प्रेम और वासना
प्रेम और वासना
राजेश और रीना की शादी हुए छः महीने हो गए थे । राजेश इकहरे बदन का युवक था जो देखने में औसतन था लेकिन रीना ? उसे तो भगवान ने छप्पर फाड़कर हुस्न दिया था । उसके गदराये बदन से हजारों गुलाबों की खुशबू आती थी । आंखों से पूरी मधुशाला बहती थी । फिगर भी ऐसा था कि अच्छी अच्छी मॉडल शरमा जाए । हुस्न की मलिका थी रीना । मगर उसे मिला राजेश जैसा साधारण पति ।
इसके पीछे भी एक कहानी है । रीना अपने गांव में पढ़ रही थी । उसके हुस्न की महक पूरे गांव में फैलने लगी थी। उसका परिवार बहुत साधारण सा था । गुदड़ी में लाल वाली कहावत रीना पर फिट बैठ रही थी । जब उस पर जवानी आई तो बस , सारी जवानी उसी पर बरसा दी भगवान ने । दोनों हाथों से लुटा दी थी । रास्ते में आते जाते लोग तो कहने लग गए थे
"रूप तेरा मस्ताना , प्यार मेरा दीवाना
भूल कोई हमसे ना हो जाए " ।
रीना यह सुनकर शरमा जाती । उसका दिल धड़क जाता और होंठों पर बरबस मुस्कान आ जाती । अब तो इन सब छेड़छाड़ की आदी हो गई थी वह ।
एक दिन उसने देखा कि एक गबरू जवान उसकी ओर लगातार देख रहा था । वह भी उस गबरू जवान के डील डौल को देखकर उस पर रीझ गई । उसके होंठों ने उसे निमंत्रण भेज दिया । बस, गबरू को तो इशारा मिलने की देर थी । पास आया और धीरे से बोल दिया "आई लव यू" । रीना ने लबों और आंखों से ही इसका जवाब इशारों में ही दे दिया। वह गबरू उसके पीछे पीछे घर तक आ गया । फिर रात के दस बजे का इशारा करके चला गया।
रात में ठीक दस बजे जब रीना ने खिड़की के बाहर देखा तो वह गबरू वहां खड़ा था । वह खिड़की पर आ गई। कमरे में लाइट बंद थी इसलिए बाहर से कुछ दिख नहीं रहा था । रीना ने धीरे से सीटी मारकर उसे खिड़की पर बुला लिया । गबरू ने खिड़की में हाथ डाल कर रीना का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे चूम लिया। रीना ने अपना हाथ छुड़ा लिया और धीरे से कहा "कोई आ जायेगा ना । मैं रात में बारह बजे दरवाजा खोल दूंगी , तुम अंदर आ जाना" । गबरू ने हां में सिर हिलाया और चला गया ।
रात को बारह बजे उसने चुपके से दरवाजा खोल दिया और गबरू अंदर आ गया । वह उसे लेकर ऊपर छत पर चली गई। वहां पर दोनों आलिंगनबद्ध हो गए और चुंबन के दौर चलने लगे । जैसे ही रीना ने सामने देखा उसके मुंह से चीख निकल गई । उसकी मां सामने ही खड़ी थी । पहले दिन ही उसकी चोरी पकड़ी गई । उसकी मां ने डांटकर गबरू को भगा दिया और रीना के चार पांच जोरदार थप्पड़ जड़ दिए।
घर में हंगामा हो गया । रीना के पिता और भाई ने रीना की अच्छी खासी पिटाई की और उसका बाहर आना जाना बंद कर दिया। आनन फानन में शादी करने की योजना बन गई । जल्दी से जल्दी शादी करना चाहते थे सब जिससे खानदान पर कलंक ना लग सके । राजेश का रिश्ता आया था तभी । तो आनन फानन में शादी कर दी रीना की ।
रीना के ख्वाब ऊंचे थे लेकिन घरवालों के आगे उसकी एक ना चली । उसने मन मारकर शादी कर ली । राजेश को तो जैसे "कारूं का खजाना" मिल गया था । धन्य हो गया था वह । रीना के हुस्न और उसकी दहकती जवानी ने उस पर जादू कर दिया था । वह उसका गुलाम हो गया था ।
गांव में मेला लगा था । रीना को घर से बाहर निकल अपने हुस्न की चांदनी बिखेरने का बहुत शौक था । उसने राजेश से कहा कि शाम को जल्दी घर आ जाए जिससे दोनों मेले में चले चलें । राजेश जल्दी घर आ गया था । तब तक रीना बन संवर कर तैयार बैठी थी । उसने बड़ी कातिल नजरों से राजेश को देखा और धीरे धीरे गुनगुनाने लगी
जब छाये मेरा जादू
कोई बच ना पाये ।
हाय ,
जब छाये मेरा जादू
कोई बच ना पाये ।
राजेश ने उसे बांहों में जकड़ने की कोशिश की मगर वह मछली की तरह फिसलकर उसकी बांहों के बीच से निकल गई और हंसते हुए कहने लगी
"श्रीमान जी , पूरी रात पड़ी है , पकड़म पकड़ाई खेलने के लिए । अभी तो पहले मेले में चलिए" ।
राजेश ने भी हंसकर कह दिया
प्यार के इस खेल में , दो दिलों के मेल में
तेरा पीछा ना मैं छोड़ूंगा सोनिये ,
भेज दें चाहे जेल में ।।
दोनों बाइक से मेले में आ गए। मेले में खूब मस्ती करने लगे दोनों । रीना के हुस्न का जलवा कुछ ऐसा जमा कि उसके पीछे पीछे आवारा लड़कों की भीड़ चलने लगी । फब्तियां कसी जाने लगी । सीटियां बजने लगी । रीना ने न जाने कितने दिनों बाद ये नजारा देखा सुना था । मन ही मन वह बहुत खुश हुई । इधर इस माहौल को देखकर राजेश को गुस्सा आने लगा । वह बार बार रीना को घर चलने के लिए कहने लगा लेकिन रीना तो आई ही इस मजमे के लिए थी । आज एक बार फिर से उसकी हसरत पूरी हो रही थी । हुस्न को वाहवाही चाहिए । हुस्न की खुराक प्रशंसा है । यह खुराक रीना को भरपूर मिल रही थी । राजेश झुंझलाने लगा था मगर रीना को मजा आ रहा था । आवारा लड़कों का झुंड पीछे पीछे था ।
इतने में एक तीस पैंतीस साल का गोरा चिट्टा बांका आदमी बंदूक़ से लैस वहां आया । उसके साथ चार पांच बंदूकधारी भी थे । उसको देखते ही आवारा लड़कों की भीड़ भाग खड़ी हुई । एकदम सन्नाटा सा छा गया। रीना चौंक गई । गजब का आकर्षण था उसके रौबीले चेहरे में । उसकी आंखें बहुत गहरी थी । फुसफुसाहट आने लगी "टाइगर भाई" । राजेश ने जैसे ही यह नाम सुना , उसके पैर कांपने लगे । अपने इलाके का छंटा गुंडा था टाइगर । अपहरण , लूट , डकैती , सुपारी लेकर हत्या करना , बस यही काम था उसका । राजेश ने कांपते हाथों से रीना को पकड़ा और उसे ले चलने का प्रयास करने लगा ।
रीना को महसूस हुआ कि टाइगर ने अपने मजबूत हाथ से उसकी कलाई पकड़ रखी है । वह मजबूत पकड़ उसे अच्छी लगी । राजेश के कांपते हाथों की लिजलिजी पकड़ बहुत गंदी लग रही थी रीना को । उसने पहली बार टाइगर को देखा । वाह ! क्या रौबीला व्यक्तित्व है इसका । जैसे कि पृथ्वीराज चौहान । राजेश की कमजोर पकड़ छूट गई ।
राजेश ने टाइगर से कहा "ये क्या बद्तमीजी है ? मेरी पत्नी है ये । छोड़ दे इसको" ।
टाइगर जोर से हंसा । हंसते हंसते बोला "ये मुंह और मसूर की दाल । गंजे के हाथ बटेर लग गई । मगर सुन । तेरी औकात नहीं है इसके लायक । तू एक भिखारी और ये हुस्न का खजाना । गुदड़ी में कोहीनूर शोभा नहीं देता है । ये तो हम जैसे राजा लोगों के मुकुट के लिए बनी है । चल फूट यहां से " । और टाइगर ने एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया राजेश के गाल पर । राजेश वहीं पर गिर पड़ा ।
फिर टाइगर ने रीना को देखा और मुस्कुरा कर कहा "राजी राजी चलेगी या उठाकर ले जाऊं" । रीना कुछ समझ ही नहीं पा रही थी । उसने इतनी कल्पना नहीं की थी । टाइगर का व्यक्तित्व उसे आकर्षित कर रहा था । उसके सामने राजेश बहुत बौना लग रहा था । रीना ने हिकारत भरी नजरों से जमीन पर पड़े हुए राजेश को देखा । फिर गर्व से दमकते हुए टाइगर को देखा । वह टाइगर के साथ चल पड़ी । इतने में एक बी एम डब्ल्यू कार आकर रुकी और दोनों उसमें बैठ गये ।
एक महल नुमा मकान में टाइगर उसे ले आया और एक कमरे में पड़े पलंग पर उसे बैठा दिया । बाहर नौकरों की फौज को हिदायत देते हुए बोला ।
"जब तक मैं दरवाजा नहीं खोल दूं , तब तक कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा । और हां , शानदार डिनर की तैयारी करो" ।
टाइगर दरवाजा बंद कर पलंग पर आ गया और बोला "जो भी तुम्हारा नाम है , तुम बेहद खूबसूरत हो । ऐसा हुस्न मैंने आज तक नहीं देखा इसलिए रोक नहीं पाया । भगवान ने फुरसत से बनाया है तुमको । खूब जमेगी अब हुस्न और जवानी में" । कहकर उसने रीना को अपने से सटा लिया । रीना को वह स्पर्श बहुत अच्छा लगा । उसनेे मुस्कुरा कर उसका हौंसला बढ़ाया । फिर तो टाइगर ने उसे बांहों में भर लिया । कमरे में भूचाल आ गया। दो घंटे चला वह तूफान । सब कुछ तहस नहस कर गया । रीना को ऐसा महसूस हुआ जैसे वह जन्नत में है । जैसा वह चाहती थी , वैसा ही उसे मिल गया । आनंद की चरम अनुभूति में खो गई थी वह ।
दो घंटे बाद वह फ्रेश होने चली गई । उसकी जरूरत का सारा सामान मंगवा दिया गया । भांति-भांति के अंतर्वस्त्र , साड़ी ब्लाउज , टॉप लैगिंग , सूट वगैरह । श्रंगार का सारा सामान भी । नौकर चाकरों की फौज थी वहां । उसे ऐसा लगा जैसे वह कोई महारानी हो ।
डिनर पर दोनों बैठे । इतने लैविश डिनर की कल्पना भी नहीं की थी उसने । वह मन ही मन सोचने लगी , यह राजा है या गुंडा ? अगर उसकी शादी इससे हो जाती तो कितना मजा आता ? मगर अब भी क्या बिगड़ा है ? शादी ना सही "लिव इन" ही सही । क्या फर्क पड़ता है ? आजकल तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता दे दी है इसे " । वह सोचती रही ।
तीन चार दिन तो "हनीमून" में ही गुजर गए । पता ही नहीं चला । एक दिन जब टाइगर चला गया और शाम का वक्त था तो वह नीचे लॉन में आ गई। बहुत सुंदर बगीचा था । सब तरह के फूल खिले हुए थे वहां पर । वह फूलों में खो गई। फूलों के उपवन में एक "फूल" और आ गया था ।
इतने में एक शालीन , सौम्य , सुंदर औरत वहां पर आई और फूल तोड़ने लगी । रीना को देखकर वह मुसकुराई । रीना भी मुस्कुरा दी । आंखों आंखों में पहचान हो गई। वह औरत हंसकर बोली "नई आई हो" ?
यह प्रश्न सुनकर रीना चौंकी । झटपट उसके मुंह से निकल गया "जी । पर आपको कैसे पता चला" ?
प्रश्न का जवाब उसने केवल मुस्कुरा कर दिया । कहने लगी "यहां तो आती ही रहती हैं लड़कियां और औरतें । देखते हैं कि आप कब तक यहां रुकेंगी" ?
इससे पहले कि रीना कुछ समझ पाती , वह चल दी । रीना उसके शब्दों का अर्थ ढूंढती रह गई। दिन इसी तरह गुजर रहे थे । एक दिन फिर वही औरत नीचे बगीचे में मिल गई । रीना पूछ बैठी "देवी , आप कौन हैं" ?
वह मुस्कुरा कर बोली "क्या करोगी जानकर" ?
"बस, ऐसे ही"
"हमारा नाम सरला है । हम टाइगर की पत्नी हैं"
यह वाक्य सुनकर रीना चौंकी । टाइगर की पत्नी भी है " ? रीना ने पूछा "कितने साल हो गए शादी को" ?
वह हंसकर बोली "कुछ याद नहीं" ।
"ऐसा क्यों" ?
"बस ऐसे ही । अब हममें पति पत्नी का संबंध नहीं रहा" !
"क्या" ?
"जी , आपने सुना वो सही है । हम पिछले तीन साल से उनसे अलग रहते हैं मगर इसी प्रांगण में ही । उनको तो नित नये फूलों की महक लेने का शौक है । ये हमसे बर्दाश्त नहीं हुआ और हम उनसे अलग हो गए" । उसकी आवाज में दर्द था । रीना को पहली बार अपराध बोध हुआ । सरला चली गई और रीना सोचती रह गई।
एक शाम को टाइगर आया और उसके साथ एक आदमी भी आया । टाइगर उसका परिचय करवाते हुए रीना से बोला "ये हैं मिस्टर अजय सिंह । यहां के एसपी" । रीना की आंखें फटी की फटी रह गई। एक एसपी एक दुर्दांत अपराधी के घर क्यों आया ? वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही टाइगर बोला " मुझे आज कुछ जरूरी काम आ गया है इसलिए मैं जा रहा हूं । तुम एसपी साहब का अच्छे से ध्यान रखना। देखो , शिकायत का मौका ना मिले कहीं" ।
इतने में एसपी साहब बाथरूम चले गए । पीछे से टाईगर धीमे से बोला "आज की रात ये साहब यहीं पर रुकेंगे , तुम्हारे ही साथ । जब तक जागते रहें , तुम भी तरोताजा रहना । मेरे खास मेहमान हैं ये । इन्हें कोई शिकायत का मौका नहीं देना है" ।
रीना जैसे आसमान से धरती पर गिर पड़ी हो । वह खुद को टाइगर की बीवी समझ बैठी थी । आज उसे अपनी औकात पता चल गई । अब उसके पास और विकल्प भी क्या था ?
एसपी साहब सुबह चार बजे तक उसके साथ रहे । फिर चले गए। रीना को पता चल गया था कि अब वह इसी तरह दूसरे लोगों को परोसी जाती रहेगी । हे भगवान ! ये क्या कर लिया उसने ? उसे मोहम्मद रफी साहब का गाया फिल्म गाइड का गीत याद आ गया।
"क्या से क्या हो गया ,
बेवफा , तेरे प्यार में ।"
मगर अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। एक दिन उसे सरला फिर मिल गई । आज उसे पता चला कि अब तक ना जाने कितनी लड़कियों की हत्या कर लाश ठिकाने लगा दी गई थी यहां पर । कितनी लड़कियों ने आत्महत्या कर ली । पर यहां से जिंदा कोई नहीं जा पाई । रीना को अपना भविष्य दिख रहा था । अब उसे राजेश का प्यार याद आने लगा था । राजेश का प्रेम निर्मल और गहन था । टाइगर तो वासना का पुजारी था । दोनों की कोई तुलना ही नहीं थी । रीना को अब राजेश साधारण आदमी नहीं , देवता लगने लगा था ।
वह ऐसी मौत मरना नहीं चाहती थी इसलिए उपाय सोचने लगी । एक योजना उसके दिमाग में आई । योजना के तहत वह एक मनोचिकित्सक के पास दिखाने गई । टाइगर भी साथ था । मनोचिकित्सक ने और दवाओं के साथ नींद की गोली भी लिख दी थी । वह एक महीने की दवाई लेकर आ गई ।
दो तीन दिन बाद मंत्री जी को लेकर टाइगर आया । रीना समझ गई कि आज की रात मंत्री जी के साथ गुजारनी है । उसने योजना पर काम शुरू कर दिया । चुपके से पर्स से नींद की गोली निकाल ली उसने और शराब के प्यालों में डाल दी । अपने हाथों से दोनों को शराब पिलाने लगी । गोली का असर होने लगा । दोनों वहीं लुढ़क गए नींद में ।
अब वह टाइगर की दो रिवाल्वर ले आई । दोनों रिवाल्वर से गोली मारी । एक से टाइगर को तो दूसरे से मंत्री को । तीन तीन गोली मारी जिससे बचने की संभावना ना रहे । फिर वह चिल्लाती हुई बाहर भागी । एम्बुलेंस बुलवाई और दोनों को अस्पताल ले चली । वहां पर दोनों को मृत घोषित कर दिया गया । रीना ने पुलिस में आत्म समर्पण कर दिया ।
पुलिस ने उससे पूछताछ करके मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर दिया जिसने उसे जेल भेज दिया । रीना के दिन जेल में कटने लगे । वहां पर उसे रह रहकर राजेश की याद आने लगी । क्या शक्ल सूरत ही मायने रखती है ? क्या गठीला बदन ही मायने रखता है ? मृगतृष्णा है ये । जब तक अथाह प्रेम का सागर हाथ ना लगे तब तक ही शक्लो सूरत अच्छी लगती है । सबसे बड़ी चीज है प्रेम । प्रेम नहीं तो शरीर का क्या महत्व ? टाइगर के पास शरीर था प्रेम नहीं । राजेश प्रेम पुजारी था तो टाइगर वासना का भूखा भेड़िया । कितना अंतर है दोनों में । वह भी कितनी मूर्ख थी जो प्रेम के सागर को छोड़कर "शरीर" रूपी तालाब के पीछे दौड़ती रही । मगर अब क्या हो सकता है ।
जेल में वह दिन गुजार रही थी कि एक दिन गार्ड ने कहा "कोई मिलने आया है आपसे" वह असमंजस में पड़ गई । कौन आया होगा ? मगर अनुमान नहीं लगा सकी ।
इतने में राजेश सामने आ गया। उसे देखकर उसकी भावनाओं का ज्वार बह निकला । आंखों से अविरल अश्रु धारा बह निकली। उसने मुंह फेर लिया और हिलकियां ले लेकर रोने लगी ।
राजेश ने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा "एक बार मेरी ओर तो देखो ना । क्या मैं इतना बुरा हूं" ?
राजेश के इन शब्दों ने ना जाने कैसा जादू किया रीना पर कि वह फट पड़ी । "आप तो देवता हैं । मैं ही कुलटा हूं , कुलच्छिनी हूं , पापन हूं । मैं आपके लायक नहीं हूं । मुझे माफ़ कर दीजिए "
राजेश ने उसके दोनों हाथों को पकड़कर अपने माथे और आंखों पर लगाया फिर चूम कर बोला । "मैं तुमसे प्यार करता हूं , रीना । मेरा प्यार सच्चाई की तरह है जिसे कोई मार नहीं सकता है । मैं अंत तक तुम्हारा इंतज़ार करूंगा" ।
मिलने का समय समाप्त हो चुका था । राजेश ने उसके बचाव के लिए दिन रात एक कर दिए । एक से बढ़कर एक वकील किये । पैसा पानी की तरह बहाया । ट्रायल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई जिसे उच्च न्यायालय ने दस साल तक सीमित कर दिया ।
सजा पूरी होने पर जब वह जेल से बाहर आई तो वहां पर राजेश खड़ा हुआ उसका इंतजार कर रहा था । रीना ने पश्चाताप के आंसुओ से अपना तन मन भिगोकर निर्मल कर लिया था । निर्मल हृदय में भगवान बसते हैं । रीना को प्रेम और वासना में अंतर समझ आ गया था ।