दो दो मां
दो दो मां
नव विवाहिता जूही ससुराल में अपनी सासू मां के सामने जाने से भी कतराती। उसे लगता है कि वह कोई न कोई कमी उसमें निकाल देंगी। हालांकि जूही को अब तक उन्होंने मातृवत् ही त्रुटियों पर टोंका था, पर जूही को बहुत ही संकोच होता।
आज सुबह की चाय की ट्रे लेकर जूही ज्यूं ही सासू मां के कमरे में पहुंची तो ट्रे मेज पर रखकर, बैड पर बैठे हुए, पहले ससुर जी व सासू मां के चरण स्पर्श किये और फिर ट्रे आगे कर दोनों से सकुचाते हुए आग्रह किया कि-" चाय ले लीजिए।"
ससुर जी ने तो चाय की प्याली उठा कर पीना आरंभ कर दिया पर सासू मां ने नहीं उठाई और एकटक जूही को देखती रही। जूही घबरा सी गई और सकुचाते हुए बोली -" मां कोई गलती हो गई मुझसे? "सासू मां थोड़े सख्त लहजे में बोली - "कोई, अरे इतनी बड़ी गलती !
ठीक है हम दोनों बुडढ़े हैं पर चाय पर कंपनी तो अच्छी दे ही सकते हैं।। तुम्हारी चाय कहां है ?" सासू मां के यह कहते ही ससुर जी तो ठहाका लगाकर हंस पड़े और जूही का ह्रदय प्रफुल्लित हो उठा। उसे अहसास हुआ कि आज एक जन्म में ही उसने दो दो मां पा ली हैं।
