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Pawanesh Thakurathi

Children Inspirational

4.8  

Pawanesh Thakurathi

Children Inspirational

प्रेम की होली

प्रेम की होली

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होली पर गांव- बाजार का माहौल गरमाया हुआ था। जहाँ- तहाँ रंग से पुते होल्यार ही होल्यार नजर आ रहे थे। होली है- होली है की ध्वनि से वातावरण गुंजायमान हो रहा था। राजेश, मदन और राहुल भी अपनी- अपनी पिचकारी से लोगों को भिगा रहे थे। अचानक उन्होंने देखा कि उनका सहपाठी कैलाश बाजार से सामान लेकर आ रहा है और उसके चेहरे पर रंग का नामोनिशान तक नहीं लगा है। तब सभी ने मिलकर कैलाश को रंग लगाने की योजना बनाई और राजेश ने चुपके से उसके पीछे आकर उसके चेहरे पर रंग मल दिया। उसके साथ ही मदन और राहुल भी उस पर टूट पड़े। बेचारा कैलाश अकेला था। खुद को बचाने के सिवा और क्या करता लेकिन दुर्भाग्य से वह खुद को बचा न सका और रंग उसकी आंखों में चला गया। वे तीनों तो होली है-होली है चिल्लाते हुए भाग गये किंतु कैलाश जैसे- तैसे घर पहुँचा और उसने उन तीनों की शिकायत अपने पिताजी से कर दी। शाम को कैलाश के पिताजी ने उन तीनों को घर बुलाकर समझाते हुए कहा- "बेटा, होली रंगों का त्योहार है। हमें एक दूसरे को रंग लगाना चाहिए, लेकिन ऐसे कि जिससे हमारे बीच मनमुटाव न हो। एक-दूसरे के लिए नफरत पैदा न हो। मेरे कहने का मतलब यह है कि हमें सिर्फ होली नहीं खेलनी चाहिए बल्कि प्रेम की होली खेलनी चाहिए।"


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