प्रेम की कसौटी
प्रेम की कसौटी
दिव्य ने बहुत झिझकते हुए देरी से पहुंचने के माफी मांगते हुए वंदना से कहा - सॉरी.... माँ की तबीयत अचानक खराब हो गई थी इसलिए पार्टी में ठीक समय से नहीं पहुंच पाया। " वंदना ने उसकी हथेली अपनी हथेलियों में कसते हुए कहा -" इसमें सॉरी की गुंजाइश ही कहाँ है ! आज मुझे यकीन हो गया है कि मैंने जिसे अपने ह्रदय में स्थान दिया है वह सर्वथा उसके योग्य है क्योंकि जो अपनी माँ से प्रेम करता है वही अन्य किसी से प्रेम कर सकता है। इसके अतिरिक्त जो कुछ दिखाई देता है वह आकर्षण, वासना, माया कुछ भी हो पर प्रेम नहीं हो सकता है।
