेरा मतलब है वो मिस्ट्री गर्ल। तूने बताया था वो तुझे ऑफिस में दिखी थी फिर तूने बताया ही नहीं आगे क्या हुआ भाई मुलाकात हुई के नहीं। मैंने कहा हाँ मिला था उससे सिया नाम है उसका फिर मैंने साहिल को पूरी कहानी बताई के क्या हुआ। साहिल ने कहा देख भाई में जानता हूँ तू उससे बहुत प्यार करता है पर तुझे उसे अब भूल जाना चाहिए वो शादी शुदा है और ऊपर से चार पांच साल के बच्चे की माँ भी हे। मैंने कहा। नहीं मैं उसे नहीं भूल सकता और भूलूँगा भी नहीं। क्यों की मेरे दिल ने उससे प्यार करते वक्त मुझसे ऐसी शर्त नहीं रखी थी की अगर वो मुझे मिली तो ही उससे प्यार करूंगा। प्यार शर्तों पर नहीं होता मेरे भाई। साहिल ने कहा चल ठीक हैं छोड़ यार तेरा प्यार मेरी समझ से तो परे है। चल मेरे साथ पार्टी में शादी से पहले फ्रेंड्स के लिए एक छोटी सी पार्टी है तू भी चल तेरा मन हल्का होगा। मैंने कहा नहीं यार तू जा मेरा मन नहीं है। पर फिर थोड़ा समझाने पर में उसके साथ चला गया। सब पार्टी एन्जॉय कर रहे है लेकिन मेरा मन तो उसी में अटका है सिया के बारी में बस सोच ही रहा था की वो मुझे पार्टी में दिख गयी मैंने सोचा क्यों? क्यों मिला रहे हो आप भगवन मुझे इससे। मैंने वेटर से एक ड्रिंक बनाने को कहा उसके बाद दूसरा तीसरा ऐसे करते करते इतने गिलास पिए के मुझे होश ही नहीं रहा में पता नहीं क्या सोच कर सिया के पास चला गया और पार्टी में सब के सामने उसे पकड़कर उसके साथ जबरदस्ती डांस करना शुरू कर दिया। पार्टी में सबका ध्यान मुझ पर और सिया पर आ गया, सिया ने अपने आपको मुझसे छुड़ाकर फिर जोर से मुझे थप्पड़ मार दिया। उतने में दो लड़के आ गए और मुझसे झगड़ा करने लगे ये वही लड़के थे जिससे ट्रैन में मेरी मार पीट हुई थी। वो लड़के मेरे पास आये मेरा कॉलर पकड़ा साहिल ने उनको रोका तो उन लोगोने साहिल को भी धक्का दे दिया। और मुझसे कहा याद तो है न हम और अगर नहीं भी है तो याद दिला देंगे मार मार के। आज हिसाब बराबर करेंगे तुझसे। और फिर हमारा बहुत बड़ा झगड़ा हुआ बहुत मार पीट हुई उतने में पुलिस आ गयी और सिया ने पुलिस से कहा इंस्पेक्टर यही है वो पहले इसने मेरे साथ बत्तमीजी के साथ डांस किया और जब इन लोगों ने इसे रोकने की कोशिश की तो इस लड़के ने इन लोगों को भी बहुत मारा। मैंने ही फोन करके कम्प्लेन की थी आपको। पुलिस ने कहा अच्छा चल थाने बड़ा शौक है न नाचने का हम तुझे मार मार के नचाएंगे। पुलिस मुझे गिरफ्तार करके ले गयी कुछ वक्त बाद सिया के मां पापा आये और उन्होंने कम्प्लेन वापस ले ली पुलिस ने कहा बड़े अजीब लोग है वैसे तो लड़की के माँ बाप कप्लेन करते है और बेटी अपने आशिक को छुड़ाती है लेकिन यहाँ तो उल्टा बेटी कम्प्लेन करती है और उसके माँ बाप आशिक को छुड़ाने आते हे। पुलिस ने फिर मुझे छोड़ दिया मैंने सिया के माँ बाप को थैंक यू कहा और सिया के साथ मैंने जो नशे में किया उसके लिए उनसे माफ़ी मांगी। लेकिन सिया के माँ बाप ने मुझे कहा नहीं बेटा तुम माफ़ी मत मागो सब ने पार्टी में तुम्हारी बत्तमीज़ी देखी लेकिन हमने तुम्हारी आँखों में सिया के लिए प्यार देखा था। मैंने कहा जी में कुछ समझा नहीं तो उन्होंने कहा सारी बाते यही करेंगे कही अच्छी जगह बैठ कर बात करते है मैंने कहा नहीं फ़िलहाल मुझे मेरे दोस्त साहिल से मिलना है उसे भी चोट आई थी लेकिन सिया के माँ पापा ने कहा की वो ठीक है और हमने उसे कह दिया है की हम तुम्हें छुड़ा लेंगे वो घर पर है तो मैंने कहा ठीक है तो फिर मेरे घर ही चलते है वही बात करेंगे। में उनको अपने घर ले गया। उन्होंने दीवार पर सिया की पेंटिंग्स देखी और कहा हमें लगा ही था की तुम सिया को जानते हो और उससे प्यार करते हो और तुमने वो डांस प्यार में किया था। मैंने कहा ज्यादा नहीं जानता और सिया तो मुझे उतना भी नहीं जानती और फिर मैंने उनको पूरी कहानी बताई कि कैसे और कब मैंने सिया को पहली बार देखा फिर उससे मिलना उसकी शादी का सच पता चला सब कुछ बता दिया। सिया के माता पिता ने मुझे बताया की सिया हमारी बहू है । सिया की शादी हमारे बेटे अनुज से हुई थी हम आज भी उस दिन को कोसते है। अनुज और सिया काफी खुश थे अपनी शादी में पर पता नहीं। अनुज को क्या सूझा कि उसने हम सब को छोड़ यु. एस जाकर वहां नौकरी करने का फैसला किया अनुज ने कहा कुछ साल की बात है वो वहाँ सैटल हो जाएगा और फिर हम सब को भी वही अपने पास बुला लेगा। उसके किसी दोस्त ने उसे वहां बुलाया था वो भी वही पे नौकरी कर रहा था। उस वक्त सिया का पाँचवाँ महीना चल रहा था। पहले तो अनुज ने कुछ महीने सिया से हमसे बात की फिर पता नहीं क्या हुआ अचानक उसने बात करना ही बंद कर दिया। उसके ऑफिस फोन करो तो वहाँ पे भी वो फ़ोन पे नहीं आता था! ऐसे ही कुछ महीने और कुछ साल बीत गए न तो अनुज का कोई फोन आया और न वो आया। कुछ साल बाद अनुज का फ़ोन आया उसने बताया की मेरी मजबूरी थी माँ मैंने यहाँ लीजा नाम की लड़की से शादी कर ली हे। लीजा मुझे चाहने लगी थी वो हमारे ऑफिस की मालिक की बेटी हे। अनुज ने कहा कुछ वक्त की बात है माँ लीजा को कैंसर है और उसके पापा ने उससे शादी करने पर सारी दौलत मेरे नाम करने का फैसला किया था इसलिए मैंने ये शादी की। आप सिया को भी समझाना मैं कहूँगा तो वो नहीं समझेगी और मुझ पर गुस्सा करेगी। मुझे शर्म आ रही थी उस वक्त की मैंने ऐसे बेटे जो जन्म दिया जिसने दौलत के लिए अपने रिश्ते दाव पर लगा दिए! मैंने उस वक्त ये कहकर फोन काट दिया की बेटा सिया ने सब सुना है क्यों की फोन स्पीकर पर ही था अब तू सुन आज के बाद कभी फोन मत करना। और कभी लौट के मत आना अभी भी जी ही रहे थे आगे भी हम तेरे बिना जी लेंगे हमने सिया से कहा कि अनुज को भूल कर आगे बढ़ जाओ पर वो अभी भी वहीं खड़ी है आज वो अनुज से नफ़रत जरूर करती है पर किसी और से प्यार नहीं करना चाहती। अनुज से रिश्ता तोड़ दिया है पर किसी और से रिश्ता जोड़ना नहीं चाहती है ! हम उसे ऐसे नहीं देख सकते हम चाहते है की वो भी खुश रहे और हमारा बेटा ऋषि उसको भी एक पिता का प्यार मिले। क्या तुम करोगे सिया से शादी? मैंने कहा मुझे एतराज़ नहीं है लेकिन क्या सिया मुझसे शादी करेंगी? सिया के माता पिता ने कहा उसे मनाना हमारी जिम्मेदारी है फिर वो चले गए! दूसरे दिन सिया के माता पिता का कॉल आया उन्होंने कहा कि हमने सिया से बात की थी जब हमने सिया को बताया तो वो काफी गुस्सा हुई सिया ने कहा माँ पापा आप ऐसे कैसे किसी भी लड़के से मेरी शादी करवा सकते हो वो भी ऐसा लड़का आपने नहीं देखा उस दिन उसने पार्टी किस तरह से मेरे साथ बत्तमीज़ी की और वैसे भी मैंने कहा था आपसे में दूसरी शादी कभी नहीं करूँगी चाहे कुछ भी हो जाये एक बार प्यार कर लिया है दूसरी बार कभी किसी से नहीं होगा और में करना भी नहीं चाहती। और जिस रिश्ते में प्यार ही न हो उस रिश्ते का क्या मतलब है फिर हमने उसे समझाया कि अपने लिए न सही पर ऋषि के खातिर ही मान जाओ और राघव अच्छा लड़का है हमने पता किया है । तुम नहीं चाहती ऋषि को एक पिता का प्यार मिले। और काफी समझाने पर वो मान गयी है ! हमें यकीन है बेटा की तुम्हारा प्यार एक दिन उसे भी तुमसे प्यार करने पर मजबूर कर देगा। मैं क्या कहता मैं ऑफिस से घर गया तो सिया घर पर ही थी सिया ने कहा बात करनी थी तुमसे। आखिर क्या बात करने आयी होगी? सिया ये हम कहानी के दूसरे भाग में देखेंगे।


कर्मशः


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