पॉवर बैंक
पॉवर बैंक
आसमानी रंग की साधारण साड़ी, सांवला रंग, चहरे पर साफ झलकती हुई झुर्रियां, आंखे थकी हुई और शरीर के साथ-साथ चेहरे पर भी बूढ़ापन दिख रहा था।
सड़क के किनारे एक देशी बार से कुछ दूरी पर बैठी हुई थी वो बूढ़ी अम्मा, देशी बार इसलिए याद रह गया क्योंकि उसके बाहर ही एक आदमी शराब के नशे में धुत्त लेटा हुआ था और कुछ बडबडा रहा था, शरीर में इतनी भी ताकत नहीं बची थी कि खुद अपने पैरों पर खड़ा हो सके और वहां बैठी हुई वो अम्मा जिनके सामने था एक छोटा सा डब्बा जिसमें इलेक्ट्रॉनिक आइटम जैसे इयरफोन, मोबाइल चार्जर यूएसबी केबल पावर बैंक इत्यादि रखा हुआ था।
एक हाथ में "पॉवर बैंक" लेकर उस हाथ को ऐसे उठा रही थी मानो कुछ कहना चाहती हो, लेकिन कह नहीं पा रही थी शायद अम्मा को पता नहीं था कि इन सब चीजों को कहते क्या है और इन्हें बेचना कैसे है ?
जो भी कोई उनके सामने से गुजरता, उसकी तरफ वो अपने हाथ दिखा कर बस देखती रह जाती, उनकी आंखों को देखकर लगता था मानों कहना चाहती हो कि भाई, कोई तो खरीद लो, कुछ तो खरीद लो। और जब कोई उसकी तरफ ना देखता तो बेबस होकर चुपचाप बैठ जाती, लेकिन ज्यादा देर तक वो हताश होकर बैठ ना पाती, तुरंत बाद फिर से वो आस पास चलते लोगों को पॉवर बैंक दिखाकर अपने सामन से भरे डब्बों की ओर आकर्षित करने की कोशिश करती।
कुछ ऐसा डर था जो अम्मा को बेबस होकर बैठने नहीं दे रहा था और बार बार सामन बेचने पर मजबूर कर रहा था शायद शाम को भूखे सोने का डर ?
उनके चहरे पर दर्द और उदासी साफ-साफ दिख रही थी। ऐसा लग रहा था अचानक कोई बिछड़ गया है उनसे, जो कल तक ये सब सामान बेचकर अम्मा और अपना घर चलाता था और वही एक मात्र आय का स्रोत था अम्मा के घर का और आज अचानक वो कहीं दूर चला गया, जो अब कभी वापिस नहीं आएगा।
