प्रार्थना
प्रार्थना
महामारी की विषम परिस्थिति में सभी भगवान की ध्यान-साधना तथा प्रार्थना में लीन थे,
क्योंकि दुःख में नाम सिमरन करना इंसान की फितरत हैं। मैंने भी प्रार्थना में कहा हे! भगवान मेरी जान बचा दो। माँ ने अपने पूरे परिवार की सलामती के लिए प्रार्थना की, कबीले के मुखिया ने अपने पूरे कबीले के लिए तथा कौमी समाज सेवी ने अपनी पूरी कौम की सलामती के लिए दुआ मांगी। दुष्कपट संत जो कई सालों से पूरी सृष्टि के विनाश की घोषणा कर रहा था, उसने पूरी सृष्टि का विनाश मांगा।
ताकि उसकी भविष्यवाणी सही साबित हो सके तथा युगों-युगो तक उसका नाम इतिहास के पन्नों में अमर हो सके। भगवान जी अभी, सभी की प्रार्थना पर विचार कर ही रहे थे कि तभी अंतर्ध्यान मुद्रा में आसमान की तरफ हाथ उठा कर एक सच्चा तथा भोला संत, हे! भगवान तेरी सृष्टि की एक-एक रचना बड़ी ही खूबसूरत है। किसी एक के भी बिना, कायनात की सुंदरता की कल्पना करना भी निरर्थक है। अत: हे !
भगवन सभी का कल्याण कर दो। सभी की प्रार्थना के भावों पर विचार करते हुए, भगवान ने सच्चे साधक की नि:स्वार्थ प्रार्थना मंजूर कर ली।